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    खास है यह दिन: क्रिकेट, सचिन और ब्रैडमैन के फैंस जरूर पढ़ें

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    Updated: Wed, 14 Aug 2013 01:27 PM (IST)

    (शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। समय का पहिया कभी-कभी ऐसे इत्तेफाक पैदा करता है जो ना सिर्फ दिलचस्प होते हैं बल्कि हैरान भी कर देते हैं। क्रिकेट फैंस के लिए ...और पढ़ें

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    (शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। समय का पहिया कभी-कभी ऐसे इत्तेफाक पैदा करता है जो ना सिर्फ दिलचस्प होते हैं बल्कि हैरान भी कर देते हैं। क्रिकेट फैंस के लिए आज की तारीख यानी 14 अगस्त उसी समय के पहिये की कहानी बयां करता है जिसने सालों के फासलों के बीच दो महानतम क्रिकेटरों के करियर का अंत और आगाज लिखा। हम बात कर रहे हैं विश्व क्रिकेट के अब तक के सबसे महान खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रैडमैन और आज क्रिकेट के भगवान के तौर पर जाने वाले महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की। आइए आपको बताते हैं कि आखिर कैसे हुआ एक क्रिकेटर के करियर का दुखद: अंत और ठीक उसकी तरह इतिहास रचने वाले दूसरे खिलाड़ी का धमाकेदार आगाज।

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    1. डॉन ब्रैडमैन (14 अगस्त, 1948):

    भारत की आजादी के ठीक एक साल बाद ऑस्ट्रेलिया में एक महान क्रिकेटर के करियर का अंत हो गया। यह दिन बहुत खास था क्योंकि यह सर डॉन ब्रैडमैन के करियर का मैदान पर आखिरी दिन था और उनका करियर औसत (99.94) 100 पर पहुंचने के लिए बेताब था। सर डॉन ब्रैडमैन को इंग्लैंड के खिलाफ ओवल स्टेडियम पर खेले गए उस मैच में महज 4 रनों की जरूरत थी जो ना सिर्फ उनके करियर औसत को सौ प्रतिशत करते बल्कि टेस्ट में उनके 7000 रन भी पूरे हो जाते। इससे बढि़या अंत और कुछ नहीं हो सकता था लेकिन..कभी किसी भी गेंदबाज के सामने नहीं झुकने वाले सर डॉन इस बार अपनी दूसरी ही गेंद पर एरिक होलीस का शिकार हुए और बोल्ड होकर मैदान से चलते बने। पूरे मैदान में सन्नाटा था, या यह कहें कि विश्व क्रिकेट में हर फैन सन्न रह गया था। उम्मीद थी कि अगली पारी में डॉन आकर इस आंकड़े को पूरा करेंगे लेकिन शायद यह उनकी किस्मत में ही नहीं था क्योंकि इंग्लैंड वह मैच पहले ही हार गया और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी की नौबत ही नहीं आई। यही था एक परफेक्ट खिलाड़ी के करियर का अजीबोगरीब अंत।

    2. सचिन तेंदुलकर (14 अगस्त, 1990):

    डॉन ब्रैडमैन के करियर के उस अंत के बाद सालों तक कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं मिला जो उनके स्तर की बराबरी कर सके। कई आए और कई गए, लेकिन उनके जैसा कोई आता नहीं दिखा। फिर आइ वह तारीख लेकिन तकरीबन 42 साल बाद.. 14 अगस्त 1990 को भारत और इंग्लैंड के बीच जारी टेस्ट सीरीज के दूसरे टेस्ट का आखिरी दिन था और मैनचेस्टर के मैदान पर भारत को 408 रनों की जरूरत थी। टॉप ऑर्डर लड़खड़ा चुका था और टीम इंडिया 183 रन पर छह विकेट खो चुकी थी। फिर आए सचिन रमेश तेंदुलकर जो पहली पारी में 68 रन जड़ चुके थे लेकिन दूसरी पारी में दबाव भी ज्यादा था और तकरीबन दो घंटों का समय बाकी था, फिर हुआ वह जिसने तमाम क्रिकेट प्रेमियों की आंखें ऐसे खोलीं कि वह आज तक खुली ही हुई हैं। 17 वर्षीय सचिन ने 189 गेंदों का सामना करते हुए 17 चौकों की मदद से अपने टेस्ट व अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक जड़ा और नाबाद 119 रनों की पारी खेली, वह मनोज प्रभाकर (नाबाद 67) के साथ मिलकर भारत को दिन के अंत तक ले गए और हार के मुंह से भारत को निकालते हुए एक ड्रॉ नसीब कराया। वह इतनी कम उम्र में शतक जड़ने वाले दुनिया के तीसरे खिलाड़ी बने और दुनिया में संकेत भेज दिया कि 42 साल के इंतजार के बाद क्रिकेट को नया डॉन मिल गया है।

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