लालू को ले धर्मसंकट में कांग्रेस, सेक्युलर एका में बाधा बने RJD सुप्रीमो पर लगे आरोप
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर लगे आरोपों को लेकर कांग्रेस धर्मसंकट में पड़ गई है। सेक्युलर एकता के प्रयासों के बीच उसे लालू को लेकर जवाब देने होंगे।
पटना [राज्य ब्यूरो]। राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर लगे आरोपों ने कांग्रेस का धर्मसंकट बढ़ा दिया है। अब वह इस आकलन में जुटी है कि सेक्युलर ताकतों को एक मंच पर लाने की मुहिम में राजद प्रमुख लालू प्रसाद को शामिल किया जाए या नहीं।
कांग्रेस के इस पशोपेस की वजह भी साफ है। वह जानती है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति को मुद्दा बनाकर मैदान में उतरेगी। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले सेक्युलर गठबंधन में यदि लालू प्रसाद रहेंगे तो उसका जवाब कांग्रेस को ही देना होगा।
जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए लालू प्रसाद कभी भी पसंदीदा नहीं रहे हैं। बावजूद बिहार में सत्ता से वर्षों से दूर बैठी कांग्रेस ने उस महागठबंधन में शामिल होने का फैसला किया, जिसमें लालू प्रसाद भी थे।
कुछ मामूली परेशानियों को छोड़ दिया जाए तो पिछले तीन सालों में बिहार में इन दलों के बीच कोई विशेष राजनीतिक अनबन नहीं हुई। बिहार में हुए सफल प्रयोग और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पराजय के बाद कांग्रेस ने यह जान लिया है कि सेक्युलर ताकतों को एक मंच पर लाए बगैर भाजपा को चुनौती देना आसान नहीं होगा।
उसने अपनी इस मुहिम का आगाज ही किया था कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद तमाम आरोपों में घिर गए। पहले जेल में बंद पार्टी के पूर्व सांसद से उनकी फोन पर बातचीत। इसके बाद बेनामी संपत्ति को लेकर लगते आरोप ठंडे भी नहीं पड़े थे कि अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आरोपी मानते हुए कार्रवाई चलाने का निर्देश दिया है।
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इससे सबसे ज्यादा असहज कांग्रेस ही है। कांग्रेस मानती है कि राष्ट्रीय स्तर का दल होने की वजह से सेक्युलर ताकतों को एक मंच पर लाने की बड़ी जवाबदेही उसके ऊपर है। लेकिन, जब उसकी मुहिम शुरू होगी तो उसे साथ आने वाले दलों को लालू प्रसाद के बारे में जवाब देना होगा। सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस किस-किस का मुंह बंद करेगी।
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