यूके में असाध्य बीमारी से पीड़ित चुन सकेंगे अपनी मौत, विधेयक के पक्ष में 330 सांसदों ने किया मतदान; जानिए कैसे होगा चयन
यूके में असाध्य रोगियों को मौत का विकल्प चुनाव वाले विधेयक के पक्ष में सांसदों ने मतदान किया। हालांकि अभी विधेयक को हाउस ऑफ लॉर्ड्स और संसदीय समितियों से मंजूरी मिलना बाकी है। मगर मतदान के बाद विधेयक के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी बाधा दूर हो गई है। यह कानून बनने के बाद इंग्लैंड और वेल्स में लाइलाज बीमारी से पीड़ित लोग अपना जीवन समाप्त कर सकेंगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूनाइटेड किंगडम (यूके) में लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अपना जीवन समाप्त कर सकेंगे। इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद यूके उन देशों की कतार में शामिल हो जाएगा जो असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति देते हैं। 330 सांसदों ने सहायता प्राप्त मृत्यु की अनुमति देने के पक्ष में और 275 ने विरोध में मतदान किया।
प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी विधेयक के पक्ष में वोट डाला है। हालांकि विधेयक को अभी हाउस ऑफ लॉर्ड्स और संसदीय समितियों से मंजूरी मिलना बाकी है। विधेयक को लेबर सांसद किम लीडबीटर ने पेश किया। बता दें कि 2015 में भी इस मुद्दे पर वोटिंग हो चुकी है। मगर तब प्रस्ताव पास नहीं हो सकता था।
कौन होगा सहायता प्राप्त मृत्यु का पात्र?
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक सहायता प्राप्त मृत्यु की अनुमति केवल असाध्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को ही होगी। एक शर्त यह भी है कि मरीज के छह माह से अधिक जीने की संभावना न हो। मरीज स्वयं से सहायता प्राप्त मृत्यु के बारे में निर्णय लेने में सक्षम हो। उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए। दो डॉक्टरों और हाई कोर्ट के न्यायाधीश के हस्ताक्षर के बाद ही सहायता प्राप्त मृत्यु प्रदान की जाएगी।
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मरीज की आयु 18 वर्ष से अधिक हो। सभी तरह की संतुष्टि के बाद डॉक्टर जीवन समाप्त करने वाली दवा तैयार करेंगे। मगर इस दवा को मरीज को खुद लेना होगा। अगर किसी व्यक्ति को जानबूझकर सहायता प्राप्त मृत्यु के लिए मजबूर किया गया तो यह अवैध होगा। आरोपी को 14 साल तक की सजा हो सकती है।
क्या कह रहे हैं विधेयक के आलोचक?
विधेयक के समर्थकों का कहना है कि इससे मरीजों को पीड़ा से छुटकारा मिलेगा। वह गरिमापूर्ण तरीके से अपने जीवन का फैसला कर सकेंगे। दूसरी तरफ आलोचकों को डर है कि इस कानून का गलत उद्देश्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है। मरीजों पर दबाव बनाया जा सकता है। मरीज खुद परिवारों पर बोझ बनने से बचने की खातिर इस विकल्प को चुन सकते हैं। मौजूदा समय में इंग्लैंड और वेल्स में किसी को मरने में मदद करना अपराध है। कानून में 14 साल तक की सजा का भी प्रावधान है।
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क्या है सहायता प्राप्त मृत्यु?
सहायता प्राप्त मृत्यु इच्छामृत्यु से अलग है। इसमें पीड़ा से परेशान असाध्य बीमार मरीज डॉक्टरों की मदद से मृत्यु का रास्ता चुनता है। यह फैसला उसे खुद ही चेतन मन से लेना होता है। इतना ही नहीं उसे जीवन लीला समाप्त करने वाली दवा भी अपने हाथों से खानी पड़ती है।
क्या होती है इच्छा मृत्यु?
इच्छामृत्यु किसी भी व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छा से जीवन को समाप्त करने की प्रक्रिया है। इसमें भी डॉक्टर दवा के माध्यम से व्यक्ति का जीवन समाप्त करते हैं। मगर हो सकता है कि इच्छामृत्यु वाला व्यक्ति किसी भी जानलेवा बीमारी से पीड़ित न हो। इच्छामृत्यु दो प्रकार की होती है। एक स्वैच्छिक और दूसरी गैर-स्वैच्छिक।
किन-किन देशों में मिली है मंजूरी?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रिया में सहायता प्राप्त आत्महत्या वैध है। स्विटजरलैंड में 1942 से ही सहायता प्राप्त मृत्यु की मंजूरी है। पिछले 26 साल में ब्रिटेन के 571 नागरिक अपनी जीवन लीला स्विटजरलैंड में समाप्त कर चुके हैं। अमेरिका के 11 राज्यों में चिकित्सक सहायता प्राप्त मृत्यु वैध है। न्यूजीलैंड, स्पेन और कोलंबिया में भी यह कानूनी रूप से वैध है। ऑस्ट्रेलिया के कुछ ही राज्यों में इसकी अनुमति है। कनाडा में स्वैच्छिक इच्छामृत्यु कानूनी है। नीदरलैंड, बेल्जियम और लक्जमबर्ग में कोई भी व्यक्ति डॉक्टरों की सहायता से दुनिया को कानूनी रूप से गुड बॉय कह सकता है।

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