पटना में बोले मो. अजीज, जो किया अपने दम पर, मेरे लिए गॉड ही गॉड फादर
हरदिल अजीज गायक मो. अजीज करीब एक दशक तक हिंदी फिल्मी गीतों के पर्याय बने रहे। उनकी जादुई आवाज सुन आज भी बढ़ते कदम ठिठकने लगते हैं। उनका कहना है कि गॉड ही उनके गॉड फादर हैं।
पटना [सुधीर]। हरदिल अजीज गायक मो. अजीज करीब एक दशक तक हिंदी फिल्मी गीतों के पर्याय बने रहे। उनकी जादुई आवाज सुन आज भी बढ़ते कदम ठिठकने लगते हैं। गुरुवार को अजीज पटना में थे। उन्होंने अपनी जिंदगी से लेकर संगीत की दुनिया के दूसरे मसलों पर विशेष बातचीत की। आइए जानें उनकी कुछ राज की बातें...
बिहार के साथ अपने रिश्ते को आप किस रूप में याद करते हैं?
मैं बंगाल का हूं। वहां हर जगह पटना, गया मुजफ्फरपुर, दरभंगा आदि के लोग हैं। बचपन से उन्हें देखा। इधर बिहार बहुत तेजी से बदला है। पहले जो भय का माहौल था, वह खत्म हुआ। मेरे जो साथी मुंबई में बिहार के नाम पर मना करते हैं, उन्हें कहता हूं कि वहां जरूर जाओ। अब बिहार बहुत बदल गया है। बहुत अच्छा महसूस होता है। आशुतोष पांडेय ने यहां आने के लिए कहा तो तुरंत चला आया।
एक ऐसा दौर रहा, जब फिल्मों में आपका कोई विकल्प ही नहीं था। अचानक ऐसा क्या हुआ कि आप ओझल हो गए?
एवरेस्ट पर झंडा गाडऩे के बाद वहां कोई बसता नहीं है। मन में कोई इच्छा बची नहीं है। सारी इच्छाएं पूरी हुईं। नौशाद, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, आरडी बर्मन, ओपी नैयर, बप्पी लहरी, राजेश रौशन आदि के साथ खूब गाया। और क्या चाहिए? हर जगह मेरे चाहने वाले बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
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फिर भी अचानक ओझल होना इतना सामान्य नहीं है। क्या आप फिल्मी दुनिया की गुटबाजी के शिकार हुए या कोई और वजह रही?
कॉरपोरेट कल्चर आने के बाद काफी कुछ बदल गया। उसी समय इलेक्ट्रॉनिक चैनल भी आए। योग्यता से अधिक वैसे लोगों को तरजीह मिलने लगी, जो टीवी पर बहुत अधिक चेहरा दिखाते थे। मैंने अपना स्वाभिमान भी बचाकर रखा। जैसे ही लगा कि मुझे इग्नोर किया जा रहा है, मैं हट गया। अधिकतर गायक गॉडफादर के दम पर बढ़े। जैसे सोनू निगम के टी सीरीज। मैंने जो भी किया, अपने दम पर किया। मेरे लिए गॉड ही गॉड फादर है।
आप गॉडफादर के बहाने सोनू निगम आदि का नाम लेना चाह रहे हैं। अभी कॉपीराइट को लेकर टी सीरीज व सोनू निगम के बीच विवाद हुआ। इससे पहले लता और राजकपूर के बीच विवाद हुआ था। आप इसमें कहां हैं?
हमारे भी बाल-बच्चे हैं। हमें और हमारे बच्चों को रॉयल्टी मिले, यह हम भी चाहते हैं।
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ऐ मेरे दोस्त लौट के आजा..., सारे शिकवे गिले भूला के कहो..., मितवा भूल न जाना आदि गीत का नकल करना किसी के लिए भी मुश्किल हो जाता है। मंद्र सप्तक से तार सप्तक तक आप इतनी आसानी से कैसे गाते रहे? आपका नाम सातवां सुर हो गया था।
पहले तो यह बता दूं कि मेरे कई ऐसे गीत हैं, जो मुझे भी गाने में दिक्कत होती है। यह ऊपरवाले की देन है। तार सप्तक में अधिक गाने के कारण लोगों ने सातवां सुर कहना शुरू कर दिया।
बंगला से शुरुआत कर हिंदी होते हुए अब उडिय़ा में सक्रिय हैं। उडिय़ा तक कैसे पहुंच गए?
मैंने देश की तमाम भाषाओं में गाया है। यहां तक कि बहुत सारे गीत भोजपुरी में भी गाए। इनमें अधिकांश सैड सांग हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में मैंने गायन किया है।
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गायकों और अन्य कलाकारों को सीमाओं के दायरे से बांधा जा रहा है। आप क्या सोचते हैं?
गायकों और कलाकारों को रोका नहीं जा सकता। उन्हें रोकने का अभियान सफल नहीं हो सकेगा। मेरे चाहने वाले भी पूरी दुनिया में हैं। हर महीने दर्जन से अधिक प्रोग्राम होते हैं।
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