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    नीतीश के लिए मुसीबत तो लालू की उम्मीद बने शरद यादव, जानिए

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Thu, 03 Aug 2017 11:48 PM (IST)

    बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद शरद यादव जहां नीतीश कुमार के लिए मुसीबत बन रहे हैं। वहीं वे लालू यादव की उम्मीद बन चुके हैं। वे भाजपा विरोधी अभियान में लालू का साथ दे सकते हैं।

    नीतीश के लिए मुसीबत तो लालू की उम्मीद बने शरद यादव, जानिए

    पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में महागठबंधन की सरकार गिरने के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद सियासत में अपनी साख बचाने-बढ़ाने के लिए शरद यादव से उम्मीदें लगाए हुए हैं। शरद फिलहाल नीतीश कुमार से खफा हैं। संकेत है कि भाजपा विरोधी अभियान में वे लालू का साथ दे सकते हैं। 

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    महागठबंधन के बिखरने और बिहार की सत्ता से बेदखल होने के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सियासत को किसी मजबूत सहारे की दरकार है। कांग्रेस अभी तक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरे लालू परिवार का साथ खुलकर नहीं निभा रही है। ऐसे में लालू अपनी साख बचाने के लिए शरद यादव से उम्मीदें लगाए हैं।

     

    शरद फिलहाल नीतीश से खफा चल रहे हैं। महागठबंधन टूटने के बाद शरद यादव ने कहा था कि वे खुद को जदयू में असहज महसूस कर रहे हैं। दिल्ली में वे भाजपा विरोधी तमाम नेताओं के संपर्क में हैं। शरद के इस बयान के बाद लालू ने कहा कि वे उनके साथ आ जायें और सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों को एकजूट करने का काम करें। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि भाजपा विरोधी अभियान में वह लालू का साथ दे सकते हैं। यही कारण है कि लालू परिवार शरद यादव के लगातार संपर्क में है। 

     

    नीतीश कुमार के चेहरे को आगे करके लालू बिहार के महागठबंधन फार्मूले को देशभर में आजमाने की कोशिश कर रहे थे। इस अभियान में कांग्रेस भी उनके साथ थी। सोनिया गांधी से सहमति मिलने के बाद लालू भाजपा विरोधी सभी बड़े दलों की एकजुटता की पहल कर रहे थे, किंतु सत्ता से बेदखल होते ही उनके प्रयासों पर पानी फिरता नजर आने लगा है।

     

    अदालती चक्कर में पड़े लालू के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती 27 अगस्त की भाजपा भगाओ रैली को सफल बनाने की है। राजद प्रमुख ने गांधी मैदान में रैली के दिन ही प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विकल्प तैयार करने का ऐलान कर रखा है।

     

    इस रैली में भाग लेने के लिए लालू प्रसाद ने बसपा प्रमुख मायावती, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ नीतीश कुमार को भी आमंत्रित कर रखा था, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा विरोधी किसी रैली में नीतीश के भाग लेने की कहानी पूरी तरह बंद हो चुकी है। ऐसे में लालू की कोशिश होगी कि जदयू के किसी नेता से ही नीतीश को कठघरे में खड़ा किया जाए। इसके लिए लालू की नजर में शरद से बेहतर दूसरा कोई नहीं हो सकता। 

     

    राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्‍वी यादव ने भी कहा है कि शरद यादव से बात हुई है। लालूजी ने भी बात की है और मेरी भी हुई है। वह 27 अगस्त की रैली में आएंगे। शरद शुरू से ही मंडलवादियों के साथ रहे हैं। देश को अभी उनकी जरूरत है।

     

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    लालूजी ने उन्हें जदयू से बाहर आकर देश बचाने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों का साथ देने का अनुरोध किया है। उनसे राजद में शामिल होने के लिए नहीं, बल्कि भाजपा के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा बनने का अनुरोध किया गया है। 

     

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