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    मेरठ में 100 बेड के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण शुरू, एक ही छत के नीचे मिलेंगी कई अत्याधुनिक सुविधाएं

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 07:43 AM (IST)

    मेरठ में 100 बेड के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण शुरू हो गया है। इस सेंटर में मरीजों को एक ही छत के नीचे कई अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। यह मार्च 2027 तक ब ...और पढ़ें

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    मेडिकल कालेज में ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य होता हुआ। 

    जागरण संवाददाता, मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए अच्छी खबर है। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में एसजीपीजीआई जैसा 100 बेड का हाईटेक लेवल-वन के ट्रॉमा सेंटर का निर्माण शुरू हो गया है।

    यह मार्च 2027 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बनने के बाद सड़क दुर्घटना के गंभीर घायलों को मेडिकल कॉलेज से रेफर नहीं किया जाएगा। इसी ट्रॉमा सेंटर में चार यूनिटों के विशेषज्ञ चिकित्सक इलाज करेंगे।

    यह ट्रॉमा सेंटर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। माड्यूलर ओटी, सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे और एमआरआई जैसी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिल सकेंगी। नए डॉक्टरों, पैरामेडिकल, नर्सिंग स्टाफ की नियुक्त होने से इलाज की उपलब्धता 24 घंटे रहेगी।

    प्रदेश में लेवल-वन ट्रॉमा सेंटर एसजीपीजीआई में है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे सहित कई हाइवे हैं। गंगा एक्सप्रेस-वे भी जल्द शुरू होने वाला है। बीते तीन वर्षों में मेरठ जनपद में सड़क दुर्घटना का ग्राफ बढ़ गया है।

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    वर्ष 2022 से पहले प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना में 300 तक मृत्यु थीं, 2025 में बढ़कर यह संख्या 350 के ऊपर पहुंच गई है। सड़क दुर्घटना के मामले में प्रदेश के टाप 20 जिलों में मेरठ शामिल है। इसे देखते हुए सरकार ने लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज को लेवल वन ट्रॉमा सेंटर दिया है।

    जलनिगम सी एंड डीएस मेरठ शाखा ने इसका निर्माण शुरू कर दिया है। इमरजेंसी और पोस्टमार्टम हाउस के बीच में पड़ी जमीन पर फाउंडेशन का काम चल रहा है। करीब 49 करोड़ की लागत से बेसमेंट सहित चार मंजिला ट्रॉमा सेंटर का भवन तैयार किया जाएगा। शासन से पहली किश्त 16.85 करोड़ मिल चुकी है।

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    गोल्डन आवर में सुलभ होगा इलाज

    ट्रॉमा सेंटर बनने से गंभीर रूप से घायल को गोल्डन आवर (दुर्घटना के बाद का पहला घंटा) में इलाज संभव हो सकेगा। इससे जान बचाई जा सकेगी। गंभीरता के आधार पर भर्ती की व्यवस्था होगी। येलो जोन, रेड जोन और ग्रीन जोन मेें रखा जाएगा। उसी अनुसार इलाज मुहैया होगा।

    रेड जोन में अत्यधिक इमरजेंसी वाले केस रखे जाएंगे। अभी ट्रॉमा सेंटर की समुचित व्यवस्था न होने के कारण ये सुविधा नहीं मिल पाती है। दुर्घटना के बाद का पहला घंटा किसी भी सड़क दुर्घटना के गंभीर रूप से घायलों की जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। अत्यधिक रक्तस्राव, हेड इंजरी, चेहरे, जबड़े टूटने और नस फटने के कारण अत्यधिक जाने जाती हैं।

    50 नए विशेषज्ञ चिकित्सक मिलेंगे, 24 घंटे रहेंगे तैनात

    मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर लेवल-1 एसजीपीजीआई लखनऊ में है। इसके बाद मेरठ में बन रहा है। इस सेंटर में चार यूनिट के हड्डी रोग विशेषज्ञ, न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी और जनरल सर्जरी के विशेषज्ञ 24 घंटे तैनात रहेंगे।

    ट्रॉमा सेंटर के लिए 50 डॉक्टर मिलेंगे। जिसमें 20 सीनियर डॉक्टर होंगे। 15 सीनियर रेसीडेंट और 15 जूनियर रेसीडेंट डॉक्टर होंगे। 50 डॉक्टरों सहित पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ के करीब 256 नए पदों पर नियुक्तियां होंगी।

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    ट्रॉमा सेंटर से जुड़ेगी क्रिटिकल केयर यूनिट और इमरजेंसी

    100 बेड के ट्रॉमा सेंटर से पैदल पुल के माध्यम से इसके समीप तैयार हो रही 100 बेड क्रिटिकल केयर यूनिट और इमरजेंसी को जोड़ा जाएगा। ट्रॉमा सेंटर में इलाज के बाद मरीजों और घायलों को सीधे यहां शिफ्ट किया जाएगा।

    ऐसा रहेगा ट्रॉमा सेंटर का इंफ्रास्ट्रक्चर

    • बेसमेंट में कार पार्किंग बनेगी। जिसमें एक साथ 26 कारें खड़ी हो सकेंगी। स्टोर रूम और इलेक्ट्रिकल रूम बनेंगे।
    • ग्राउंड फ्लोर पर रेड, येलो और ग्रीन जोन रहेंगे। रेड और येलो जोन के आठ-आठ बेड और ग्रीन जोन में 20 बेड होंगे।
    • प्रथम तल पर चार मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर, पांच-पांच बेड के प्री और पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड होगा।
    • द्वितीय तल पर 30 बेड का जनरल वार्ड होगा। डॉक्टर ड्यूटी रूम बनेंगे।
    • तृतीय तल पर 40 बेड का जनरल वार्ड होगा। डॉक्टर ड्यूटी रूम होंगे।
    • 20 लोगों की क्षमता वाली तीन लिफ्ट लगेंगी।