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    मांझी का तंज : JDU नेताओं को शराब पिलाने के लिए UP में रैली करते नीतीश

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2016 11:21 PM (IST)

    पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार पर जमकर तंज कसे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार यूपी में अपने नेताओं को शराब पिलाने के लिए शराबबंदी रैलियां कर रहे हैं।

    पटना [जेएनएन]। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने दलितों को अपना अलग दलित जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकारी दिए जाने की मांग को लेकर एक नई राजनीतिक बहस की शुरुआत कर दी है। उन्होंने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जदयू नेताओं व कार्यकर्ताओं को शराब पिलाने के लिए उत्तर प्रदेश में शराबबंदी रैली का आयोजन कर रहे हैं।

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    रैलियों के दौरान शराब पीते जदयू नेता-कार्यकर्ता

    मांझी ने रविवार को पटना में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नीतीश कुमार घूम-घूमकर खुद को शराबबंदी के बांड अंबेसडर के रूप में पेश कर रहे हैं। लेकिन, उनके ही दल के लोग शराबबंदी रैलियों में शराब का लुत्फ भी उठा रहे हैं। इलाहाबाद में जदयू की रैली में उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं की कारगुजारी सबके सामने है।

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    यूपी में नीतीश की कोई हैसियत नहीं

    मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार व उनकी पार्टी की उत्तर प्रदेश में कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है। फिर भी वे वहां घूम रहे हैं।

    शराब पीना खराब तो उत्पादन क्यों?

    उन्होंने पूछा कि शराबंबदी के बावजूद ईसाइयों को शराब बनाने और उसका सेवन करने का अधिकार कैसे दिया गया? साथ ही यह भी जानना चाहा कि यदि शराब खराब है तो फिर बिहार में शराब बनाने और देश के अन्य राज्यों में बेचने का क्या औचित्य है?

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    दलित निर्वाचक क्षेत्र की मिले सुविधा

    मांझी ने कहा कि आजादी के 69 साल बाद भी दलितों काे न राजनीतिक और शैक्षणिक सुविधाएं नहीं मिली हैं।दलितों को आजादी से अपना जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार तक नहीं है। इसलिए दलितों के लिए शिक्षक निर्वाचक क्षेत्र की तरह दलित निर्वाचक क्षेत्र की सुविधा दी जाए। यह सुविधा मिलने से दलित न केवल अपना जनप्रतिनिधि चुन सकेंगे, बल्कि अनारक्षित श्रेणी के जनप्रतिनिधियों को भी अपना वोट दे सकेंगे।

    समाप्त हों विधान परिषद जैसी संस्थाएं

    नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार यदि राज्यपाल का पद समाप्त करने की मांग कर रहे हैं तो उन्हें विधान परिषद जैसी संस्थाओं को भी समाप्त करने की मांग करनी चाहिए, ताकि बैकडोर से किसी को जनप्रतिनिधि बनने का मौका नहीं मिले।

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