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रूस की अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे संकट के बादल, राष्ट्रपति पुतिन की बढ़ सकती है मुश्किल

रूस पर यूक्रेन युद्ध के चलते लगे प्रतिबंध आने वाले दिनों में और कड़े हो जाएंगे। देश पर लगे प्रतिबंधों का असर जल्‍द ही सामने आ जाएंगे। इसका नतीजा होगा कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था दम तोड़ने के कगार पर पहुंंच जाएगी।

By JagranEdited By: Kamal VermaPublished: Fri, 30 Sep 2022 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 10:55 AM (IST)
रूस की अर्थव्यवस्था पर  मंडरा रहे संकट के बादल, राष्ट्रपति पुतिन की बढ़ सकती है मुश्किल
रूस के लिए आने वाले संकट के दिन

नई दल्ली (आनलाईन डेस्‍क)। यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस की अर्थव्‍यवस्‍था लगातार हिचकोले खा रही है। रूस के ही जानकार मान रहे हैं कि अब इसके दम तोड़ने का समय नजदीक आ रही है। इतना ही नहीं इन जानकारों का मानना है कि राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की भी उल्‍टी गिनती अब शुरू हो चुकी है। रूसी थिंक टैंक सेंटर फार रिसर्च आन पोस्‍ट इंडस्ट्रिल स्‍टडीज के डायरेक्‍टर Vladislav Inozemtsev ने ये विचार रूसी मीडिया से साझा किए हैं। उनका कहना है कि सर्दियों में रूस की अर्थव्‍यवस्‍था घुटने पर आ जाएगी। इसके बाद जो लोग पार्टी करना, विदेशों में घूमने जाना तक भूल जाएंगे। इतना ही नहीं उनकी दिनचर्या में भी काफी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

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राष्‍ट्रपति पुतिन के खिलाफ जनता 

Vladislav के मुताबिक रूस की अधिकांश जनता राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का विरोध कर रही है। देश की जनता यूक्रेन से युद्ध के हक में नहीं है। इससे भी बड़ी बात ये है कि जनता नहीं चाहती है कि उनके बच्‍चों की यूक्रेन में बलि दे दी जाए। यही वजह है कि रूस के अलग शहरों में इन दिनों विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे है। इन विरोध प्रदर्शनों की खास बात ये है कि इनमें अधिकतर महिलाएं शामिल हो रही हैं। इनकी मांग है कि उनके बच्‍चों को जीने का हक दिया जाना चाहिए।

रिजर्व फोर्स की संख्‍या 12 लाख तक 

ये विरोध प्रदर्शन यूक्रेन युद्ध के साथ-साथ राष्‍ट्रपति पुतिन के खिलाफ हैं। इन प्रदर्शनों की संख्‍या लगातार इस लिए भी बढ़ रही है क्‍योंकि हाल ही में राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने एक नया आदेश पारित किया है। इस आदेश के तहत उन्‍होंने 3 लाख से अधिक की संख्‍या में रिजर्व फोर्स बनाए रखने का आदेश दिया है। हालांकि अपुष्‍ट सूत्रों का कहना है कि ये संख्‍या करीब 12 लाख तक हो सकती है। इसके विरोध में लोगों में जबरदस्‍त गुस्‍सा है। जनता मान रही है कि राष्‍ट्रपति पुतिन अपने अहम के लिए उनके बच्‍चों को यूक्रेन युद्ध की भेंट चढ़ाने में लगे हुए हैं।

दांव पर लगाई देश की साख 

रूसी थिकं टैंक के प्रमुख का यहां तक कहना है कि इस यूक्रेन यद्ध में रूस ने अपनी साख को तो दांव पर लगाया ही है साथ ही देश की वित्‍त व्‍यवस्‍था को भी दांव पर लगा दिया है। यूक्रेन युद्ध की वजह घिरे रूस पर लगातार प्रतिबंधों का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सेंट्रल बैंक ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था में 6 फीसद की गिरावट का अनुमान लगाया है। हालांकि ये गिरावट इससे कहीं अधिक हो सकती है। रूस ने यूक्रेन युद्ध से जुड़े कई तथ्‍यों को छिपाने का काम किया है। इस युद्ध पर अपार धन खर्च किया जा रहा है। पहले से ही रूस की अर्थव्‍यवस्‍था कोरोना महामारी की वजह से गिरावट का दर्द झेल रही है। इस पर युद्ध ने आखिरी कील ठोकने का काम किया है।

यूक्रेन युद्ध के दुष्‍परिणाम 

Vladislav Inozemtsev का कहना है क यूक्रेन युद्ध के देश की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बहुत बुरे परिणाम होंगे। इसका असर इन सर्दियों में ही दिखाई देने लगेगा। रूस के लिए ये इतिहास का सबसे बुरा दौर बन जाएगा। राष्‍ट्रपति पुतिन को भी इस बात का अंदेशा हो गया है। यही वजह है कि वो फोर्स को मोबिलाइज कर रहे हैं। इसका एक सीधा सा अर्थ ये भी है कि सरकार लोगों का पैसा इस पर खर्च कर रही है।

स्‍टाक एक्‍सचेंज में दिखाई देगी गिरावट 

अर्थशास्‍त्री व्‍लादिस्‍लेव का ये भी कहना है कि इस वर्ष के अंत तक मास्‍को स्‍टाक एक्‍सचेंज में जबरदस्‍त गिरावट देखने को मिल जाएगी। आने वाले दिनों में रूस पर प्रतिबंध और कड़े हो जाएंगे। रूस की एनर्जी मार्किट भी इसकी गिरफ्त में आ जाएगी। पहले ही रूस में स्‍माल स्‍केल सेक्‍टर इस युद्ध से प्रभावित हुआ है। करीब 30-40 लोग का रोजगार युद्ध की वजह से छूट गया है, क्‍योंकि उन्‍हें जबरन फ्रंटलाइन पर भेजा गया है। बता दें कि उनके बारे में ये विचार ऐसे समय में सामने आए हैं जब कुछ ही समय पहले यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा मानवाधिकार उल्‍लंघन को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र की पहली रिपोर्ट सामने आई है। इससे भी राष्‍ट्रपति पुतिन की मुश्किलों के बढ़ने का दावा किया गया था। 

(फार्चुन डाटकाम की खबर के मुताबिक)

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