FLASHBACK 2016 : जेल-बेल-जेल में उलझी रही शहाबुद्दीन की सियासत
साल 2016 में बिहार की राजनीति के अपराधीकरण व जंगलराज के आरोपों के केंद्र में शहाबुद्दीन का नाम सुर्खियों में रहा। पूरे साल जेल-बेल-जेल के बीच उनकी सियासत उलझी दिखी।
पटना [अमित आलोक]। बिहार में राजनीति के अपराधीकरण की बात हो और शहाबुद्दीन का नाम न आए, यह भला कैसे हो सकता है? साल 2016 की शुरूआत शहाबुद्दीन को सिवान के चर्चित एसिड बाथ मर्डर केस में उम्रकैद के साथ हुई। फिर, सिवान में पत्रकार हत्याकांड में उनकी संलिप्तता के आरोप लगे। इस बीच हाईकोर्ट से बेल मिलने पर वे पूरे तामझाम से जेल से बाहर क्या निकले, बवाल मच गया।
जेल में उनके दरबार लगते रहे, जेल से बाहर आने पर तो बाजप्ता सिवान में कई दिनों तक उनके दरबार लगे। इस बीच शहाबुद्दीन की बेल को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चर्चित वकील प्रशांत भूषण आगे आए तो राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई। सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन की बेल का विरोध किया। उन्हें फिर जेल जाना पड़ा।
फिलहाल, एसिड बाथ मर्डर व पत्रकार राजदेव हत्याकांड के वादियों ने सुप्रीम कोर्ट में शहाबुद्दीन को तिहाड जेल ट्रांसफर करने की अर्जी दी है। शहाबुद्दीन पर आइएसआइ व दाउद इब्राहिम से संबंधों के आरोप भी लगते रहे हैं।
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'साहेब' नाम से पुकारते लोग
बिहार में मो. शहाबुद्दीन के नाम के साथ एक दबंग और बाहुबली की छवि उभरती है। अपराध की दुनिया से निकला एक ऐसा नेता, जिसका नाम लेने में भी उनके इलाके के लोग कभी कांप जाते थे। वहां लोग आज भी उन्हें 'साहेब' के नाम से ही पुकारते हैं। कभी सत्ता के शिखर तक 'खास' पहुंच रखने वाले इस शख्स में पहले वाली हनक नहीं रही, लेकिन साल 2016 में बिहार की राजनीति व अपराध के कई अध्याय के केंद्र में वे बने रहे।
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एसिड बाथ डबल मर्डर में उम्रकैद
शहाबुद्दीन को आठ मामलों में सजा हो चुकी है। सिवान के चर्चित एसिड बाथ डबल मर्डर में मिली उम्रकैद उनमें सबसे ताजा मामला है। इस मामले में निचली अदालत ने उन्हें साल 2016 के आगमन के ठीक पहले उम्रकैद की सजा दी थी। शहाबुद्दीन भाकपा माले कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता के अपहरण व हत्या के मामले में पहले से ही उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
एक के बाद एक मामलों में मिली बेल
साल 2016 के दो मार्च को एसिड बाथ डबल मर्डर मामले में उन्हें पटना हाईकोर्ट से बेल मिल गई। उन्हें एक के बाद एक सभी मामलों में बेल मिलती गई और राज्य सरकार उदासीन बनी रही। अंतत: शहाबुद्दीन को एसिड बाथ डबल मर्डर के गवाह हत्याकांड में भी हाई कोर्ट ने बेल दे दी।
जेल से निकलते ही नीतीश पर हमला
हाईकोर्ट से बेल पाकर 10 सितंबर को भागलपुर जेल से निकलते ही शहाबुद्दीन ने बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया। बाहर आने पर अपने पहले बयान में उन्होंने नीतीश कुमार को 'परिस्थितियों का मुख्यमंत्री' बताया तथा उन्हें नेता मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने लालू प्रसाद को अपना नेता बताया। अपनी बाहुबली छवि बदलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे अपनी छवि नहीं बदलने वाले।
टॉल टैक्स दिए बिना गुजरा काफिला
उसी दिन सैकड़ों गाडिय़ों का उनका काफिला सिवान के लिए चला। रास्ते में 'साहेब' का काफिला टॉल टैैक्स दिए बगैर बढ़ता रहा। सिवान में उनका काफिला उस व्यवसायी चंदा बाबू के घर के सामने से भी गुजरा, जिनके दो बेटों को उनके आदेश पर एसिड से नहलाकर मार डाला गया था तथा इस हत्याकांड के एकमात्र गवाह उनके तीसरे बेटे की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस गवाह हत्याकांड में भी शहाबुद्दीन आरोपी हैं। चंदा बाबू ने शहाबुद्दीन के बाहर आने को अपनी मौत करार दिया।
विपक्ष ने सरकार पर खड़े किए सवाल
शहाबुद्दीन की रिहाई ने विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा दे दिया। महागठबंधन सरकार पर जंगल राज के आरोप लगने लगे। भारतीय जनता पार्टी सहित पूरे विपक्ष ने हाईकोर्ट में शहाबुद्दीन को एक-एक कर सभी मामलों में बेल मिलने और सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए।
चंदा बाबू को मिला प्रशांत भूषण का सहारा
उधर, तीन बेटों को खो चुके चंदा बाबू ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लडऩे के सामथ्र्य से इंकार कर परिस्थितियों से समझौता कर लिया था। लेकिन, समय ने करवट ली और सुप्रीम कोर्ट के वरीय वकील प्रशांत भूषण के हाथ मदद के लिए आगे बढ़े। दरअसल, इस मामले की गूंज मीडिया के माध्यम से पूरे देश में सुनाई देने लगी। इसके बाद प्रशांत भूषण ने पीडि़त परिजनों को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया।
बैकफुट पर आई सरकार भी पहुंची सुप्रीम कोर्ट
प्रशांत भूषण ने चंदा बाब से संपर्क कर शहाबुद्दीन को मिली बेल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी तो बैकफुट पर आई राज्य सरकार ने भी विलंब से ही सही, शहाबुद्दीन की बेल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
शहाबुद्दीन को जाना पड़ा जेल
अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने बेल को खारिज कर दिया। शहाबुद्दीन को फिर जेल जाना पड़ा। इसपर समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा। यह गुस्सा अपनी महागठबंघन सरकार के खिलाफ था।
मुख्यमंत्री के खिलाफ उबले शहाबुद्दीन समर्थक
शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद सिवान में राजद में उनकी एक अलग धारा दिखाई दी। समर्थकों ने एलान किया कि शहाबुद्दीन को छोड़कर सिवान में राजद की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री को आरोपित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में गलत तथ्य पेश कर जमानत को निरस्त कराया गया है।
एमएलए ने बता दिया 'भगवान'
शहाबुद्दीन की सिवान में पार्टी पर पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अक्टूबर में सिवान के राजद विधायक हरिशंकर यादव ने उन्हें गरीब, शोषित, पीडि़त जनता का भगवान बताते हुए कहा कि वे ताउम्र उनके साथ हैं।
विवादों में रही थी मंत्री से मुलाकात
शहाबुद्दीन जब सिवान जेल में थे, तब बिहार सरकार में मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर उनसे मिलने सिवान जेल गए। यह मामला नौ मार्च को उजागर हुआ। एक मंत्री की एक सजायाफ्ता अपराधी से इस मुलाकात पर विपक्ष ने जमकर हंगामा खड़ा किया। हालांकि गफूर ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया।
जेल में लगते रहे जनता दरबार
बात शिष्टाचार मुलाकात की हो तो यह बताना लाजिमी है कि सिवान आने वाले कई अन्य नेताओं ने भी शहाबुद्दीन के दरबार में मत्था टेका। इस दौरान अपने जनता दरबार के लिए जाने जाने वाले शहाबुद्दीन का आम जनता से मिलना जारी रहा। जेल प्रशासन ने समय-समय पर इससे इंकार किया, लेकिन सिवान के सर्चित पत्रकार राजदेव हत्याकांड की जांच के दौरान जब शक की सूई सिवान जेल की तरफ भी घूमी तब इसमें शहाबुद्दीन पर भी अंगुली उठी। इस दौरान एक दिन अचानक सिवान जेल पहुंचे एसपी ने वहां दरबार लगाए शहाबुद्दीन को देखा और इसकी रिपोर्ट सरकार को दी।
रातोंरात भेजे गए भागलपुर जेल
बदली परिस्थितियों में उन्हें रातोंरात भागलपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। वहां उनसे मिलने वालों पर कड़ी निगरानी रखी गई।
लगा पत्रकार की हत्या का आरोप
इसके पहले शहाब्द्दीन पर सीवान के बहुचर्चित पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड मामले में सीबीआइ की तलवार लटक चुकी था। राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने पति की हत्या में शहाबुद्दीन की संलिप्तता का आरोप लगाया। सीबीआइ ने इस मामले में सभी आरोपियों के अलावा शहाबुद्दीन के करीबी हमीद रजा उर्फ डब्ल्यू खान से पूछताछ की। सीबीआइ ने बक्सर जेल में बंद शहाबुद्ीन के करीबी लड्डन मियां से भी लंबी पूछताछ की। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीबीआइ फिलहाल पूर्व सांसद की संलिप्तता के तार तलाश रही है।
सीबीआइ 15 सितंबर को पहली बार इस मामले की जांच करने पहुंची थी। तीन महीने में उसे जांच पूरी करनी थी, लेकिन यह अभी तक अधूरी बताई जा रही है।
आशा रंजन भी गईं सुप्रीम कोर्ट, मिली धमकी
इस बीच राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने शहाबुद्दीन की संलिप्तता के आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है। इस मामले में भी वकील वही प्रशांत भूषण हैं, जो एसिड बार्थ मर्डर के पाीडि़त चंदा बाबू का मुदकमा लड़ रहे हैं। दोनों मुकदमों में शहाबुद्दीन को सिवान से तिहाड़ जेल तथा उसके मुकदमों को दिल्ली स्थानांतरित करने की अर्जी दी गई है। इस मामले में सुनवाई अंतिम चरण में है।
एक और अपराधक की पटकथा तैयार
लेकिन, साल के अंत में शहाबुद्दीन के नाम पर एक और अपराध की पटकथा तैयार है। राजदेव रंजन की पत्नी को फोन पर शहाबुद्दीन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर मुकदमे को वापस लेने के लिए धमकियां दी गई हैं।
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