पटना की सड़कों पर चाय बेच रहे बिहार को मेडल दिलाने वाले दो खिलाड़ी
नेशनल लेवल के खिलाड़ी सुविधाओं के अभाव में आज चाय बेचने को मजबूर हैं। गरीबी के आगे प्रतिभा की चमक फीकी पड़ गई है, गले में मेडल और चाय बेचने की मजबूरी यही अब इनकी जिंदगी बन गई है।
पटना [जेएनएन]। नेशनल लेवल के दो खिलाड़ी चाय बेचकर अपने परिवार की परवरिश कर रहे हैं। पटना के राजेन्द्र नगर इलाके में मुफलिसी की जिंदगी जी रहे इन दो राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अपने परिवार की परवरिश करने के लिये मैदान में खेलने की बजाय चाय की दुकान चलानी पड़ रही है।
राजेन्द्र नगर इलाके के स्लम बस्ती में रहने वाले इन दोनों खिलाड़ियों के घर में मेडल और सर्टिफिकेट की कमी नहीं है। घर में रखे मेडल इनके हौसलों की कहानी बताते हैं, लेकिन अपनी पहचान खो रहे ये खिलाड़ी अब चाय बेचकर अपनी जीविका चला रहे हैं।
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रौशन और काजू दोनों सगे भाई हैं, दोनों ने सोचा था कि खो-खो और एथलेटिक्स से बिहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएंगे। चाय की दुकान चलाते-चलाते दोनों भाईयों ने इसके लिये खेलना शुरू किया और खेलते-खेलते राष्ट्रीय स्तर तक गये।
दोनों भाईयों की कामयाबी की धुन भी सुनाई दी, जब उन्होंने जीत हासिल कर मेडल लाया, लेकिन सुविधाओं की कमी और सरकारी मदद की दरकार ने दोनों भाईयों को फिर से चाय बेचने पर मजबूर कर दिया।
बड़ा भाई रौशन कुमार एथलेटिक्स प्लेयर है जिसने स्टेट और नेशनल लेवल पर कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया जबकि छोटे भाई काजू ने खो-खो के दम पर अपनी पहचान बनायी। दोनों सगे भाईयों को सरकार की तरफ से सुविधा नही मिल पाने का बेहद मलाल है।
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दोनों आज भी राज्य सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं, लेकिन घर चलाने का एक मात्र साधन है इनकी चाय की दुकान, जहां ये मेडल लटकाकर चाय बेचते हैं। चाय बेचना इनकी मजबूरी है, खेल की प्रैक्टिस और पढ़ाई की तरह दोनों चाय बेचने पर भी खास ध्यान देते हैं ताकि परिवार की गाड़ी सही से चल सके। दुकान की आमदनी से ही दोनों के जिम्मे पिता के इलाज के अलावा घर की पूरी जिम्मेवारी भी है.
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