जहां कभी दौड़ती थी ट्रेन अब बह रही गंगा की धारा
कटिहार। अमदाबाद प्रखंड में रेल सेवा इतिहास के पन्नों में दफन हो चुकी है। इससे एक बड़े समू
कटिहार। अमदाबाद प्रखंड में रेल सेवा इतिहास के पन्नों में दफन हो चुकी है। इससे एक बड़े समूह का रोजगार भी छिन गया है। जहां कभी ट्रेन दौड़ती थी वहां आज गंगा की तेज धारा बह रही है। कभी आसपास के लोग भी अमदाबाद ट्रेन पकड़ने आते थे, लेकिन अब प्रखंड के लोग ट्रेन पकड़ने के लिए 10 किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
बता दें कि 70 के दशक में अमदाबाद का गोलाघाट प्रमुख रेलवे स्टेशन में शुमार था। झारंखड, पश्चिम बंगाल, आसाम जाने का यह सबसे सुगम पथ मार्ग था। यह मार्ग व्यवसायिक ²ष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण था। जल व रेल मार्ग से संपन्न होने के कारण व्यवसायी बाहर से सामान मंगाने के लिए इस स्टेशन का उपयोग करते थे। काफी संख्या में बाहर के व्यवसायी भी यहां आते थे और मालवाहक जहाज व ट्रेन के जरिये सामान लाया व भेजा जाता था। स्टेशन पर काफी संख्या में कुली भी तैनात रहते थे।
क्या कहते हैं बुजुर्ग :
वयोवृद्ध सुदामा दास ने उस दौर को याद करते कहा कि अमदाबाद प्रखंड के गोलाघाट तक रेल परिचालन होता था। यहां रेलवे स्टेशन से करीब सात हजार कुलियों का परिवार चलता था। गंगा के कटाव के कारण गोलाघाट स्टेशन कट गया एवं तब से रेल सेवा ठप हो गई। वर्ष 1963 में भारतीय फिल्म जगत की प्रसिद्ध फिल्म बंदनी के कलाकार अशोक कुमार, नूतन एवं धर्मेन्द्र भी गोलाघाट रेलवे स्टेशन होकर गुजरे थे। इस परिक्षेत्र में फिल्म की शू¨टग भी हुई थी। आज यहां के लोग 22 किमी का सफर तय कर लाभा रेलवे स्टेशन एवं दस किमी का सफर तय कर तेजनारायणपुर रेलवे स्टेशन तक जाते हैं।