Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रातों-रात करोड़पति बन गया गरीब किसान, अपनी आंखों पर नहीं हुआ भरोसा

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 28 Dec 2016 10:24 PM (IST)

    छपरा जिले के एक किसान के बैंक खाते में मात्र सत्रह हजार रुपये थे और जब वह पांच सौ रुपये निकालने बैंक पहुंचा तो उसे पता चला कि वह करोड़पति बन गया है। यह सुनकर उसके होश उड़ गए।

    पटना [जेएनएन]। छपरा जिले के तरैया प्रखंड के नेवारी गांव का एक किसान सुबह-सुबह पांच सौ रुपये निकालने बैंक पहुंचा तो उसे पता चला कि वह करोड़पति बन गया है। यह सुनकर उसे हैरानी हुई, उसे अपना खाता देखकर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह करोड़ रुपये का मालिक बन बैठा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छपरा केे तरैया प्रखण्ड के नेवारी गांव के किसान विकास सिंह के खाते में अचानक 2 करोड़ रुपये आ गए। विकास ने जब से होश संभाला एक-एक रुपए के लिए तरसता रहा, लेकिन एक रात में वह करोड़पति बन गया।बैंक पहुंचने पर अपने बैंक खाते में दो करोड़ रुपए देखे तो उसके होश उड़ गए।

    स्वर्गीय गणेश सिंह के पुत्र विकास सिंह के खाते में पहले से महज 17 हजार रुपये थे. जब वह एक सप्ताह पूर्व अपने खाते से 500 रुपया निकलने बैंक आया तो बैंककर्मियो ने कहा कि तुम्हारे खाते में 2 करोड़ 17 हजार रुपये जमा कराये गये हैं, इसलिए तुम्हारा खाता सीज कर दिया गया है।

    पढ़ें - लालू ने पूछा- पीएम बताएं 50 दिनों बाद किस चौराहे पर दी जाए सजा?

    बैंककर्मियो ने उसका पासबुक भी ले लिया और कहा कि एक सप्ताह बाद आना अभी पासबुक का वेरीफिकेशन होगा। किसान का बैंक अकाउंट तरैया स्थित भारतीय स्टेट बैंक में है। इधर इस संबंध में जब बैंक के शाखा प्रबंधक सत्यम कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। क्षेत्रीय प्रबंधक आएंगे तो इसके बारे में बताएंगे।

    पासबुक से रुपये नहीं मिलने और रुपये निकासी पर रोक लगाने के बाद किसान परेशान है। इसकी शिकायत उसने अपने भागवतपुर पंचायत के मुखिया मुकेश कुमार यादव से की। किसान का कहना है कि मैंने महज 17 हजार रुपये गेहूँ की बुआई के लिए रखा था, मेरे खाते में रुपये कहां से आए, बैंक कुछ नहीं बता रहा है।

    पढ़ें - फ्लैशबैक 2016: लालू यादव का अंदाज-ए-बयां, बाबा रामदेव की क्रीम और हेमा का इश्क

    ग्रामीणों का कहना है कि विकास सीधा साधा किसान है। बैंक के शाखा प्रबंधक की चुप्पी से लगता है इसमे बैंक की भी मिलीभगत हो सकती है। हमलोग जब बैंक में रुपये जमा करने जाते है तो बिना आधार कार्ड के रुपये जमा नहीं होता है और इसके खाते में बिना बैंक के मिलीभगत से इतने रुपये कैसे आ सकते हैं?