सचिन का तो हो गया, क्या करीब है संन्यास की एक और तूफानी खबर?
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। जब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 10 अक्टूबर को ये फैसला सुनाया कि वो अपने 200वें टेस्ट के बाद क्रिकेट को सदा के लिए अलविदा कह देंगे, तब पूरा देश मानो सन्न रह गया। फैंस को पता था कि उनका संन्यास करीब है लेकिन फिर भी उनके फैसले ने जैसे देश को हिलाकर रख दिया, आखिर एक युग का अंत जो होने जा रहा था। ध
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। जब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 10 अक्टूबर को ये फैसला सुनाया कि वो अपने 200वें टेस्ट के बाद क्रिकेट को सदा के लिए अलविदा कह देंगे, तब पूरा देश मानो सन्न रह गया। फैंस को पता था कि उनका संन्यास करीब है लेकिन फिर भी उनके फैसले ने जैसे देश को हिलाकर रख दिया, आखिर एक युग का अंत जो होने जा रहा था। धीरे-धीरे अब फैंस इस दर्द से बाहर निकल रहे हैं, जयपुर में कंगारुओं के खिलाफ मिली एतिहासिक जीत ने काफी हद तक फैंस का ध्यान भटकाने का काम भी किया, लेकिन अब लग रहा है कि एक और खबर जल्द भारतीय क्रिकेट को दहला सकती है। अगर ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो मुमकिन है कि एक और बड़ा संन्यास दस्तक दे रहा है..नाम है वीरेंद्र सहवाग, जिनके पास गुरुवार से शुरू हुई दुलीप ट्रॉफी में वापसी कर चयनकर्ताओं को लुभाने का एक आखिरी मौका है, हालांकि यह मैच भी बारिश से धुलता नजर आ रहा है।
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इस रविवार (20 अक्टूबर) भारतीय टेस्ट व वनडे इतिहास के सबसे धुआंधार बल्लेबाज सहवाग 35 साल के हो जाएंगे। सवाल यह है कि क्या गुरुवार से शुरू हुई दुलीप ट्रॉफी के जरिए वह अपने 35वें जन्मदिन को खास बना पाएंगे, और क्या वह चयनकर्ताओं को संदेश भेज पाएंगे कि अब भी उनमें काफी क्रिकेट बाकी है? दरअसल, सहवाग के ताजा आंकड़ें देखें तो अब उनका करियर खत्म होने की कगार पर नजर आने लगा है। सहवाग ने अपना आखिरी वनडे 3 जनवरी 2013 को खेला था जबकि आखिरी टेस्ट मार्च 2013 में। दोनों ही मौकों पर वो फ्लॉप साबित हुए थे। 8 दिसंबर 2011 को वनडे मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ इंदौर में खेली गई 219 की ऐतिहासिक पारी के बाद से फैंस ने तकरीबन पूरा एक साल उनके बल्ले से शतक नहीं देखा व महज एक अर्धशतक देखा। जबकि टेस्ट में 15 नवंबर 2012 के बाद से नौ टेस्ट पारियों में उनके बल्ले से महज एक अर्धशतक तक नहीं निकला। इसके बाद उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया और वह गायब से हो गए।
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फिर आया वो समय जब हाल में सहवाग, जहीर खान, युवराज सिंह और गौतम गंभीर को वेस्टइंडीज-ए के खिलाफ इंडिया-ए टीम में जगह दी गई। इस मेहमान टीम के खिलाफ वनडे सीरीज में तो युवराज ने जलवा बिखेरते हुए वनडे टीम में अपनी वापसी कर ली लेकिन जब दो गैर आधिकारिक टेस्ट मैचों की बारी आइ तो जहीर, वीरू और गंभीर परीक्षा की आग पर बैठे दिखाई दिए। पहले टेस्ट में तो तीनों फ्लॉप दिखे लेकिन दूसरे चार दिवसीय टेस्ट में जहां गंभीर ने शानदार शतक (123) मारकर अपनी वापसी का संकेत दिया, वहीं दूसरी तरफ मैच की दूसरी पारी में चार विकेट लेते हुए जहीर ने भी दिल जीता, लेकिन इस बार भी वीरू के बल्ले से अर्धशतक तक नहीं निकला। चयनकर्ताओं ने इन तीनों के इंडिया-ए में टीम में चुने जाते वक्त इशारों-इशारों में यह काफी हद तक साफ कर दिया था कि यह इन खिलाड़ियों के लिए साबित करने का आखिरी मौका होगा, लेकिन वीरू फिर सबसे पीछे नजर आए। जयपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली सबसे बड़ी वनडे जीत में धवन-रोहित की सलामी जोड़ी ने वैसी ही काफी हद तक वनडे में सहवाग के रास्तों पर रोक लगा दी है, जबकि टेस्ट में भी धवन व पुजारा जबरदस्त चुनौती दे रहे हैं। वीरू ने मिडिल ऑर्डर में भी उतरकर कोशिश कर ली है, लेकिन यहां भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। अब दुलीप ट्रॉफी सेमीफाइनल में नॉर्थ जोन की तरफ से खेलते हुए उनके पास एक आखिरी मौका होगा लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या बारिश से प्रभावित इस मैच में वो वापसी कर पाएंगे? क्योंकि अब नहीं तो कभी नहीं, इसके बाद जल्द वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली टेस्ट व वनडे सीरीज के लिए टीमों की घोषणा हो जाएगी जिसमें शामिल ना होने का मतलब है कि सहवाग एक लंबे क्रिकेट कार्यक्रम से नदारद हो जाएंगे, जिसमें दक्षिण अफ्रीका दौरा और फिर 2014 में इंग्लैंड व न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज भी शामिल हैं। अब फैंस की नजर इसी बात पर लगी है, कि क्या इस बार वीरू अपने आखिरी मौके को भुना पाएंगे या सचिन के बाद एक और दिग्गज का संन्यास करीब है?
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