मायवती को राज्यसभा भेजेंगे लालू! जानिए मामला
लालू यादव अपने बेटे के राजनैतिक भविष्य को संवारने और देश में भाजपा विरोधी ताकतों को एकजूट करने के लिए बसपा सुप्रीमों मायावती को राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया है।
पटना [रवि रंजन]। बसपा सुप्रीमो मायावती का राज्यसभा में कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ 19 एमएलए जीत पाए हैं। ऐसे में चर्चा है कि उन्हें राज्यसभा पहुंचाने को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद गंभीर हैं। उनका मानना है कि संसद में मायावती का होना सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के लिए बहुत जरूरी है।
राजद सूत्रों के मुताबिक लालू प्रसाद यादव ने बीएसपी अध्यक्ष मायावती को बिहार से राज्यसभा में भेजे जाने का ऑफर दिया है। लालू चाहते हैं कि मायावती अगली बार राज्यसभा में जरूर पहुंचे ताकि केंद्र में भाजपा विरोधी ताकतों को मजबूत किया जा सके।
दरअसल, यूपी से दोबारा राज्यसभा के लिए चुने जाने के लिए मायावती को 37 विधायकों की जरूरत होगी जबकि विधान परिषद में पहुंचने के लिए भी 29 विधायकों की जरूरत होगी। लेकिन, यूपी में बसपा के पास महज 19 विधायक जीतकर आए हैं। ऐसे में मायावती न राज्यसभा के लिए और न ही विधानपरिषद के लिए ही चुनी जा सकती हैं।
MY समीकरण को मजबूत करने की कोशिश
लालू यादव मायावती को राज्यसभा में भेजकर मुस्लिम -यादव समीकरण में दलित को भी शामिल करना चाहते हैं, ताकि उसका फायदा आने वाले लोकसभा चुनाव में मिले। उनका वोटबैंक मजबूत हो ।
बिहार में भी अगले साल राज्यसभा कि छह सीटों के लिए भी चुनाव होना है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और धर्मेंद्र प्रधान का कार्यकाल पूरा हो रहा है जबकि, जेडीयू से प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, अली अनवर अंसारी, अनिल कुमार सहनी और महेंद्र प्रसाद का कार्यकाल खत्म हो रहा है। संख्या बल के हिसाब से मायावती अगर तैयार हो जाती हैं तो आरजेडी कोटे से उन्हें राज्यसभा सीट मिल सकती है।
मुसलिम, यादव और दलितों को एकजुट करने की लालू यादव की कोशिश कितना रंग लायेगी, ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। लेकिन वर्तमान हालात को देखें तो यूपी में बसपा का पूरी तरह से सफाया हो चुका है। दलित वोट भी बिखर चुका है। पार्टी के भविष्य और वजूद पर सवालिया निशान लग गया है।
मायावती का आधार माने जाने वाले दलित वोट बैंक में भी बीजेपी सेंध लगा चुकी है। मायावती का जनाधार केवल यूपी तक ही सिमटा हुआ है। जब 2007 में वे पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई थी, उस समय भी बिहार के दलितों के बीच मायावती की पकड़ न के बराबर थी। बिहार के दलितों ने कभी भी मायावती को अपने नेता के रूप में स्वीकार नहीं किया।
वर्तमान में लालू यादव काफी मुश्किलों में घिरे हुए हैं। चारा घोटाले मामले में भी फैसला उनके खिलाफ आया है। वहीं, बिहार में भाजपा नेता सुशील मोदी उनके दोनों बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव सहित बेटी मीसा भारती के खिलाफ अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने का अरोप लगा रहे हैं। जिस तरीके से लालू यादव को चारा घोटाले के सहारे दागदार घोषित कर उनके राजनीति को समाप्त किया था। जनता के मन में उनकी नकारात्मक छवी बनायी थी, ठीक उसी तरह अब विपक्षी लालू परिवार के खिलाफ जनता के दिमाग में नकारात्मक छवी बनाने में जुटे हुए हैं।
ऐसे बदले हालात में लालू यादव अपने बेटों के राजनीतिक कैरियर पर किसी तरह का दाग नहीं आने देना चाहते हैं। इसलिए वे भाजपा को कमजोर करने के लिए तमाम विरोधी दलों को एकजूट करने की कोशिश में जुट गये हैं।इसलिए मायावती को राजद कोटे से राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया है।
इसी क्रम में लालू मायावती से लेकर मुलायम और अखिलेश, ममता से लेकर सोनिया तक सबको एक साथ एक मंच पर लाने की तैयारी कर रहे हैं। आगामी 27 अगस्त को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आरजेडी बड़ी रैली करने जा रही है। लालू प्रसाद यादव की कोशिश है कि इस रैली के माध्यम से बीजेपी विरोधी दलों का एक बड़ा जमावड़ा किया जाए। इसके लिए लालू ने मायावती को भी इस रैली में आने का न्योता दिया है।
यदि मायावती राजद के कोटे से राज्यसभा जाती हैं तो विरोधियों को उनके उपर हमला करने का मौका मिल जायेगा। ऐसे में उनकी अपनी वास्तविक छवी खराब हो सकती है। खुद के राजनीतिक आधार के खिसकने का डर है।
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अब देखना है कि लालू यादव की इस बड़ी रैली में उनके साथ कौन होगा। अगर इस रैली में कांग्रेस के नेताओं के साथ-साथ माया, मुलायम, समेत और दूसरे बीजेपी विरोधी दल के नेता मंच साझा करते हैं तो लालू की पेरशानी थोड़ी कम होगी। वे भाजपा द्वारा किये जा रहे हमले का करारा जवाब देंगे।
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