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    नारी सशक्‍तीकरण : मुश्किल वक्त में नहीं हारी हिम्मत, छू लिया 'आसमां'

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 08 Mar 2017 10:32 PM (IST)

    तमाम मुश्किलों को झेलते हए डॉ. अफसाना खानम दृढ़ इच्छाशक्ति, सच्ची लगन के दम पर झारखंड लोक सेवा आयोग 2016 की परीक्षा में कामयाबी का झंडा लहराया है।

    नारी सशक्‍तीकरण : मुश्किल वक्त में नहीं हारी हिम्मत, छू लिया 'आसमां'

    मुजफ्फरपुर [मो. शमशाद]। मुश्किल समय में हिम्मत हार कर बैठ जाने वालों व किस्मत को कोसने वालों के लिए एक प्रेरणा हैं डॉ. अफसाना खानम की जिंदगी। मुश्किल वक्त में भी हिम्मत नहीं हारीं, नतीजा अपने सपनों का आसमां छू लिया।

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    दृढ़ इच्छाशक्ति, सच्ची लगन के दम पर उन्होंने झारखंड लोक सेवा आयोग 2016 की परीक्षा में कामयाबी का झंडा लहराया है। वित्त सेवा में वे अपनी सेवा दे रही हैं। झारखंड के धनबाद में वे कमर्शियल टैक्स ऑफिसर के पद पर नियुक्त हैं। डॉ. अफसाना अब भी अपने सपने को अधूरा मानती हैं। उनका सपना संघ लोक सेवा आयोग तक पहुंचना है। फिलहाल, उन्होंने बीपीएससी मेंस की परीक्षा दी है।
    डॉ. अफसाना की कामयाबी का सफर कांटों से भरा था। पग-पग पर मुसीबतों को झेला, मगर हार नहीं मानी। अफसाना की ससुराल मुजफ्फरपुर सीमा से सटे वैशाली जिले के नगवा गांव में है। वे सिवान जिले के पंजवार की रहने वाली हैं। पिता ताज मोहम्मद राज मिस्त्री का काम करते थे।
    चिलचिलाती धूप में पिता को काम करते देख व रात को लालटेन की रोशनी में मां हसीबुल निशा को सिलाई करते देख अफसाना का दिल रो उठता था। मां का इंतकाल 2002 और पिता का 2010 में हो गया। 
    आठवीं पास करने के बाद ही शादी का दबाव 
    डॉ. अफसाना की मंजिल की राह में कई बाधाएं थीं। आर्थिक तंगी के साथ ही परिवार व समाज की बेडिय़ों से भी उन्हें लड़ना था। आठवीं परीक्षा पास करने के बाद अफसाना पर शादी का दबाव बढऩे लगा। उन्होंने इसका जमकर विरोध किया और पढ़ाई जारी रखी। मैट्रिक के बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
    तमाम मुश्किलों के बावजूद स्नातकोत्तर, पीएचडी, नेट की परीक्षा पास की। एसएससी इंटर लेबल एवं दो बार शिक्षक के पद पर चयन हुआ, मगर अफसाना का सपना तो सिविल सर्विस थी। मां की मौत व भाई-बहनों की शादी के बाद अफसाना का ठिकाना हॉस्टल ही बन गया।
    मगर, आर्थिक तंगी से उसे काफी परेशानी होने लगी। ऐसे में उनके दोस्त रहे सरवर इकबाल ने उनसे 2009 में शादी कर सहारा दिया। सरवर भी उस समय मेडिकल की तैयारी कर रहे थे। अंतरजातीय विवाह की वजह से सरवर के परिवार वालों ने आर्थिक मदद से हाथ खींच लिया।
    सरवर ट्यूशन पढ़ाने लगे और अफसाना के सपने को पूरा करने में जुट गए। इसी बीच सरवर ने बंगाल मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास कर ली, लेकिन अफसाना के सपनों को पूरा करने के लिए काम करते रहे। 

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