भेदभाव रहित समाज की परिकल्पना हो साकार : धनिक लाल
राजनगर (मधुबनी), निज प्रतिनिधि : सभी मानव एक समान है। मानवों के बीच ऊंच-नीच, जाति, वर्ग व समुदाय का भेदभाव नहीं होना चाहिए। मानव ईश्वर द्वारा बनाई गई सुंदरतम कृति है। अलग-अलग व्यक्ति का रंग भले ही गोरा या काला हो, परन्तु हृदय सभी के समान होते हैं।
यह उद्गार वरिष्ठ समाजवादी चिंतक सह हरियाणा के पूर्व राज्यपाल धनिक लाल मंडल प्रखंडाधीन महिनाथपुर (रामपंट्टी) गांव स्थित लोहिया-कर्पूरी इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर सोशल चेंज के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय 'मानवीय एकता : चिन्ता दिशा एवं कर्म पथ' विषय पर आधारित मानवीय एकता सम्मेलन का उद्घाटन किए जाने के उपरांत बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। जयंत दीवान की अध्यक्षता एवं अशोक के संचालन में आयोजित मानवीय एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व राज्यपाल धनिक लाल मंडल ने कहा कि हम मानवीय संवेदनाओं और विवेक से रचा बसा समाज चाहते हैं, जहां ऊंच-नीच व जाति समुदाय का भेद नहीं हो। एक ऐसा समाज जहां अपनापन, मित्रता, सद्भाव, समभाव का वातावरण हो। हम भेदभाव, तनाव, वैरभाव, नफरत, दमन, उत्पीड़न, कलह, हिंसा, दंगा, जनसंहार युद्ध जैसे तमाम अमानुषिक मनोभाव और विनाशकारी घटनाओं से हमेशा के लिए मुक्ति चाहते हैं। सम्मेलन में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों के प्रतिनिधि रजिया पटेल, डा. महेन्द्र नारायण कर्ण, विश्वनाथ बागी, गिरजा सतीश, रामचन्द्र चौधरी, कनक जी, रामसुंदर महतो, ज्ञानेन्द्र, आभा, सुनन्दा आदि ने भी अपने-अपने विचार रखते हुए आतंकवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद, जातीय वैमनस्य को मानव सभ्यता का दुश्मन बताते हुए ऐसे विचारों को त्यागने की अपील की। इससे पूर्व सम्मेलन के शुभारंभ में आयोजन समिति के संयोजक पंचदेव ने स्वागत भाषण व विषय प्रवेश कराया। इस अवसर पर आयोजन समिति के मुनेश्वर यादव, प्रदीप पासवान, विनय विक्रांत, विजय शंकर पासवान, सीता देवी, योगमाया देवी, शांति देवी, भुल्ली देवी, गीता देवी, सीताराम पांडेय, समीदुल हक आदि भी उपस्थित थे।
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