सेवाओं पर जीएसटी दर तय करने की प्रक्रिया होगी शुरू, मई में श्रीनगर बैठक में लगेगी अंतिम मुहर
इस सप्ताह से सेवाओं पर जीएसटी की दरें तय करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी
नई दिल्ली (जेएनएन)। सेवाओं पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की दरें क्या होंगी, यह तय करने की प्रक्रिया इस सप्ताह शुरू हो जाएगी। राज्यों और केंद्र के राजस्व अधिकारी इस सप्ताह सेवाओं पर जीएसटी की दर तय करने को अपनी पहली बैठक करने जा रहे हैं। कौन सी सेवा किस दर के दायरे में आएगी, इसका निर्धारण केंद्र और राज्यों के टैक्स अधिकारियों को ही करना है। सरकार का लक्ष्य इस साल पहली जुलाई से जीएसटी को लागू करने का है।
इससे पहले जीएसटी काउंसिल चार मूल दरों का निर्धारण पहले ही कर चुकी है। 5, 12, 18, और 28 फीसद में बंटी इन चार दरों में ही विभिन्न सेवाओं को रखा जाना है। इसके निर्धारण के लिए बनी फिटमेंट कमेटी की पहली बैठक इस प्रक्रिया की शुरुआत होगी। इस समिति के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती दरें तय करते समय उनका महंगाई संबंधी असर (मुद्रास्फीतिक प्रभाव) शून्य रखने पर होगा। कमेटी की कोशिश होगी कि सेवाओं को विभिन्न दरों के दायरे में इस तरह शामिल किया जाए, जिससे उनकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं हो।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 18-19 मई को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले फिटमेंट कमेटी को विभिन्न सेवाओं की दरों को अंतिम रूप देना है। इसलिए समिति को जो भी तय करना है, काउंसिल की बैठक से पहले ही करना है। चूंकि केंद्र सरकार विभिन्न सेवाओं पर पहले से ही सर्विस टैक्स का निर्धारण करती रही है, इसलिए कमेटी के लिए विभिन्न दरों के लिए सेवाओं का चयन करना अपेक्षाकृत आसान होगा।
माना जा रहा है कि मौजूदा वक्त में कुछ सेवाओं पर सेवा कर और वैट दोनों ही प्रभावी हैं। लिहाजा ऐसी सभी सेवाएं आसानी से 18 फीसद के कर दायरे में फिट हो सकती हैं। लेकिन जिन पर केवल 12.5 फीसद सेवा कर लागू है, वे 12 फीसद जीएसटी के दायरे में शामिल हो सकती हैं। अधिकारियों का मानना है कि एक बार सेवाओं पर जीएसटी दरों को अंतिम रूप दे दिया जाता है तो कमेटी एक पखवाड़े बाद फिर से बैठक करेगी। इस बैठक में वस्तुओं पर लगने वाली जीएसटी दरों को अंतिम रूप दिया जाएगा। ये दोनों काम 18-19 मई को श्रीनगर में होने वाली बैठक से पहले हो जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल मई में होने वाली बैठक में दरों पर विचार करेगी और जून तक इन्हें फाइनल कर दिया जाएगा। राजस्व सचिव हसमुख अढिया पहले ही कह चुके हैं कि केंद्र काउंसिल में इस बात के पक्ष में है कि जो सेवाएं अभी सेवा कर के दायरे से बाहर हैं, उन्हें फिलहाल जीएसटी में शामिल नहीं किया जाए। ऐसी करीब 60 सेवाएं हैं जो सेवा कर के दायरे में अभी शामिल नहीं है। इनमें धार्मिक यात्रएं, हेल्थकेयर, एजूकेशन, स्किल डेवलपमेंट जैसी सेवाएं आती हैं।
ई-कॉमर्स का दायरा निर्धारित करे सरकार
केंद्र सरकार को जीएसटी के अंतर्गत ‘ई-कॉमर्स’ के दायरे को स्पष्ट रूप से निर्धारित कर देना चाहिए। उद्योग चैंबर एसोचैम ने यह मांग रखी है। उसका कहना है कि ई-कॉमर्स की मौजूदा परिभाषा बहुत ज्यादा व्यापक है। यही वजह है कि इसके दायरे में कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज भी आ जाते हैं, जबकि सभी को यह पता है कि इनमें वस्तुओं की कोई वास्तविक डिलीवरी नहीं होती है।
एसोचैम के मुताबिक जीएसटी व्यवस्था के तहत ‘ई-कॉमर्स’ शब्द की गलत व्याख्या की जा सकती है। इसके दायरे में अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां तो आएंगी ही, कमोडिटी एक्सचेंज भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
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