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    सादगी व सरलता के शासक थे अनुग्रह बाबू : राज्यपाल

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    Updated: Sun, 19 Jun 2016 01:12 AM (IST)

    बिहार में ज्ञान की दीपक वर्षो से जल रही है। आज भी उसे पुनरावृत्ति करने की जरूरत है। ये बातें राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहीं। ...और पढ़ें

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    पटना। बिहार में ज्ञान की दीपक वर्षो से जल रही है। आज भी उसे पुनरावृत्ति करने की जरूरत है। ये बातें शनिवार को एएन कॉलेज में हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने कहीं। उन्होंने कहा कि अनुग्रह बाबू सादगी व सरलता के शासक थे। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी को सुशिक्षित एवं कौशल साक्षर बनाना देश के लिए बड़ी चुनौती है। इस कार्य को केवल सरकार के भरोसे नहीं छोड़ना उचित नहीं है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हाल की घटनाओं ने चिंतित किया है। सरकार व समाज दोनों मिल कर शिक्षा जगत की ऐसे आपराधिक घटनाओं से निबटने के लिए सक्षम है।

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    शिक्षा का स्तर गिराने में एक व्यक्ति नहीं है जिम्मेवार : शिक्षा मंत्री

    शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने समाज की संरचना का निर्माण संघर्ष कर किया है। इसमें अनुग्रह बाबू की अहम भूमिका थी। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका को भूलाया नहीं जा सकता। आज 60 वर्ष बाद हमारा समाज कहां गया। एक तरफ अनुग्रह बाबू की देन है, तो दूसरी तरफ बच्चा राय। शिक्षा की स्तर गिरने में किसी एक व्यक्ति जिम्मेवार नहीं है। आज शैक्षणिक संस्थान प्राइवेट लिमिटेड की तरह खुल गए है। सरकार इसकी जांच कराने में जुटी हुई है।

    पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि एएन कॉलेज पर हमें गर्व हैं कि आज यह महाविद्यालय बिहार के प्रमुखतम कॉलेजों में शामिल हो गया है। आज बिहार विद्यालय परीक्षा समिति अध्यक्ष डॉ. लालकेश्वर प्रसाद सिंह व बच्चा राय की घटना शर्मनाक है।

    पत्रिका हुआ विमोचन

    कॉलेज की पत्रिका अनुग्रह ज्योति का भी विमोचन हुआ। कार्यक्रम में मगध विवि कुलपति प्रो. इश्तेयाक, एनओयू कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह, उप प्राचार्य प्रो. पूर्णिमा शेखर सिंह ने भी संबोधित किया। आगत अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डॉ. बिहारी सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन ¨हदी विभागाध्यक्ष डॉ. कलानाथ मिश्र ने, जबकि धन्यवाद ज्ञान डॉ. बद्री नारायण सिंह ने किया। मौके पर एमयू शाखा कार्यालय के ओएसडी प्रो. आशा सिंह, प्रो. श्यामल कुमार, प्रो. विमल कुमार सिंह, प्रो. सुभाष प्रसाद सिंह आदि भी थे।