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    उपराष्ट्रपति चुनाव को ले सामने आए कई नाम, बिहार के इन नेताओं की भी चर्चा

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Sun, 02 Jul 2017 11:15 PM (IST)

    उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा होने के बाद एक बार फिर से सियासी गलियारों में संभावित नामों पर चर्चा शुरू हो चुकी है। बिहार के दो नामों पर भी चर्चा हो रही है।

    उपराष्ट्रपति चुनाव को ले सामने आए कई नाम, बिहार के इन नेताओं की भी चर्चा

    पटना [रवि रंजन]। चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा कर दी है। मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है। उसके पहले 5 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव करा लिया जाएगा।मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने चुनाव तारीख का ऐलान करते हुए कहा कि अधिसूचना 4 जुलाई को हो जाएगी जबकि 18 जुलाई तक नामांकन दाखिल किया जा सकेगा।

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    उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा होने के बाद एक बार फिर से सियासी गलियारों में संभावित नामों पर चर्चा शुरू हो चुकी है। उपराष्ट्रपति कौन बनेगा, इसको कयासों का दौर बढ़ गया है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये तो तो एनडीए का उपराष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डालते हैं लिहाजा एनडीए का आंकडा विपक्ष पर भारी पड़ने वाला है।

    दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है। उसके ऊपर सदन की कार्यवाही चलाने की भी जिम्मेदारी होती है. लिहाजा रणनीति उसी हिसाब से बनाई जा रही है। राज्यसभा के भीतर अभी भी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की ताकत ज्यादा नहीं है। राज्यसभा के भीतर सरकार अभी भी विपक्ष की तुलना में संख्या बल में काफी पीछे है।

     

    फिलहाल बीजेपी के अपने 56 राज्यसभा सांसद हैं और सहयोगी दलों के साथ ये आंकड़ा 77 होता है। जबकि, कांग्रेस के पास 59 सांसद हैं और सहयोगी दलों के साथ ये आंकड़ा 84 तक पहुंचता है। एसपी और बीएसपी समेत कई क्षेत्रीय दलों के पास फिलहाल 82 राज्यसभा सांसद हैं।

     

    बीजेपी को लग रहा है कि किसी भी कीमत पर 2022 के पहले राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत संभव नहीं है। ऐसे में बीजेपी और एनडीए की तरफ से विशेष रणनीति पर विचार किया जा रहा है, जिसमें एक एेसे व्‍यक्ति के चेहरे को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने लाया जाए जो ऊपरी सदन की कार्यवाही को ठीक ढंग से संचालित कर सके। साथ ही विपक्षी दलों को साध भी सके।

     

    मौजूदा हालात में उपराष्ट्रपति पद के दावेदार के तौर पर भी कई नामों पर चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा इस बात पर हो रही है कि अब दलित समुदाय से राष्ट्रपति बनाने के बाद सत्ता पक्ष उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी गैर दलित समुदाय के नेता का चुनाव करेगा।  

     

    सूत्रों के मुताबिक उपराष्ट्रपति पद पर जिन नामों पर फिलहाल चर्चा हो रही है उनमें गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल, मणिपुर की गवर्नर नजमा हेप्तुल्लाह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, बिहार के मधुबनी से बीजेपी सांसद हुकुमदेव नारायण यादव और बिहार से राज्‍यसभा सांसद सीपी ठाकुर शामिल हैं।

     

    जितने भी संभावित नाम हैं, उसके बहाने बीजेपी एक बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश करेगी। आनंदी बेन पटेल के जरिए भाजपा गुजरात के पटेल समुदाय को साध सकती है जो हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद उनसे कुछ हद तक दूर हो गया है। गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा उनके नाम पर दांव लगा सकती है।

     

    दूसरे संभावित नाम मणिपुर की गवर्नर नजमा हेप्तुल्लाह के की बात करें तो वे पहले राज्यसभा की उपसभापति रह चुकी हैंपहले उनके पास सदन की कर्यवाही चलाने का अनुभव भी है। साथ ही इनके बहाने भाजपा मुस्लिम महिलाओं को अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी।

     

    तीसरा नाम है विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का। इनकी साफ-सुथरी छवि और विपक्षी दलों को भी साथ लेकर चल सकने की क्षमता के कारण इनको उपराष्‍ट्रपति का संभावित उम्मीदवार बताया जा रहा है।

     

    बिहार के मधुबनी से बीजेपी सांसद हुकुमदेव नारायण यादव का नाम भी उपराष्ट्रपति के संभावित उम्‍मीदवारों में से है। संसद में ये अपने बयानों और बोलने के तरीकों के लिए प्रसिद्ध हैं। समय समय पर विपक्ष की खिंचाई भी करते रहते हैं। ऐसे में इनसे उम्‍मीद लगायी जा रही है कि ये राज्‍यसभा की कार्यवाही को सही तरीके से संचालित भी कर सकेंगे और विपक्ष को सही तरीके से साध सकेंगे। इनके बहाने भाजपा बिहार में अतिपिछड़ा वोट को भी साधने की कोशिश करेगी, जिस पर फिलहाल लालू यादव की मजबूत पकड़ है।

     

    पांचवां संभावित उम्‍मीदवार है बिहार से राज्‍यसभा सांसद डा. सीपी ठाकुर। इनकों उम्मीदवार बनाये जाने के पीछे यह संभावना जतायी जा रही है कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा दलित समुदाय को मौका दिया। अब सवर्ण को उपराष्‍ट्रपति बनाकर इनके वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाये रखना चाहती है। साथ ही सीपी ठाकुर की छवी भी स्वच्छ है और काफी योग्य व्यक्ति भी हैं।

     

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    इन संभावित नामों के पीछे यह देखा जा रहा है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव में उस व्यक्ति को प्राथमिकता देनी है जिनकी छवी जनता के नजर में भी सही रही है और वे राज्यसभा की कार्यवाही को भी सुचारू रूप से चला सकते हैं।

     

    लेकिन जिस तरीके से भाजपा और एनडीए ने राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को सामने लाकर विपक्ष का चारो खाने चित्त कर दिया, ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में लिए में भी भाजपा फिर कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती है। 

     

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