बिहार में सुशासन को और धार देना 'सुशासन बाबू' की पहली प्राथमिकता
नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुक्रवार को गठित होने वाली महागठबंधन की सरकार की दस बड़ी प्राथमिकताओं में पहली सुशासन को और धार देना होगी। चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जनता ने नीतीश कुमार के विकास मॉडल और सुशासन को स्वीकार किया है।
पटना। नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुक्रवार को गठित होने वाली महागठबंधन की सरकार की दस बड़ी प्राथमिकताओं में पहली सुशासन को और धार देना होगी।
चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जनता ने नीतीश कुमार के विकास मॉडल और सुशासन को स्वीकार किया है। ऐसे में गुड गवर्नेंस की नई मिसाल कायम कर प्रदेश को विकसित राज्यों की कतार में खड़ा करना सबसे अहम है।
नीतीश कुमार के ही शासनकाल में सूबे ने विकास दर में खुद को आगे रख करिश्माई राज्य का खिताब हासिल किया था।
सुशासन के चेहरे को और चमकाने के अलावा जो अन्य प्राथमिकताएं होंगी वह नीतीश कुमार पहले ही अपने सात निश्चय के रूप में घोषित कर चुके हैं। उनपर तो अमल होगा ही, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार से पूरा तालमेल भी आवश्यक होगा।
ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूसरी बड़ी प्राथमिकता केंद्र सरकार से समन्वय बनाए रखना होगी। कानून व्यवस्था पर भी पूरा जोर रहेगा। कानून व्यवस्था बेहतर बनाए रखने पर फोकस इसलिए भी अतिआवश्यक होगा क्योंकि विपक्ष सरकार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद के मौजूद रहने के कारण लगातार जंगलराज की वापसी की बात कर रहा है।
इन तीन प्राथमिकताओं के अलावा सात अन्य प्राथमिकताएं सात निश्चय का हिस्सा हैं। युवाओं एवं छात्र-छात्राओं को ऋण उपलब्ध कराने पर जोर रहेगा ताकि उनकी आर्थिक समस्याओं का लगातार हल निकलता रहे।
महिलाओं को बराबरी के उनके अधिकार के तहत रोजगार में आरक्षण की विशेष व्यवस्था की जाएगी। सिपाही भर्ती में महिलाओं के लिए आरक्षण पहले ही लागू किया जा चुका है। बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन इस मोर्चे पर और आगे बढऩे की तैयारी है। हर घर में लगातार बिजली आपूर्ति का लक्ष्य है।
यह काम प्राथमिकता के आधार पर 2016 के अंत तक पूरा कर लेना है। पेयजल के संकट को दूर करना भी अलग प्राथमिकता है। हर घर तक पक्की गली और पक्की नाली पहुंचाना भी सरकार ने अपनी प्राथमिकता में शामिल कर रखा है।
खुले में शौच से मुक्ति भी सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सात निश्चय में इसे भी शामिल कर बड़ी प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है। शिक्षित बिहार के लिए 'अवसर बढ़े, आगे पढ़ेंÓ जैसा निश्चय लिया गया है।
महत्वपूर्ण यह है कि इन प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए महागठबंधन में शामिल दलों के बीच समन्वय भी जरूरी है। मंत्रिमंडल में शामिल तीनों दलों के सदस्यों के बीच तालमेल एवं समन्वय के बिना ये प्राथमिकताएं सरजमीन का हिस्सा नहीं बन पाएंगी।
10 बड़ी प्राथमिकताएं
1. सुशासन को और धार
2. केंद्र सरकार से तालमेल
3. कानून व्यवस्था
4. आर्थिक हल, युवा को बल
5. आरक्षित रोजगार, महिलाओं का अधिकार
6. हर घर बिजली लगातार
7. हर घर नल का जल
8. घर तक पक्की गली-नालियां
9. शौचालय निर्माण, घर का सम्मान
10. अवसर बढ़े, आगे पढ़ें
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