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UPSC की परीक्षा में इन बिहारियों का दिखा जलवा, जानिए कैसे हासिल किया मुकाम

बिहार के कई स्टूडेंट्स ने संसाधनों की कमी के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में अपन परचम लहराया है। बिहार को अपने इन होनहारों पर नाज है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 01 Jun 2017 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 01 Jun 2017 11:03 PM (IST)
UPSC की परीक्षा में इन बिहारियों का दिखा जलवा, जानिए कैसे हासिल किया मुकाम
UPSC की परीक्षा में इन बिहारियों का दिखा जलवा, जानिए कैसे हासिल किया मुकाम

पटना [जागरण टीम]। अगर इरादा पक्का हो तो संसाधन की कमी भी सफल होने से नहीं रोक सकती। संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विसेस परीक्षा 2016 के नतीजे बुधवार को आ गए। बिहार के होनहारों ने एक बार फिर परचम लहराते हुए कामयाबी हासिल की है।

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ट्यूशन पढ़ाकर सोमेश को यूपीएससी में मिली सफलता, 34वां रैंक

हौसले बुलंद हों तो मंजिल मिल ही जाती है, चाहे रास्ते में कितनी भी कठिनाइयां आ जाएं। कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया है सारण जिला मढौरा थाने के अवारी गांव निवासी सोमेश प्रकाश उपाध्याय ने। 

उसने यूपीएससी में 34वां स्थान हासिल कर बिहार में टॉप किया है। सोमेश की पढ़ाई 10वीं बंगाल बोर्ड, 12वीं साइंस देवघर, बीएससी सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता से हुई है। फिर टाटा रिसर्च इंस्टीट्यूट से एमएससी करने के बाद 2014 में यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।

लेकिन अगले ही साल 31 मई 2015 को पिता उपेंद्र उपाध्याय का निधन हो गया। इसके बाद सोमेश टूट गए। सोमेश कहते हैं तब चाचा विनोद उपाध्याय ने हौसला बढ़ाया। विनोद उपाध्याय औरंगाबाद में सैफ जवान हैं। वे कोलकाता में ही अपनी मां मंजू देवी और दो छोटी बहनों के साथ रहते हैं। 

सोमेश का परिवार शुरू से ही आर्थिक तंगी से जूझता रहा है। उसके पिता कोलकाता में प्राइवेट कंपनी में कर्मचारी थे। उनके  निधन के बाद सोमेश और उनकी दो छोटी बहनों ने ट्यूशन पढ़ाकर घर चलाया। यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी सोमेश ट्यूशन पढ़ाते थे। 

पिताजी होते तो बहुत खुश होते

संयोग ऐसा कि जिस दिन(31 मई) उसके पिता ने दुनिया को अलविदा कहा, उसी दिन सोमेश का चयन यूपीएससी में हुआ। सोमेश कहते हैं कि पिताजी होते तो बहुत खुश होते। उनका सपना था कि मैं आईएएस बनूं। सोमेश अपनी सफलता का श्रेय माता, पिता, चाचा, दोस्तों और अपने शिक्षकों को देते हैं। 

प्रेरणा दीक्षित ने पहले ही प्रयास में पाई सफलता

समस्तीपुर जिले के श्रीकृष्णापुरी मोहल्ला निवासी प्रेरणा दीक्षित ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएसएसी की परीक्षा में सफलता हासिल कर जिले का नाम पूरे देश में रोशन किया है। उन्हें ऑल इंडिया में 57वां रैंक मिला है। समस्तीपुर में पली-बढ़ीं प्रेरणा ने दसवीं की परीक्षा समस्तीपुर से ही पास की थीं। 12वीं उन्होंने पटना सेंट्रल स्कूल से किया। इसके बाद वेल्लोर से बायोटेक की पढ़ाई की। इसके बाद एनआइटी राउरकेला से एमटेक की डिग्री लीं।

इस दौरान उन्होंने इंडियन फॉरेस्ट ऑफिसर की परीक्षा दी। पहली बार में ही उन्हें इसमें सफलता मिल गई। वहां 16 वां रैंक मिला था। वर्तमान में वे झारखंड के रामगढ़ में डीएफओ के पद पर आसीन हैं। इस बार उन्होंने अपनी किस्मत यूपीएससी की परीक्षा में आजमाई और पहले ही प्रयास में 57 वां रैंक मिला।

दरभंगा की सौम्या को 58 वां रैंक

 यूपीएससी परीक्षा में शहर की बेटी डॉ. सौम्या झा को 58 वां रैंक मिला है। उसे यह सफलता पहलेे प्रयास में ही मिली। प्रारंभिक शिक्षा बंगाली टोला में हुई। डीपीएस आरके पुरम दिल्ली से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। डा. सौम्या कहती हैं कि जिस प्रकार एक चिकित्सक लोगों की सेवा में रत रहता है, उसी प्रकार प्रशासनिक अफसर बनकर समाज सेवा करूंगी।

तन्मयता से स्वाध्याय किया जाए तो किसी परीक्षा में सफलता तय है। इसके लिए किसी बड़े कोचिंग संस्थान या स्कूल में नामांकन जरूरी नहीं है। ऑनलाइन टीचिंग से स्वाध्याय और भी आसान हो गया है। 

पिता एसके झा चीफ विजिलेंस ऑफिसर ( वित्त विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली) हैं। माता मातंगी झा रेलवे अस्पताल दिल्ली में चिकित्सक हैं। खुद सौम्या मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से जुड़ी हैं। नाना पद्मश्री डा. मोहन मिश्र ख्यातिलब्ध चिकित्सक हैं। 

मोतिहारी के लिपिक को 1094 वां रैंक 

 सामान्य परिवार के अजीत कुमार ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की है। उन्हें 1094 वां रैंक मिला है। वे अभी मोतिहारी स्थित उप कृषि निदेशक के कार्यालय में लिपिक हैं। जिले के गोविंदगंज के सरेया महुआवा निवासी स्व. रघुनाथ प्रसाद व कांति देवी के पुत्र अजीत कुमार की सफलता से जश्न का माहौल है। अजीत के पिता रघुनाथ प्रखंड कृषि पदाधिकारी थे। 

शिक्षक पुत्र ने पास की सिविल सेवा परीक्षा

मुंगेर जिले के तारापुर अंतर्गत टेटिया बम्बर गांव निवासी केंद्रीय विद्यालय दीप्तिनगर कहलगांव के शिक्षक संजीव कुमार सिंह के ज्येष्ठ पुत्र कुमार संभव ने प्रथम प्रयास में ही सिविल सेवा की परीक्षा में 714 वां रैंक हासिल किया है।

कुमार संभव ने केंद्रीय विद्यालय से दसवीं की परीक्षा पास कर चिन्मया विद्यालय बोकारो स्टील सिटी से 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आइआइटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कुमार संभव का अनुज भी दिल्ली आइआइटी से इंजीनियरिंग कर रहा है। सिविल सेवा में चयन होने पर परिजन के साथ-साथ कहलगांव एनटीपीसी सहित केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों में ख़ुशी की लहर है।

एनटीपीसी के उप प्रबंधक मानस बाजपेयी का सिविल सेवा में चयन

एनटीपीसी के कहलगांव बिजलीघर में उप प्रबंधक (प्रचालन) के पद पर कार्यरत मानस बाजपेयी ने चौथे प्रयास में सिविल सर्विस की परीक्षा में 456वां स्थान प्राप्त किया है। मानस उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं। इनके पिता गिरीश चंद्र बाजपेयी इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कार्यरत हैं। मानस की प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल स्कूल मानकापुर जिला गोंडा यूपी से हुई।

दिल्ली से आइआइटी कर इंजीनियर बने। इसके बाद इनका चयन एनटीपीसी में हुआ। मानस की सफलता से एनटीपीसी कर्मियों में ख़ुशी का माहौल है। मानस फिलवक्त अपने घर लखनऊ में हैं। एनटीपीसी के पीआरओ सौरभ कुमार ने उनसे मोबाइल पर बात कराई। सौरभ बाजपेयी ने परिणाम पर प्रसन्नता जाहिर की है।

सहरसा के राकेश ने पाया 138वां रैंक 

सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में बघवा गांव के रहने वाले राकेश रंजन ने भी यूपीएससी परीक्षा में 138वां रैंक लाकर जिले का मान बढ़ाया है।

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सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में बघवा गांव के रहने वाले राकेश रंजन ने भी यूपीएससी परीक्षा में 138वां रैंक लाकर जिले का मान बढ़ाया है। झारखंड सर्किल में पोस्ट एंड टेलीग्राफ में डिप्टी डायरेक्टर, फाइनांस के पद पर कार्यरत राकेश ने यह सफलता कड़ी मेहनत के बूते हासिल की है।

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