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    बिहार के इस योग केंद्र में आये थे इंदिरा और अब्दुल कलाम, आज पधारे सीएम रमन

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Tue, 11 Apr 2017 11:36 PM (IST)

    दुनिया के पहले योग विश्वविद्यालय मुंगेर में आज छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह आये। इससे पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई सहित कई गणमान्य लोग भी आ चुके हैं।

    बिहार के इस योग केंद्र में आये थे इंदिरा और अब्दुल कलाम, आज पधारे सीएम रमन

    पटना [जेएनएन]। छत्तसीगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह आज दुनिया के पहले योग विश्वविद्यालय मुंगेर पहुंचे। इससे पहले योग साधना के इस केंद्र में न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, भारत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई सहित कई बड़ी हस्तियां आ चुकी हैं। योग को आगे बढ़ाने में बिहार के मुंगेर स्थित 'बिहार स्कूल ऑफ योग' का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।योग विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है। 

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    1964 में हुई थी स्थापना
    मुंगेर स्थित बिहार स्कूल ऑफ योग को दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय माना जाता है। इसकी स्‍थापना स्वमी सत्यानंद ने सन् 1964 में मुंगेर के गंगा नदी के तट पर की थी। आज यहां पूरी दुनिया के लोग योग सीखने आते हैं।

    स्वामी सत्यानंद ने गंगा तट पर डाली नींव
    मुंगेर में गंगा तट पर स्थित एक पहाड़ी पर असामाजिक तत्वों का अड्डा था। यहां लोग दिन में भी जाने से डरते थे। यहां के ऐतिहासिक कर्णचौरा व प्राचीन जर्जर भवन पर शासन-प्रशासन की नजर नहीं थी। इस उपेक्षित स्थल पर वर्ष 1963-64 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा से 'शिवानंद योगाश्रम' की स्थापना की।

    1983 तक हो चुका था वैश्विक विस्तार
    योग की यह हल्की किरण 1983 में 'गंगा दर्शन' की स्थापना तक वैश्विक विस्तार पा चुकी थी। इसी गंगा दर्शन में वह योगाश्रम स्थित है, जिसे 20वीं सदी में एक बार फिर भारत में योग क्रांति का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त है। इसका आध्यात्मिक प्रकाश आज भारत सहित विश्व के 40 से अधिक देशों में फैल रहा है।

    गुरु व संन्यासी का मिलन स्थल 'गंगा दर्शन'
    गंगा दर्शन आश्रम कोई मठ-मंदिर नहीं, बल्कि यह गुरु व संन्यासी का वह मिलन स्थल है, जहां नि:स्वार्थ सेवा व सकारात्मक प्रवृत्ति का विकास किया जाता है।

    योग शिक्षा का आधुनिक गुरुकुल
    गंगा दर्शन वर्तमान में योग शिक्षा का एक आधुनिक गुरुकुल है। यहां एक महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेट तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। एक समय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस एकमात्र योग विवि की उपयोगिता देखकर इसे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित कराया, लेकिन आश्रम के नियमों में बाधा पड़ती देख स्वामी जी ने यूजीसी से संबंध विच्छेद करना बेहतर समझा।

    फ्रांस की शिक्षा पद्धति में शामिल है सत्यानंद योग
    आज इस विशिष्ट योग शिक्षा केंद्र से प्रशिक्षित करीब 15 से 20 हजार शिष्य व करीब 13 से 15 सौ योग शिक्षक देश-विदेश में योग ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं।

    यही नहीं आज फ्रांस की शिक्षा पद्धति में भी मुंगेर योग संस्थान के संस्थापक सत्यानंद के योग की पढ़ाई हो रही है। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग रिसर्च सेंटर की स्थापना कर जिसकी अनुशंसा की थी और योग को आम लोगों तक पहुंचा कर विश्व में योग क्रांति का जो सूत्रपात किया था उसी का परिणाम है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग स्थापित हुआ है।

    साधकों व श्रद्धालुओं के लिए सख्त नियम
    आश्रम में आने वाले साधकों व श्रद्धालुओं को यहां के सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। आश्रम में प्रतिदिन प्रात: चार बजे उठकर व्यक्तिगत साधना करनी पड़ती है। इसके बाद निर्धारित रूटीन के अनुसार कक्षाएं आरंभ होती हैं। सायं 6.30 में कीर्तन के बाद 7.30 बजे अपने कमरे में व्यक्तिगत साधना का समय निर्धारित है। रात्रि आठ बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है।

    प्रथम विश्व योग सम्मेलन का आयोजन
    स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने 1973 में मुंगेर में प्रथम विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से देश व दुनिया का ध्यान योग की ओर केंद्रित किया था। 20 वर्षों बाद फिर 1993 में बिहार योग विद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर द्वितीय विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया गया। पुनः स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने 2013 में मुंगेर में विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से दुनिया में योग को स्थापित किया। आज भी यह परंपरा निर्बाध गति से चल रही है। देश- विदेश से लोग यहां योग की शिक्षा लेने आ रहे हैं।

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    विश्व के कोने-कोने से आते साधक
    योगाश्रम की सहज व सादी व्यवस्था में मिलने वाली शांति से आकर्षित विश्व के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं। आज भी यहां अनेक विदेशी साधक योग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए यहां हर साल हजारों आम व खास लोग आते हैं, लेकिन आश्रम की नजर में सभी समान होते हैं।

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