आदित्य हत्याकांड : सजा को ले चर्चा में बिंदी, जानिए मनोरमा से उसकी प्रेम कहानी
कुख्यात बिंदी यादव को गया की अदालत बुधवार को आदित्य हत्याकांड में पांच साल कैद की सजा दी। बिंदी एमएलसी मनोरमा देवी का पति है। सजा के दिन नजर डालते हैं बिंदी व मनोरमा की प्रेम कहानी पर।
पटना [अमित आलोक]। गया के चर्चित आदित्य सचदेवा हत्याकांड में रॉकी यादव के साथ उसके बाहुबली पिता बिंदी यादव को भी अदालत ने सजा दी है। अदालत ने हत्याकांड में रॉकी सहित तीन लोगों को उम्रकैद की तो बिंदी यादव को पांच साल की सजा सुनाई है। कुख्यात बिंदी जदयू की निलंबित एमएलसी मनोरमा देवी का पति है।
बिंदी व मनोरमा की प्रेम कहानी भी अजीब रही है। कहते हैं कि मनोरमा नहीं आती तो बिंदी वह नहीं होता जो आज है। बिंदी यादव को मनोरमा पसंद थीं। उसने प्रपोज किया, जिसे मनोरमा ने ठुकरा दिया। लेकिन इस इन्कार के इकरार में बदलने वह शादी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं।
इलाके में उभरने लगा था बिंदी का नाम
हम बात कर रहे हैं बिंदी यादव व मनोरमा देवी की प्रेम कहानी की। 80 के दशक में मनोरमा देवी बाराचट्टी के एक स्कूल में पढ़ रही थी। तब अपराध की दुनिया में बिंदी ने कदम ही रखा था। मोहनपुर के गणेशचक गांव के रहने वाले बिंदी का बाराचट्टी में आना-जाना शुरू हो चुका था। बंडाश्रम में छुटभैये अपराधियों का जमावड़ा लगता था। जीटी रोड पर छोटी-छोटी वारदात के जरिए बिंदी का नाम इलाके में उभरने लगा था।
मनोरमा की खूबसूरती पर फिदा हो गया बिंदी
लगभग उसी दौर में स्कूली शिक्षा के बाद मनोरमा ने सोभ इंटर कालेज में दाखिला लिया। आने-जाने के क्रम में मनोरमा पर बिंदी की नजर पड़ी। खूबसूरत और सलीके वाली इस लड़की ने बिंदी को काफी प्रभावित किया।
मनोरमा ने किया शादी से इन्कार
बिंदी ने इसकी चर्चा अपने करीबियों से की। और कुछ दिनों बाद उसने मनोरमा के सामने शादी का प्रस्ताव भी रख दिया। लेकिन, बिंदी की करतूतों से वाकिफ मनोरमा ने शुरू में तो इन्कार कर दिया।
अंतत: देवघर में हो गई शादी
इसके बाद क्षेत्र के कुछ लोगों की मध्यस्थता के बाद मनोरमा की मां कबूतरी देवी बेटी की शादी बिंदी से करने के लिए राजी हो गई। दोनों परिवारों में सहमति के बाद 1989 में देवघर मंदिर में शादी हो गई।
कहा जाता है कि मनोरमा से शादी के बाद ही बिंदी के उत्थान की कहानी शुरू हुई। इसके पहले छुटभैये अपराधी से अधिक उसकी पहचान नहीं थी। बिंदी की जिंदगी में मनोरमा की दस्तक ने उसे गली-मोहल्ले से उठाकर सियासत के गलियारे में पहुंचाया और अरबों का बादशाह बना दिया।
क्राइम से पॉलिटिक्स तक का सफर
बाराचट्टी से निकलकर 1990 के दशक में गया को अपना कर्म क्षेत्र बनाने वाला बिंदी अपराध की दुनिया से धीरे-धीरे राजनीति में सक्रिय होने लगा था। सियासी रसूख के लिए 90 के दशक में उसने जनता दल (अब का राष्ट्रीय जनता दल) से नाता जोड़ लिया था। फिर भी क्राइम की दुनिया से उसका रिश्ता खत्म नहीं हुआ। 2001 में वह गया जिला परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। 2005 में राजद से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ लिया, लेकिन हार गया। 2010 में राजद ने टिकट तो दे दिया, लेकिन बिंदी की किस्मत ने साथ नहीं दिया।
यह सही है कि राजनीति में बिंदी को बड़ी सफलता नहीं मिली, लेकिन पत्नी मनोरमा को वह दो-दो बार एमएलसी बनवा चुका है।
बिंदी के बुरे दिन
- पैसों के बल पर सियासत में धाक जमाने वाला बिंदी पहली बार बुरी तरह घिरा दिख रहा है। आदित्य हत्याकांड में बाप-बेटा दोषी करार दिए जा चुके हैं। मनोरमा देवी को भी जदयू ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। - इसके पहले 2011 में भी बिंदी चार हजार कारतूस व एके-47 रायफल के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ा था, मगर बाद में कानूनी दांव-पेंच के सहारे बच निकला था।
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