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    Bihar News: तलाकशुदा पिता को निभानी होगी एक और जिम्मेदारी, अविवाहित बेटी को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

    By Jagran NewsEdited By: Mukul Kumar
    Updated: Wed, 23 Apr 2025 06:56 PM (IST)

    पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि तलाकशुदा हिंदू पिता को अपनी बालिग बेटी की शिक्षा और विवाह का खर्च उठाना होगा चाहे बेटी मां के साथ ह ...और पढ़ें

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    विधि संवाददाता, पटना। पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि तलाकशुदा हिन्दू पिता अपनी अविवाहित बालिग बेटी की शिक्षा और विवाह के खर्च से मुंह नहीं मोड़ सकता, भले ही वह बेटी मां के साथ रह रही हो।

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    अदालत ने इस व्यय को बेटी का कानूनी अधिकार बताते हुए तलाकशुदा पिता को चार माह के भीतर बीस लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया है।

    न्यायाधीश पी. बी. बजंथ्री की खंडपीठ ने अपीलार्थी श्वेता कुमारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला पारित किया। श्वेता ने अपने पूर्व पति से बेटी के लिए भरण-पोषण एवं विवाह की राशि की मांग की थी।

    अदालत को बताया गया कि श्वेता कुमारी और उनके पति की शादी 8 जनवरी, 2003 को हुई थी और दिसंबर 2004 में एक बेटी का जन्म हुआ।

    वर्ष 2011 में पति ने मानसिक उत्पीड़न और पत्नी के अलग रहने का हवाला देते हुए तलाक की याचिका पटना के फैमिली कोर्ट में दायर की। फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज ने 5 नवंबर, 2022 को तलाक की अनुमति दे दी।

    इस आदेश को चुनौती देते हुए श्वेता कुमारी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसमें उन्होंने बेटी की शिक्षा और विवाह के लिए धनराशि देने की मांग की।

    तलाक के बावजूद पिता की जिम्मेदारी समाप्त नहीं होती- कोर्ट

    उन्होंने कहा कि तलाक के बावजूद पिता की जिम्मेदारी समाप्त नहीं होती, खासकर तब जब बेटी अविवाहित और आर्थिक रूप से निर्भर हो।

    सभी पक्षों की आर्थिक स्थिति और दायित्वों पर विचार करने के बाद, हाईकोर्ट ने माना कि अविवाहित बेटी का यह अधिकार हिन्दू कानून के अंतर्गत संरक्षित है।

    अदालत ने तलाकशुदा पिता को निर्देश दिया कि वह चार माह की अवधि में बेटी के शिक्षा और विवाह के खर्च के मद में बीस लाख रुपये जमा करें।

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