केले के रेशे से कपड़ा बनाने वाली बिहार की पहली महिला हैं पूजा, जानिए उपलब्धियां
पटना की पूजा सिंह ने केले के रेशे और फाइबर जूट से वस्त्र तैयार करने में महरत हासिल की है। इस क्षेत्र में वे बिहार की पहली महिला हैं। आइए जानते हैं उनकी उपलब्धियां।
पटना [दिलीप ओझा]। पूजा सिंह केले के रेशे और फाइबर जूट से वस्त्र तैयार करने वाली बिहार की पहली महिला हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने अपने संघर्ष व उपलब्धियों को साझा किया। कहा कि लड़कियों की आंखों में भी ख्वाब होना चाहिए और उन्हें परिजनों का समर्थन चाहिए। वैसी स्थिति में मुश्किलों के बावजूद मंजिल मिल ही जाएगी।
पटना के अनीसाबाद में रहने वाली पूजा सिंह कहती हैं कि जिंदगी में कुछ नया-अनोखा करने का ख्वाब देखती थी। पिता विनोद सिंह, पति नीरज सिंह सहित पूरे परिवार का भरपूर सहयोग भी मिला। पिता कहते थे कि पहले बेटी को पढ़ाओ। बुआ न्यूज रीडर थीं। उन्होंने भी हर कदम पर सहयोग किया। 2010 में तमिलनाडु जाकर केले के रेशे से और फाइवर जूट से वस्त्र तैयार करने की ट्रेनिंग ली। अपनी ससुराल समस्तीपुर के मोहिउद्दीन नगर में सवा लाख रुपये खर्च कर मशीन लगाई। कपड़ा बनता है, 'वन स्टेप विथ नेचरचनर' स्लोगन के साथ 600 रुपये प्रति मीटर बिकता भी है। बिहार में इसकी कम मांग है। जागरूकता की कमी है। कुल उत्पादन का 25 फीसद ही बिहार में बिकता है, शेष 75 फीसद तमिलनाडु भेजना पड़ता है।
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बकौल पूजा, इस साल चार फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब बिदुपुर गए थे तो केले के रेशे से मेरे द्वारा ही तैयार किए गए अंगवस्त्र, पगड़ी, फाइल आदि उन्हें बतौर तोहफा भेंट किए गए। हैंडीक्राफ्ट भी केले से बन रहा है। इस समय कुल 21 तरह के उत्पाद केले से बनाए जा रहे हैं। सरकार अगर इसे प्रमोट करे तो बढिय़ा बाजार बन सकता है। मेरे कारखाने में केले से धागा भी बनता है।
खाते में कई उपलब्धियां
पूजा बताती हैं कि शुरू से ही वे बिजनेस वुमन बनने का ख्वाब देखती थीं। फैशन में भी दिलचस्पी थी। ड्रेस डिजाइनर बन व्यापार के क्षेत्र में कदम रखी। कोर्स भी किया। उसके बाद पहचान भी मिली। 2015 में बिहार एंटरप्रेन्योर एसोसिएशन की ओर से उद्यमिता पुरस्कार दिया गया। इसके बाद खादी ग्रामोद्योग आयोग की अधिकृत डिजाइनर बनी। वर्ष 2003 से 2009 तक राष्ट्रीय स्तर पर यह जिम्मेदारी संभाली। वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत हस्त शिल्प श्रेणी में नेशनल अवार्ड देने के लिए ज्यूरी मेंबर होते हैं। पूर्वी क्षेत्र की कमेटी में भी जगह मिली। 2014 और 2015 में इसकी जिम्मेदारी भी संभाली। वर्ष 2005 में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से पटना में विश्व व्यापार मेले का आयोजन किया गया। पर्यटन विभाग ने मेरे स्टॉल 'पूजा क्रिएशन' को प्रथम पुरस्कार मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार को देखते हुए रूसी भाषा भी सीखी।
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