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क्लर्क बने बिहारी बाबू, डायलॉग को सुनकर मुस्कुराए सीएम नीतीश

एसके मेमोरियल हॉल में पति पत्नी और मैं नाटक को देखने पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के सांसद और मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का अभिनय और डॉयलग सुनकर मुस्कुराते रहे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 20 Aug 2016 08:24 AM (IST)Updated: Sat, 20 Aug 2016 08:46 PM (IST)
क्लर्क बने बिहारी बाबू, डायलॉग को सुनकर मुस्कुराए सीएम नीतीश

राज्य ब्यूरो, पटना। 15 वर्षों के लंबे अतंराल के बाद बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा अपने चिर-परिचित अंदाज में 'पति, पत्नी और मैं' नाटक के मंजे हुए कलाकारों के साथ श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के मंच पर उतरे तो दर्शकों ने खड़े होकर जोरदार तालियों से स्वागत किया।
नाटक के प्रथम दर्शक के रूप में मौजूद थे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद। नाटक चालू हुआ। कलाकारों की बारी आई तो उम्दा अभिनय, बोल्ड डायलॉग और हास्य-व्यंग्य के अनूठे अंदाज से दर्शकों में रोमांच भरा।
नाटक में एक डायलॉग था, बीयर पीने पर मुझे तो अंदर करेंगे ही, सामने बैठे सबको अंदर कर देंगे। दर्शक दीर्घा में तब नीतीश कुमार भी बैठे थे। अगला डायलॉग था, सभी को क्यों? जवाब आया क्योंकि सभी मुझे बीयर पीते देखेंगे। यह सुनकर नीतीश मुस्कुरा दिए। ऐसे कई डायलॉग थे, जो तत्कालीन व्यवस्था से जुड़े थे।

सूत्रधार संजय वर्मा (शत्रुघ्न सिन्हा) नाट्य कथा को कुछ इस अंदाज में सुनाते हैं कि पति-पत्नी के बीच मंच पर घटने वाली हर घटना को दर्शक खुद में आत्मसात करते जाते हैं। प्रकाश (राकेश बेदी) एमए पास एक बेरोजगार युवक है जिसकी जिंदगी में माधवी राय (डिम्पल डान्डा) आती है।
दोनों के बीच पहले प्यार होता है और फिर परिवार की बिना रजामंदी का विवाह। समय बीतने के साथ बेकारी और महंगाई की मार का असर पति-पत्नी के रिश्तों पर पड़ता है। फिर यही से शुरू होती है दोनों के बीच नोक झोंक और नून-तेल लकड़ी की किचकिच।

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सूत्रधार का यह डायलॉग कि-'सिनेमा में सिर्फ ग्लैमर होता है, जबकि पॉलिटिक्स में ग्लैमर के साथ-साथ पावर भी होता है...इसलिए सिने स्टार पॉलिटिशियन बनना चाहता है।, दर्शकों को कई संदेश देता है। पति-पत्नी के मनमुटाव और फिर मनुहार पर सूत्रधार का यह संवाद कि शादी का लड्डू ऐसा है जिसे हर कोई खाकर ही स्वाद बता सकता है। दर्शकों के मन को गुदगुदा जाता है।
मंच पर महज एक सेट की नाट्य प्रस्तुति में न तड़क-भड़क लाइट का इस्तेमाल किया गया है और न ही म्यूजिक का। फिर भी नाट्य प्रस्तुति की हर कड़ी दर्शकों को बांधे रखती है। बिहार में शराबबंदी की बात हो या फिर कश्मीर की समस्या, इसे प्रासंगिक तरीके से कलाकारों ने अपने ही अंदाज में दर्शकों को संदेश दिया है।

पूरा नाटक पति-पत्नी की मानवीय चेतना के प्रवाह और यादों की उन्मादी यात्रा में चलता है और नए आख्यान रचता है। नाटक में कई दृश्य मर्मस्पर्शी हैं। हर सीन में पारिवारिक रिश्तों और विचारधारा को नए ढंग से देखने की कोशिश है। सुख हो या दुख, पति-पत्नी एक-दूसरे को सहारा देते हैं, रिश्तों की कीमत एवं मूल्यों की पहचान कराते हैं और एक नए अनुभव संसार में ले जाती है।
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इस हास्य प्रधान नाटक में हर दर्शक खुद को जीता हुआ अहसास करता है। हास्य कलाकार संजय गोराडिया ने नाट्य प्रस्तुति के बीच-बीच में आकर सूत्रधार के मार्फत दर्शकों से अपने निराले अंदाज में जो संवाद किया है वो भी नाटक को गतिमान बनाने में एक सार्थक व सफल प्रयास है।
नीतीश-लालू ने कलाकारों को किया सम्मानित
नाट्य प्रस्तुति के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा, राकेश बेदी, डिम्पल डान्डा, संजय गोराडिया, नाटककार मनोहर कटदरे, निर्देशक रमेश तलवार और प्रस्तुति कर्ता संजय गोराडिया को बुके, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस मौके पर स्वास्थ्य और वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिवचन्द्र राम और प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, जदयू नेता छोटू सिंह व नंदकिशोर कुशवाहा समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। सोमा चक्रवर्ती ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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