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    United Nations: यूएन एजेंसी ने जारी की चेतावनी, कहा- विश्व के कई देशों में 10 लाख से अधिक लोग भुखमरी के शिकार

    संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बुधवार को चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान इथियोपिया दक्षिण सूडान सोमालिया और यमन में रह रहे लगभग दस लाख लोग भूखे मर रहे हैं। एजेंसी ने कहा कि अगर सहायता नहीं मिली तो ये सभी देश इस साल भी भुखमरी का सामना करेंगे।

    By Sonu GuptaEdited By: Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:10 PM (IST)
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    विश्व के कई देशों में लोग भूखमरी के हुए शिकार। फोटो-रायटर्स

    लंदन रायटर्स। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बुधवार को चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सोमालिया और यमन में रह रहे लगभग दस लाख लोग भूखे मर रहे हैं। एजेंसी ने कहा कि अगर सहायता नहीं मिली तो ये सभी देश इस साल भी भुखमरी का सामना करेंगे। कई देशों के बीच चल रहे युद्ध इसका प्रमुख कारण हैं। इसके साथ ही कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण आर्थित अस्थिरता (Economic Disbalance) बढ़ गई है।

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    आने वाले दिनों स्थिति होगी भयावह

    संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के प्रमुख ने कहा कि अफ्रीका के कई देशों में भीषण सूखे के कारण लोगों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया है। पूरी दुनिया में खाद्य असुरक्षा काफी तेजी से फैल रही है। एफएओ के प्रमुख ने कहा कि बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता नहीं दी गई तो आने वाले कुछ महीनों में स्थितियां और भी खराब होने की संभावना है।

    कीमतों में तेजी से हुई वृद्धि

    मालूम हो कि वैश्विक कृषि वस्तुओं की कीमतें हाल के महीनों में काफी बढ़ गई हैं तो वहीं स्थानीय खाद्य की कीमतें कई देशों में बढ़ गई हैं, जिससे संकट का खतरा पहले से कई गुना बढ़ गया है। हालांकि खद्य संकट को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने रूस और यूक्रेन के साथ अनाज और उर्वरक के शिपमेंट को बढ़ावा दे रहा है।

    यूक्रेन और रूस अनाज के बड़े निर्यातक

    मालूम हो कि यूक्रेन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अनाज निर्यातक देश है, जबकि रूस अनाज निर्यातक के लिए तीसरे और उर्वरक निर्यातक में पहले स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की hunger hotspots के रिपोर्ट के मुताबिक, ईंधन, खाद्य और उर्वरक की उच्च कीमतों ने उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की मौद्रिक नीति को कड़ा करने के लिए मजबूर किया है। कम आय वाले देशों के लिए क्रेडिट की लागत में वृद्धि की है।

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