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    अब होगी विश्व चैंपियन टीम की असल परीक्षा, इन बातों पर देना होगा ध्यान..

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    Updated: Sun, 08 Dec 2013 10:16 AM (IST)

    जोहानिसबर्ग में 141 रनों से मिली करारी हार के बाद से विश्व चैंपियन टीम भारत की सफलताओं का रथ ऐसा डगमगाया कि उसे अब डरबन में आर या पार की स्थिति से दो-चार होना होगा। तीन मैचों की सीरीज के पहले वनडे में हार के बाद अगर डरबन में भी हार मिली तो सीरीज हाथ से गई, ऐसे में नंबर वन टीम को अब अपना सारा जोर झोंकन

    (शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। जोहानिसबर्ग में 141 रनों से मिली करारी हार के बाद से विश्व चैंपियन टीम भारत की सफलताओं का रथ ऐसा डगमगाया कि उसे अब डरबन में आर या पार की स्थिति से दो-चार होना होगा। तीन मैचों की सीरीज के पहले वनडे में हार के बाद अगर डरबन में भी हार मिली तो सीरीज हाथ से गई, ऐसे में नंबर वन टीम को अब अपना सारा जोर झोंकना ही होगा।

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    बताया जा रहा है कि किंग्समीड (डरबन) में पिछले एक हफ्ते से बादलों व बारिश का आना जाना है, ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि ये पिच भारतीय टीम के पसंद की हो सकती है। जाहिर तौर पर भारतीय टीम के सामने कई चुनौतियां होंगी लेकिन जो कुछ चुनौतियां सबसे महत्वपूर्ण और अहम होंगी वो इस प्रकार हैं..

    1. लचर गेंदबाजी:

    एक सबसे बड़ी चुनौती होगी वो है गेंदबाजी। घरेलू पिचों पर तो कई बार लचर गेंदबाजी के बावजूद बल्लेबाजों के दम पर टीम इंडिया ने मैच मुट्ठी में कर लिए लेकिन दक्षिण अफ्रीकी पिचों पर ऐसा मुमकिन नहीं होता दिख रहा। जिस अंदाज में कैरेबियाई बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों के 'छक्के' छुड़ाए उससे ये तो साफ हो चुका है कि जो सोचा था वही हुआ। अफ्रीकी पिचें युवा भारतीय गेंदबाजों को ज्यादा रास नहीं आई हैं और कप्तान धौनी ने भी इसको लेकर चिंता जताई जबकि दक्षिण अफ्रीकी कप्तान भी भारत की इस कमजोरी पर प्रकाश डालने से नहीं चूके। भारतीय तेज गेंदबाजों में रफ्तार व पेस की कमी साफ नजर आई और यहीं शायद भारतीय टीम सबसे ज्यादा पिछड़ी नजर आई।

    2. उमेश यादव को शामिल करें:

    चयनकर्ताओं व धौनी ने उमेश यादव को टीम में तो शामिल किया लेकिन जोहानिसबर्ग में उन्हें खिलाना मुनासिब नहीं समझा। धौनी अब इस बात से वाकिफ हो गए होंगे कि दक्षिण अफ्रीकी पिचों पर रफ्तार और पेस के बिना कुछ नहीं होना, इसलिए अगर आपकी टीम का सबसे तेज गेंदबाज ही मैदान से बाहर बैठा रहे तो उसको इतना दूर ले जाने का फायदा ही क्या? इस मैच में टीम इंडिया को उमेश यादव के साथ खेलना चाहिए, शायद उनकी वापसी की भूख और तेजतर्रार पेस भारत की सीरीज में वापसी की नायक बन जाए।

    3. युवराज पर पुर्नविचार?:

    पिछली दस वनडे पारियों में युवराज सिंह सिर्फ एक अर्धशतक (55, कानपुर में वेस्टइंडीज के खिलाफ) जमाने में सफल रहे हैं। इस दौरान पिछली दस वनडे पारियों में युवी चार बार शून्य पर आउट हुए हैं, जिसमें पिछला वनडे भी शामिल है और दो बार वो 10 का स्कोर भी पार करने में असफल रहे। जाहिर है कि वो इस समय टीम में सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं और उनका टीम व ड्रेसिंग रूम में मौजूद रहना कई मायनों में जरूरी है। ऐसे में अब युवी को भी अपनी पुरानी लय हासिल करनी ही होगी क्योंकि बल्लेबाजों की एक लंबी फेहरिस्त बाहर मौकों की तलाश में बैठी हुई है। डरबन का मैदान युवी के लिए बेहद खास रहा है, जहां उन्होंने एक ओवर में छह छक्कों का रिकॉर्ड भी दर्ज किया था, ऐसे में उम्मीद है कि वो इस बार लय में लौट सकेंगे।

    4. जागो 'त्रिमूर्ति' जागो:

    भारतीय वनडे टीम के शीर्ष क्रम के तीन बल्लेबाज (रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली) हाल के स्वर्णिम वनडे दौर की सबसे मजबूत कड़ी हैं। तीनों बल्लेबाजों ने भारत को वनडे में शीर्ष पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन अब उन्हें जागना होगा क्योंकि उनके सामने उप-महाद्वीप की पिचें नहीं हैं जहां गेंद रुक कर आएगी और उन्हें चढ़कर खेलने का न्योता देगी। यह दक्षिण अफ्रीका है जहां गेंद बल्लेबाज नहीं, बल्कि तेज गेंदबाज के इशारों पर पिच पर लहराती है। ऐसे में उन्हें अपने अंदाज में कुछ बदलाव तो लाना ही होगा।

    5. धौनी से लें ये सीख:

    ये कहना जरूर आसान लगता है कि अब टीम इंडिया को जोहानिसबर्ग में मिली करारी हार को भूलकर आगे बढ़ना होगा, लेकिन ये इतना आसान है नहीं। जब विदेशी पिच पर 141 से मिली करारी हार से एक चैंपियन टीम का स्वागत हो तो सभी नई-पुरानी रणनीतियां धरी की धरी नजर आने लगती हैं। टीम इंडिया किस्मती है कि ऐसे समय में उसके पास धौनी जैसा ठंडे दिमाग वाला कप्तान है। जोहानिसबर्ग में भी जब सभी धुरंधर बल्लेबाज ढेर हो रहे थे तब ये भारतीय कप्तान ही था जिसने अकेले दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों का जमकर सामना किया और सर्वाधिक 65 रन बनाए जिसमें 8 चौके और टीम इंडिया की तरफ से आना वाला एकमात्र छक्का भी शामिल था। युवा भारतीय खिलाड़ी इस समय दबाव में जरूर होंगे लेकिन वो अपने कप्तान से सीख जरूर ले सकते हैं कि इन परिस्थितियों में खुद को पटरी पर कैसे लाया जाए।

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