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    वकील के 'भूत' ने करा दी थी जमानत, अब क्या होगा जानिए....

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 06 Jul 2016 10:51 PM (IST)

    पटना हाईकोर्ट में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जिसमें तीन साल पहले मर चुके एक वकील ने पैरवी कर अभियुक्तों की जमानत करा दी। कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच कराने की बात कही है।

    पटना [राज्य ब्यूरो]। रिकार्ड में हेराफेरी से जमानत के मामले में मंगलवार को हुए खुलासे से हाईकोर्ट भी चौंकी रही। तीन साल पहले मरे वकील ने हाईकोर्ट में पैरवी कर अभियुक्तों की जमानत कैसे कराई यह माजरा समझने के लिए हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए।

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    साथ ही तीनों आरोपियों की जमानत रद करते हुए उनकी गिरफ्तारी के निर्देश भी दिए। न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की अदालत ने एक महीने में वकीलों की सूची के रिन्यूअल के भी आदेश दिए।

    यह है पूरा मामला

    पिछले वर्ष 15 मई को राजस्व आसूचना निदेशालय की क्षेत्रीय इकाई ने 277 किलोग्राम गांजा जब्त किया था। इस केस में वैशाली के सुबोध कुमार सिंह और असम के नवल कुमार सहनी एवं वही के नूर आलम गिरफ्तार किए गये थे।

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    बताते हैं कि इस मामले में जमानत मुश्किल थी। इसलिए प्राथमिकी एवं जब्ती सूची में छेड़छाड़ कर गांजे का वजन 277 किलो से घटाकर 77 किलो कर दिया गया। इसके बाद भी आरोपियों को जमानत नहीं मिली। तब शातिरों ने एक नया दांव आजमाया। फिर हेराफेरी कर 277 किलोग्राम गांजे का वजन सिर्फ 7 किलोग्र्राम बता जमानत ले ली गई।

    अदालत को रखा गया अनजान

    जिस याचिका के जरिए जमानत मिली उसमें भी अदालत को अंधेरे में रखा गया। यह नहीं बताया गया कि इस मामले पर पहले भी सुनवाई हो चुकी है। इधर जमानत की सूचना मिलने पर राजस्व आसूचना निदेशालय ने अदालत को गांजे की मात्रा में की गई हेराफेरी के बारे में जानकारी दी।

    तीन साल पहले मर चुके वकील के नाम से हुआ था केस

    सुनवाई में यह भी पता चला कि जिस वकील रणविजय कुमार सिंह के नाम से केस दायर हुआ था, उनकी तीन साल पहले ही मौत हो चुकी है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्री आफिस से मिली जानकारी के अनुसार वकील के मरने के बाद उनके नाम से 18 केस दाखिल किए गए थे। यह मामला खुला तो अदालत ने लगभग नौ हजार एडवोकेट आन रिकार्ड वकीलों का नवीकरण कराने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस संबंध में हाईकोर्ट प्रशासन को पत्र भी लिखा है।

    अब होगी वकीलों की भी जांंच

    अदालत को जानकारी दी गयी कि करीब तीन दर्जन वकीलों का निधन हो चुका है इसके बावजूद उन्हें एडवोकेट ऑन रिकार्ड माना जा रहा है। तब कोर्ट ने एक महीने के भीतर एडवोकेट ऑन रिकार्ड बने 9 हजार वकीलों का नवीकरण कराने का निर्देश दिया।

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