सूबे में सबसे बड़ी आपदा बन रही अगलगी, दो वर्षों में हुई इतने लोगों की मौत
अगलगी बिहार की सबसे बड़ी आपदा बनती जा रही है। हर साल इसके कारण सैंकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो जाती है। करोड़ों का नुकसान होता है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में अगलगी अब बाढ़ एवं अन्य आपदाओं की तरह ही भयावह और जानलेवा होने लगी है। जान-माल के नुकसान के आंकड़े बताते हैं कि सूबे में बाढ़ के बाद आग भी बड़ी आपदाओं में शुमार हो गई है।
पिछले साल आग से मौत का आंकड़ा 264 तक पहुंच गया था। इस बार भी अप्रैल के शुरू में ही हजारों एकड़ फसल खाक हो चुकी हैं और इसमें अब तक 15 लोगों की जानें जा चुकी हैं। 357 जानवर भी मारे गए हैंं।
जाहिर है, पिछले साल की घटनाओं से भी कोई सबक नहीं लिया गया। अभी तक करीब आधा दर्जन जिलों में आग ने अपना विकराल रूप दिखाया है। इससे जान-माल और खेतों में तैयार खड़ी रबी की फसलें जलकर राख हो गईं।
आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि इस वर्ष जनवरी से अबतक करीब साढ़े तीन महीने के दौरान शाम पांच बजे के पहले आग लगने की कुल 1110 घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि शाम पांच बजे के बाद सिर्फ 88 घटनाओं का आंकड़ा है। इससे स्पष्ट होता है कि पछुआ हवा और उच्चतम पारा के कारण छोटी सी चिनगारी भी विनाशकारी बन जा रही है।
दिन में अगर थोड़ी सी अतिरिक्त सावधानी बरती जाए तो आग को भयावह होने एवं इससे होने वाले नुकसान पर बहुत हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। पिछले वर्ष 22 अप्रैल को औरंगाबाद जि़ले में आग लगने से 13 लोग जलकर मर गए थे।
यह भी पढ़ें: हथियार के बल पर गया में दिनदहाड़े साढ़े चार लाख की लूट
प्राधिकरण ने जारी की सलाह
अगलगी ऐसी आपदा है, जिससे सतर्क रहकर बचा जा सकता है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी ने गांवों में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ग्रामीण इलाक़ो में सुबह नौ बजे के बाद और शाम छह बजे से पहले लोगों को खाना न बनाने की सलाह दी है। साथ ही हवन-पूजन भी सुबह नौ बजे के पहले ही करने का अनुरोध किया है। साथ ही सरकार ने गेहूं का भूसा और डंठल जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।