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    नेपाल में मजे की जिंदगी जी रहे भारत के कुख्यात, प्रत्यर्पण संधि नहीं होने का उठा रहे लाभ

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Thu, 16 Mar 2017 11:11 PM (IST)

    भारत और नेपाल के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं होने की वजह से दर्जनाें इनामी अपराधी नेपाल में ठिकाना बनाये हुए हैं। भारत में अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के बाद ये नेपाल में जाकर मजे की जिंदगी जीते हैं।

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    नेपाल में मजे की जिंदगी जी रहे भारत के कुख्यात, प्रत्यर्पण संधि नहीं होने का उठा रहे लाभ

    पश्चिम चंपारण [जेएनएन]। रेल हादसों के प्रमुख साजिशकर्ताओं में एक शम्सुल होदा की नेपाल में गिरफ्तारी के बावजूद उसे अब तक भारत को नहीं सौंपा गया है। यह स्थिति भारत-नेपाल के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं होने के कारण है। केवल शम्सुल ही नहीं, नेपाल की सीमा से सटे कई जिलों के दर्जनों इनामी अपराधी नेपाल में ठिकाना बनाए हुए हैं। दोनों देशों के बीच कानूनी बाधा के कारण अपहरण, हत्या, लूट और डकैती में वांछित ये कुख्यात नेपाल में मजे की जिंदगी जी रहे हैं। 

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    कुछ अपराधियों ने तो अपराध से कमाए पैसों से वहां बड़ा आर्थिक साम्राज्य भी कायम कर लिया है। कुख्यात रामचंद्र मल्लाह, मुन्ना खां, मुरारी कुशवाहा, उमाशंकर भगत आदि ऐसे अपराधी हैं जिनका एक दशक पूर्व पश्चिम चंपारण व अन्य सीमावर्ती जिलों में आतंक था। अपहरण, हत्या, लूट व डकैती में वांछित इन लोगों पर सरकार की ओर से इनाम घोषित है।

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    उमाशंकर पर एक लाख, रामचंद्र मल्लाह पर 50 हजार व मुरारी पर 25,000 का इनाम घोषित है। वहीं रामचंद्र पर 32, उमाशंकर पर 28 व मुरारी पर 12 हत्या व अपहरण जैसे मामले दर्ज हैं। सरकारी स्तर पर दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत भी हुई, लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर थाने में पदस्थापित एक अवर निरीक्षक की हत्या मामले में फरार मुन्ना खां ने तो नेपाली नागरिकता भी हासिल कर ली है। 

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    दोहरी नागरिकता
    नेपाल के नवलपरासी जिला के बेलाटाड़ी थाना क्षेत्र के रतनगंज, कुडिय़ा, सखुआनी, सुस्ता आदि अलग-अलग गांवों में इन अपराधियों ने घर भी बना लिया है। वहां की नागरिकता मिल जाने के कारण उन्हें स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त है।

    इस बाबत बगहा के डीएसपी ब्रजकिशोर पासवान कहते हैं कि फरार अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए योजना बनाई गई है। इसके लिए नेपाल सरकार के साथ पत्राचार किया गया है। इन्हें पुनर्वासित करने की योजना भी तैयार की गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए फरार अपराधी आत्मसमर्पण कर सकते हैं।

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