1109 विकेट, 4140 रन, 39 बार दस विकेट, क्या वो था क्रिकेट का भगवान?
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। ''कौन कहता है कि विश्वास के तमाम रूप नहीं होते, इस खेल में तो सरहदों और समय के साथ खुदा बदल जाया करते हैं''..क्रिकेट, एक ऐसा खेल जहां मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर ने उन बुलंदियों को छुआ कि आज करोड़ों क्रिकेट प्रेमी उन्हें भगवान का दर्जा दे बैठे, सचिन मना करते रहे, लेकिन दीवानों को कौन समझाए.
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। ''कौन कहता है कि विश्वास के तमाम रूप नहीं होते, इस खेल में तो सरहदों और समय के साथ खुदा बदल जाया करते हैं''..क्रिकेट, एक ऐसा खेल जहां मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर ने उन बुलंदियों को छुआ कि आज करोड़ों क्रिकेट प्रेमी उन्हें भगवान का दर्जा दे बैठे, सचिन मना करते रहे, लेकिन दीवानों को कौन समझाए..वैसे, क्रिकेट या कोई भी खेल हो, मैदान का यह दस्तूर पुराना है। समय और देशों के साथ यहां भगवान की परिभाषा बदल जाया करती है। डॉन ब्रैडमैन और सचिन तेंदुलकर को तो आपने अब तक इस खेल के देवता के रूप में जान लिया लेकिन बहुत कम लोग ही वाकिफ हैं क्रिकेट के उस पहले भगवान को आज जिसका हम 187वां जन्मदिन मना रहे हैं।
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अगर आप क्रिकेट प्रेमी हैं तो जाहिर तौर पर आप 'विस्डन' शब्द से वाकिफ होंगे। यह वही किताब है जिसे क्रिकेट की बाइबल यानी क्रिकेट की धार्मिक किताब का दर्जा दिया गया है। असल माएने में इस किताब के जनक जॉन विस्डन ही माने गए थे क्रिकेट के भगवान, लेकिन समय और इस खेल के बदलते स्वरूप के साथ उनकी किताब को तो याद रखा गया लेकिन उन्हें भुला दिया गया। जॉन विस्डन का जन्म आज ही के दिन 1826 में इंग्लैंड के ब्राइटन में हुआ था। कम उम्र में पिता के गुजर जाने के बाद विस्डन ने टॉम बॉक्स के साथ रहना शुरू कर दिया जहां से उन्होंने क्रिकेट का पहला पाठ सीखा और देख्रते-देखते 18 साल की उम्र में ससेक्स काउंटी क्लब से अपने करियर का आगाज किया। उस दौर में भगवान शब्द को शायद लोगों ने इतना तवज्जो नहीं दिया था क्योंकि विस्डन की टक्कर का शुरू से ही कोई नहीं था, अपने जमाने के इस बेस्ट ऑलराउंडर को 'द लिटिल वंडर' का नाम दिया गया। अपने पहले ही मैच में एमसीसी के खिलाफ 6 विकेट लेकर इस खिलाड़ी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे।
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विस्डन आम तौर पर एक तेज गेंदबाज थे लेकिन समय के साथ उनकी रफ्तार घटती चली गई, हालांकि इससे उनके प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा। आपको यह जानकर हैरानगी होगी कि उन्होंने अपने करियर के तकरीबन हर प्रथम श्रेणी मैच में 10 विकेट हासिल किए। 1850 में लॉर्ड्स के मैदान पर नॉर्थ टीम के खिलाफ खेलते हुए उनकी ऑफ कटर ने तो ऐसा जादू दिखाया कि दूसरी पारी में उन्हें 10 विकेट मिले और सभी बल्लेबाज बोल्ड हुए (जो आज भी एक रिकॉर्ड है)। बल्लेबाज भी वह कम धुरंधर नहीं थे उसी साल केंट के खिलाफ उन्होंने शतक जड़ा और फिर यॉर्कशर के खिलाफ 148 रनों की पारी खेली।
आइए आपको विस्डन के आंकड़ों से और हैरान-परेशान करते हैं। उनके जमाने में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का जोर नहीं था वरना पता नहीं आज शेन वॉर्न, मुरलीधरन, अनिल कुंबले जैसे गेंदबाजों के रिकॉर्ड मुंह छुपाने की जगह ढूंढ रहे होते। आप इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि विस्डन ने अपने 187 प्रथम श्रेणी मैचों में 10.32 के औसत से 1,109 विकेट हासिल किए, जिसमें 111 बार उन्होंने एक मैच में पांच विकेट झटके और 39 बार 10 विकेट। जबकि एक बल्लेबाज के तौर पर उतने ही मैचों में उन्होंने 4,140 रन जड़े। गनीमत थी कि वह अपने जमाने में 1859 में सिर्फ एक विदेशी दौरा (कनाडा) कर पाए वरना आज की पीढ़ी शायद उनके रिकॉर्ड को बस सपने में ही ताकती रह जाती।
1850 में जॉन विस्डन ने क्रिकेट सामग्री का व्यापार शुरू किया और 1863 में 37 की उम्र में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने इस खेल को अपने करियर से भी बड़ा तोहफा दिया, जिसे आज हम 'विस्डन' के नाम से जानते हैं। यह किताब क्रिकेट के सभी नियम, कानून, इतिहास, सितारे, टूर्नामेंट, अवॉर्ड्स और ताजातरीन बदलावों को अपने में संजोए बैठे है और बिना रुके, बिना थमे वो दशकों पुरानी परंपरा आज भी जारी है, आज भी हर साल इस किताब की वार्षिक प्रति प्रकाशित होती है। 57 की उम्र में कैंसर से जंग हारने के बाद विस्डन की मौत हो गई लेकिन अपने पीछे वह अपनी किताब और एक गजब के उस प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर को छोड़ गए जो आज भी मिसाल के तौर पर देखा जाता है। बेशक उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना का मौका नहीं मिला लेकिन जाहिर तौर पर क्रिकेट की बाइबल का यह जनक इस खेल का पहला भगवान कहलाने के लायक था।
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