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    FLASHBACK 2016 : मेधा घोटले की आइकॉन बनी प्रोडिकल गर्ल रूबी, कटघरे में तोमर

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Sat, 24 Dec 2016 10:02 PM (IST)

    2016 में बिहार कई शिक्षा घोटालों के कारण सुर्खियों में रहा। इनमें बिहार बोर्ड रिजल्ट घोटाला तथा दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर का फर्जी डिग्री विवाद हेडलाइन्स बने।

    पटना [अमित आलोक]। कभी ज्ञान की भूमि रहे बिहार को वर्ष 2016 कई शिक्षा घोटालाें का दाग दे गया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड) के मेधा घोटाला ने सूबे को शर्मसार किया। इंटर आर्ट्स टॉपर की टॉपर ‘प्रोडिकल गर्ल’ रूबी राय इस घाटाले की आइकॉन बनकर उभरी। उधर, तिलकामांझी भागलपुर विवि भी दिल्ली के पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह ताेमर को फर्जी डिग्री देने के मामले में विवादों में रहा।

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    घाेटाले के साथ शुरू हुआ साल

    साल 2016 की शुरूआत बिहार कृषि विश्वविद्यालय (भागलपुर) में 161 सहायक प्राध्यापक सह जूनियर साइंटिस्ट की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के खुलासे के साथ हुई। विवि ने वर्ष 2012 में अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर ली थी। विवि प्रबंधन ने बगैर राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास किए डेढ़ दर्जन से अधिक अभ्यथियों को नौकरी दे दी। कुलपति ने नियुक्ति प्रक्रिया की रिपोर्ट सात जनवरी को कुलाधिपति सह राज्यपाल रामनाथ गोविंद को भेजी तो हड़कम्प मच गया।

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    सामने आया रिजल्ट महाघोटाला

    बिहार में इंटर की परीक्षा में रिजल्ट घोटाले का पर्दाफाश होने के कारण राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर जो काला धब्बा लगा, उसे साफ होने में शायद वर्षों लग जाएं। सेटिंग-गेटिंग के इस खेल का खुलासा मीडिया में आए एक इंटरव्यू के कारण अनजाने में ही हो गया। इंटर आर्ट्स की टॉपर रूबी राय ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में अपना विषय 'प्रोडिकल साइंस' (पॉलिटिकल साइंस) बताया तथा कहा कि इसमें खाना बनाने की पढ़ाई होती है। उधर, साइंस टॉपर सौरभ भी विषय की मूलभूत जानकारी नहीं दे सका।

    इस इंटरव्यू के सामने आने के बाद हंगामा खड़ा हो गया। बिहार बोर्ड व शिक्षा विभाग ने जांच शुरू की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की गंभीरता को समझा। उन्होंने एफआइआर करने का आदेश दिया। इसके बाद आरंभ हुई पुलिस जांच में इस महा घोटाले की परतें खुलती चली गईं। रिजल्ट घोटाले की कई शाखाएं निकलीं। टेंडर व प्रिंटिंग से लेकर अन्य कई घोटाले सामने आते गए। सिलसिला अभी भी जारी है।

    इस बीच रिजल्ट घोटाले का मास्टरमाइंड वैशाली के विशुन राय कॉलेज का प्रिंसिपल बच्चा राय गिरफ्तार कर लिया गया। बिहार बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद व उनकी पूर्व जदयू विधायक पत्नी डॉ. उषा सिन्हा को भी गिरफ्तार किया गया। बोर्ड के तत्कालीन सचिव सहित कई अन्य पर भी गाज गिरी। मामला फिलहाल कोर्ट में है।

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    सुर्खियों में रहा तोमर का डिग्री विवाद

    दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में कानून मंत्री रहे जितेंद्र सिंह तोमर के फर्जी लॉ डिग्री का मामला भी सुर्खियों में रहा। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान तोमर ने चुनाव आयोग को जो एफिडेविट दिया था, उसमें उन्होंने खुद को तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट बताया था। विवाद उनकी इसी लॉ डिग्री को लेकर पैदा हुआ। अप्रैल 2016 में एक आरटीआइ के हवाले से पता चला की उनकी डिग्री फर्जी है।

    इसके बाद मामले में जांच की मांग उठी। दिल्ली पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर इसके लिए एसआइटी का गठन किया। पुलिस टीम ने भागलपुर आकर पड़ताल की। अंतत: जून 2016 में तोमर को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।

    तोमर ने दावा किया कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान बिहार के मुंगेर स्थित विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी। पता चला कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को लॉ की डिग्री जारी कर दी गई थी।

    डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन, तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के थे। अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया। दोनों विश्वविद्यालयों ने इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर दिया।

    साल के अंतिम दौर में तोमर प्रकरण की गाज तिलकामांझी भागलपुर विवि के कई कर्मचारियों पर गिरी। तोमर की डिग्री को विवि ने अवैध करार देते हुए कुलाधिपति सह राज्यपाल से इसे रद करने की अनुशंसा कर दी। अब इसपर कुलाधिपति की औपचारिक स्वीकृति शेष है।

    बिहार में आई व्यापमं घोटाले की भी आंच

    ऐसा नहीं कि शिक्षा घाेटाले केवल बिहार में ही हुए। मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला भी सुर्खियों में रहा। लेकिन, 2016 में व्यापमं की आंच बिहार तक पुहंच गई। बिहार के विभिन्न सत्रों के करीब पांच हजार मेडिकल छात्र इस घोटाले में संदिग्ध पाए गए हैं। वे मेडिकल प्रेवश परीक्षा में दूसरे के नाम पर बैठे हैं। अब सीबीआइ बिहार के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े इन छात्र-छात्राओं का पता लगाने में जुटी है।

    घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ के अनुसार मेडिकल प्रवेश परीक्षा के इस गोरखधंधे में बड़े पैमाने पर बिहार के छात्र स्कोरर के तौर पर शामिल होते थे। इसमें 'इंजन' (फर्जी परीक्षार्थी) और 'बोगी' (असली परीक्षाथी) का कोड चलता था।

    ...और साल के अंत में एक और घोटाला

    रिजल्ट घोटाला के दाग को धोने में लगा बिहार बोर्ड साल का अंत आते-आते इंटर कंपार्टमेंटल परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में भी फंसता दिखा। बोर्ड के पास इस परीक्षा की ऐसे 350 छात्रों की कॉपियां पहुंचीं, जो परीक्षा केंद्रों की उपस्थिति पंजी में अनुपस्थित बताए गए हैं। बोर्ड के अधिकारी इस नई गड़बड़ी के सामने आने से परेशान हैं। ऐसा कई जिलों में हुआ है। संबंधित केंद्राधीक्षकों को नोटिस जारी की गई है।

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