पहचाना गया BSSC पेपर लीक का 'गुरू-घंटाल', रंजीत डॉन का है शागिर्द
बीएसएससी पेपर लीक का मास्टरमाइंड गुरुजी आखिर पहचान लिया गया। वह नालंदा का निवासी है। राजनीतिक संरक्षण में पेपर लीक का धंधा चलाने वाला गुरुजी रंजीत डॉन का शागिर्द रहा है।
पटना [जेएनएन]। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के पेपर लीक मामले के 'गुरू-घंटाल' गुरुजी की शिनाख्त आखिरकार एसआइटी (स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग टीम) ने कर ही ली। गुरुजी का असली नाम संजीव है, जो नालंदा जिले के नूरसराय थाना क्षेत्र का रहने वाला है। उसकी पत्नी मुखिया है। खास बात यह भी है कि वह कुख्यात रंजीत डॉन का शागिर्द रहा है तथा उसे कई राजनेताओं का सरंक्षण प्राप्त है।
गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने आठ सितंबर को ही उसकी पहचान का खुलासा कर दिया था, जिसपर एसआइटी ने बुधवार को मुहर लगा दी। क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक नैय्यर हसनैन खान ने बताया कि उसकी गिरफ्तारी के लिए एसआइटी नालंदा रवाना हो चुकी है। लेकिन, अभी तक सफलता नहीं मिली है।
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पेपर लीक कर बनाई करोड़ों की संपत्ति
प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार कराने के धंधे में गुरुजी वर्ष 2010 से शामिल है। वह 2012 में दोस्त अभिषेक के साथ पहली बार पुलिस की गिरफ्त में आया था। अभ्यर्थी के बदले स्कॉलर बनकर बैठने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था। इसको लेकर वह लगभग 10 महीने तक बेउर जेल में बंद रहा।
जेल से छूटने के कुछ महीने बाद दोबारा उसे नकल कराने के आरोप में पकड़ा गया था। इस मामले में वह चार माह तक फुलवारीशरीफ जेल में बंद था। इस गोरखधंधे से उसने करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाई।
खुद को बताता था कॉलेज का प्रोफेसर
सेटिंग के खेल में जुड़े लोगों के सामने संजीव खुद को भागलपुर के निजी कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर बताता था। एसआइटी की जांच में यह जानकारी गलत साबित हुई। दरअसल, उसके गिरोह में कई निजी स्कूल और कोचिंग संचालक जुड़े हैं, जो उसे गुरुजी के नाम से बुलाते हैं। गिरोह का हर गुर्गा अपने से बड़े शातिर को इसी नाम से पुकारता है।
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गुरुजी ने संभाला रंजीत डॉन का कारोबार
संजीव उर्फ गुरुजी और अभिषेक शातिर रंजीत डॉन के चेले हैं। पहले वे डॉन के लिए दलाली करते थे। उसके पकड़े जाने के बाद इन दोनों ने उसका कारोबार संभाल लिया। अभिषेक शेखपुरा का रहने वाला है। दो बार जेल जाने के बाद उसने खुद के लिए सेटिंग की और सरकारी नौकरी पाकर गुरुजी ने नाता तोड़ दिया। सूत्र बताते हैं कि पांच फरवरी को एसआइटी ने उसे हिरासत में लिया था। ठोस साक्ष्य नहीं मिलने पर उसे छोड़ दिया गया।
मिला है राजनेताओं का संरक्षण
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो गुरुजी को नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। वह चुनाव लडऩे के लिए नेताओं को चंदे के रूप में मोटी रकम देता है। शीर्ष तक पैठ बनाने के लिए उसने पत्नी को राजनीति में उतारा। दिग्गज नेताओं की मदद से वह परीक्षा केंद्र पर भी धांधली करवाता था। ऊंची पहुंच होने के कारण इलाकाई पुलिस भी उसे पकडऩे की हिम्मत नहीं जुटा पाई। उसका पार्टनर राजीव रंजन भी एसआइटी की रडार पर है।
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