UK छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में क्यों नौकरी ढूंढ रहे भारतीय डॉक्टर? सामने आई ये वजह
भारत और यूके के बीच बेहतर रिश्ते हैं, लेकिन यूके में मेडिकल प्रोफेशनल के लिए पॉलिसी बदलने से भारतीय डॉक्टरों के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया है। कई भा ...और पढ़ें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और यूनाइडेट किंगडम के बीच काफी बेहतर रिश्ते हैं। दोनों देशों के बीच खान-पान से लेकर ट्रेड तक कई तरह की पार्टनरशिप है। भारत और ब्रिटेन के बीच ये संबंध केवल यहां तक ही सीमित नहीं हैं, दोनों देशों के हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के बीच भी बेहतर रिश्ते माने जाते हैं।
ब्रिटेन में अब भारत के लोगों के लिए चीजें बदलने वाली हैं। भारत से ब्रिटेन में जाकर बसे डॉक्टरों के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया है। जिन लोगों ने वहां घर बसाए थे, अब उन्हें अपना पता बदलना होगा, क्योंकि यूके में मेडिकल प्रोफेशनल के लिए पॉलिसी बदलने जा रही है।
भारतीय डॉक्टरों के लिए UK में रहना मुश्किल
पीटीआई से बात करते हुए, यूनाइटेड किंगडम के नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) में काम कर रहे एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि 'कई भारतीय हेल्थ प्रोफेशनल्स ब्रिटेन छोड़ने का विकल्प चुन रहे हैं।
इसके पीछे की वजह क्लिनिकल काम से असंतुष्टि नहीं, बल्कि इसलिए कि यहां रहने वालों पर फाइनेंशियल और इमिग्रेशन दवाब बन रहा है, जिसके चलते भविष्य में लंबे समय तक यहां रहना मुश्किल होता जा रहा है।
पीटीआई से बात करते हुए जिस डॉक्टर ने यह बात कही, वो उनकी निजी राय है। यह बात नेशनल हेल्थ सर्विस या उसके किसी और कर्मचारी की तरफ से नहीं कही गई है।
ऑस्ट्रेलिया में नौकरी के अवसर
एनएचएस में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट राजय नारायण ने पीटीआई से बात करते हुए बताया कि बेहतर सैलरी और लॉन्ग टर्म करियर को देखते हुए कई भारतीय हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स ब्रिटेन छोड़कर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और मिडिल ईस्ट के कुछ देशों में ऑप्शन तलाश रहे हैं।
मेडिकल वीजा के आंकड़ों में गिरावट
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रस्तुत भारतीय सरकारी आंकड़ों से पता चला कि भारतीय नागरिकों को जारी किए गए हेल्थ एंड केयरवर्कर वीजा में लगभग 67 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें नर्सिंग प्रोफेशनल्स के बीच लगभग 79 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

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