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    छेड़खानी के आरोपी BJP MLC का मामला आचार समिति के हवाले, बैठक आज

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Sun, 02 Apr 2017 10:42 PM (IST)

    बिहार में भाजपा एमएलसी लालबाबू राय पर सदन में एक महिला एमएलसी से छेड़खानी के गंभीर आरोप लगे हैं। इसे लेकर सदन की आचार समिति की बैठक आज हो रही है।

    छेड़खानी के आरोपी BJP MLC का मामला आचार समिति के हवाले, बैठक आज

    पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार विधान परिषद में महिला सदस्य से छेडख़ानी के आरोप में भाजपा एमएलसी लालबाबू प्रसाद गुप्ता बुरी तरह घिरे नजर आ रहे हैं। उनपर मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान से हाथापाई एवं अभद्र व्यवहार का भी आरोप है। इन मामलों में उनकी सदस्यता भी जा सकती है।

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    सभापति अवधेश नारायण सिंह ने दोनों मामले को आचार समिति को सौंप दिया है। बजट सत्र की समाप्ति के बाद आचार समिति की एक अनौपचारिक बैठक रविवार को होनी है। माना जा रहा है कि इसी दिन समिति के पास आधिकारिक रूप से लालबाबू गुप्ता का मामला सूचीबद्ध हो जाएगा। फिर अगली बैठक की तिथि निर्धारित कर सुनवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

    चूंकि घटना विधानमंडल परिसर का है, इसलिए आचार समिति इस मामले को अति गंभीर मान रही है। समिति के सभापति पीके शाही के मुताबिक इसमें विलंब करने की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। जल्द ही दोनों पक्षों को बुलाया जाएगा। उनकी बातें सुनी जाएंगी। प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही भी अहम होगी। निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए फुटेज का भी सहारा लिया जाएगा।

    अदालत में भी चुनौती नहीं
    समिति की अनुशंसा पर सभापति जो फैसला लेंगे, उसे मजबूत आधार देने के लिए हाउस में भी रखा जा सकता है, ताकि अदालत में इसे चुनौती नहीं दी जा सके। सदन के मामलों में अभी तक जितने लोगों की सदस्यता खत्म हुई है, उनमें अदालत से किसी को राहत नहीं मिली है। इसकी वजह है कि सदन के अंदर के मामले में कोर्ट को भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

    क्या-क्या हो सकती है सजा
    आचार समिति के सदस्य राम वचन राय के मुताबिक ऐसे मामलों में आरोप साबित होने पर चार तरह की सजा का प्रावधान है। पहला निंदन। इसमें सामान्य शब्दों में दोषी सदस्यों के व्यवहार की निंदा की जाती है। दूसरी सजा है भर्त्‍सना की। इसमें दोषी सदस्य के व्यवहार की व्याख्या कठोर शब्दों में की जाती है और उन्हें चेतावनी भी दी जाती है।

    तीसरे प्रावधान के मुताबिक दोषी सदस्य को सदन से एक निश्चित अवधि के लिए विरमित किया जाता है। मामले की गंभीरता पर निर्भर करता है कि कितने दिनों के लिए विरमित किया जाए। कभी किसी मामले में दो-चार या पांच दिनों के लिए और कभी कभी पूरे सत्र के लिए विरमित कर दिया जाता है। चौथा प्रावधान अत्यंत कड़ा है। इसमें दोषी सदस्य के लिए सजा का निर्धारण होता है। गंभीर मामलों में सदस्यता भी जा सकती है।

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    जा सकती है सदस्यता

    बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हैं। उन्‍होंने कहा कि दोनों पक्षों, हालातों, साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर आचार समिति जो भी अनुशंसा करेगी, उसके मुताबिक कार्रवाई होगी। आचार समिति के सभापति पीके शाही ने कहा कि मामला विधानमंडल भवन में छेडख़ानी का है। इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है। अगर आरोप साबित हो गया तो लालबाबू की सदस्यता भी जा सकती है।

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