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    आतंक का हॉटस्पॉट बन रहा मैनचेस्टर, पढ़ें कैसे युवाओं को भड़का रहा कट्टरपंथी नेटवर्क

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 02:09 PM (IST)

    मैनचेस्टर में एक यहूदी प्रार्थनाघर के बाहर कार और चाकू से हुए हमले में दो लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में हमलावर को मार गिराया। 35 वर्षीय जिहाद अल-शामी ने इस हमले को अंजाम दिया। गाजा युद्ध के बाद मैनचेस्टर में यहूदियों पर हमले तेजी से बढ़े हैं।

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    मैनचेस्टर बन रहा आतंक का हॉटस्पॉट (इमेज सोर्स- रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ब्रिटेन के मैनचेस्टर में गुरुवार को एक यहूदी प्रार्थनाघर के बाहर कार और चाकू से हमले हो गए। इस घटना में दो लोगों की जान चली गई और तीन घायल हो गए। जो गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं पुलिस ने इस हमले के जवाबी कार्रवाई के दौरान संदिग्ध हमलावर को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई।

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    दरअसल, मैनचेस्टर में जहां पर हमला हुआ, वहां दशकों से यहूती और मुस्लिम साथ रहते आ रहे हैं। लेकिन गुरुवार को यॉम किप्पुर जैसे पवित्र दिन यहूदी प्रार्थनाघर के बाहर हुए इस हमले ने चिंता बढ़ा दी है। यहां 35 वर्षीय जिहाद अल-शामी ने कार और चाकू से हमला कर दिया। जिसमें 53 वर्षीय एड्रियन डॉल्बी, और 66 वर्षीय मेल्विन क्रैविट्ज की मौत हो गई। वहीं, तीन अन्य लोग घायल हुए हैं।

    आतंक का हब बन रहा मैनचेस्टर

    बता दें कि यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले दो दशकों से मैनटेस्टर में लगातार आतंकवादी घटनाएं देखने को मिल रही है। साल 2003 में क्रम्पसल हमले से लेकर 2017 के अरीना ब्लास्ट तक। यहां आए दिन आतंकी घटनाएं घटित हो रही हैं। मैनचेस्टर के उपनगरों में पनपते नफरती उपदेशक, मोहल्लों में फैला कट्टर नेटवर्क और सोशल मीडिया पर फैलाया गया जहर, युवाओं को उग्रवाद की तरफ धकेल रहा है।

    मैनचेस्टर के आसपास आतंक का हॉटस्पॉट

    आलम यह है कि मैनचेस्टर के आसपास के कई इलाके आतंक का हॉटस्पॉट बन गए हैं। लेवेनशुल्म, रशोल्म और क्रम्पसल जैसे इलाकों में बीते दो दशकों में कई युवाओं की जिंदगी कट्टरपंथ ने बदल दी है। यहां 2003 में एक पुलिस अधिकारी की हत्या, 2011 में अल-कायदा भर्ती गिरोह और 2017 में सलमान अबेदी का एरियाना ग्रांडे कॉन्सर्ट ब्लास्ट, हर घटना ने यह संकेत दिया कि मैनचेस्टर में कट्टरपंथ गहरी जड़ें जमा रहा है।

    जमानत पर बाहर था आरोपी

    जिस युवक ने हमला किया वह, जिहाद अल-शामी सीरियाई मूल का है। जो अपने फैमिली के साथ मैनटेस्टर आया था। उसका बचपन उसी सिनेगॉग के पास गुजरा, जहां उसने हमला किया। हमालवर का शुरुआती जीवन सामान्य था। लेकिन किशोरावस्था में आते ही वह कट्टरपंथ की गिरफ्त में चला गया। स्कूल की शिक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। उस पर इस साल के शुरुआत में एक दुष्कर्म का आरोप लगा था। वह जमानत पर जेल से बाहर था। इसी दौरान उसने इस घटना को अंजाम दिया।

    गाजा युद्ध के बाद मैनचेस्टर में यहूदियों पर बढ़े हमले

    बता दें कि गाजा युद्ध के बाद मैनचेस्टर में यहूदियों पर हमले 190% बढ़े हैं। कम्युनिटी सिक्योरिटी रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2023 से अगस्त 2024 के बीच यहूदियों पर घृणा अपराध 190% तक बढ़ गए। 2024 के शुरुआती छ: महीने के भीतर ब्रिटेन में रिकॉर्ड 1,500 घटनाएं दर्ज की गईं।

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