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    हाइकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा- राजनीति ही होगी या कुछ काम भी होगा?

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 19 Jul 2017 11:36 PM (IST)

    हाइकोर्ट ने बिहार सरकार के काम-काज पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोई कामकाज भी होगा या केवल राजनीति होती रहेगी?

    हाइकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा- राजनीति ही होगी या कुछ काम भी होगा?

     पटना [जेएनएन]। पटना हाईकोर्ट ने सिपाही की बहाली में हुई गड़बड़ी को लेकर मंगलवार को राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- हद है कि सिपाही की बहाली भी राजनीति और वोट बैंक को ध्यान में रखकर की जाती है। कोर्ट ने सरकार से पूछा- केवल वोट की राजनीति करनी है या कोई काम भी करना है? जब बहाली सही ढंग से नहीं करनी है, तो रिक्तियों का सब्जबाग क्यों दिखाते हैं जनता को?

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    कोर्ट ने पुलिस महकमे को नियुक्ति एवं रिक्ति संबंधित मास्टर चार्ट को पेश करने का निर्देश दिया। 2009 में 10 हजार सिपाहियों की बहाली हुई थी। इसमें गड़बड़ी का आरोप है। सोमवार को फिर सुनवाई होगी।

     

    न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य सरकार तथा अन्य 50 अपील पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पुष्कर नारायण शाही ने कोर्ट को बताया कि बहाली में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है।

     

    वरीय अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद सिंह तथा चितरंजन सिन्हा की दलील थी नियुक्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। सिपाही बहाली का यह मामला हाईकोर्ट में पहले भी आया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया। अब लौटकर फिर हाईकोर्ट में आया है।

     

    मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने पीआईएल फोरम की जनहित याचिका को सुनते हुए जिला प्रशासन, पटना पुलिस व पटना नगर निगम से कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

     

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    याचिकाकर्ता के वकील शशिभूषण कुमार ने कोर्ट को दर्शाया कि पटना में चौड़ी सड़कों पर भी नगर निगम के कूड़ेदाना को बीचोंबीच रख दिए जाने पर सड़कों के बीच बिजली के पोल गड़े होने के कारण और मुख्य सड़कों के फ्लैंक पर फर्नीचर और स्टील दुकानदारों द्वारा भारी सामान रख दिए जाने के कारण जाम की समस्या हो जाती है। यह सब पटना पुलिस और नगर निगम की लापरवाही का नतीजा है।

     

    हाईकोर्ट ने इन सभी बिंदुओं पर अलग-अलग जवाब दायर करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी।

     

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