भारत-अमेरिका के रिश्तों से रूस के साथ संबंध पर क्या पड़ेगा असर? रूसी विदेश मंत्री ने किया साफ
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस भारत के राष्ट्रीय हितों और प्रधानमंत्री मोदी की स्वतंत्र विदेश नीति का सम्मान करता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में जयशंकर के बयान की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। लावरोव ने स्पष्ट किया कि रूस ने कभी भी भारत के अमेरिका के साथ संबंधों को अपने रिश्ते के लिए मानक नहीं बनाया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस भारत के राष्ट्रीय हितों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वतंत्र विदेश नीति का पूरा सम्मान करता है और अमेरिका या किसी अन्य देश के साथ संबंधों से भारत के साथ हमारे रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ता है।
लावरोव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के बयान ने दिखाया कि भारत के पास आत्म सम्मान है और वो अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में पहुंचे लावरोव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि रूस ने कभी भी भारत के अमेरिका के साथ संबंधों को अपने रिश्ते के लिए मानक नहीं बनाया है।
जयशंकर की प्रशंसा की
रूसी तेल खरीद रोकने के लिए अमेरिका की ओर से भारत पर डाले जा रहे दबाव से जुड़े सवाल पर लावरोव ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान मैंने उनसे नहीं पूछा कि हमारे व्यापारिक संबंधों या तेल खरीद का क्या होगा। मैं अपने भारतीय सहयोगी से ये सब नहीं पूछता। वे अपने फैसले लेने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।
लावरोव ने जयशंकर की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा कि जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में साफ किया कि अगर अमेरिका भारत को तेल बेचना चाहता है तो इसके नियमों को तय करने पर बात की जा सकती है। लेकिन अमेरिका के अलावा भारत दूसरे देशों से क्या खरीदेगा, यह भारत-अमेरिका एजेंडे में नहीं होगा। लावरोव ने कहा कि यह सराहनीय और आत्मसम्मान दिखाने वाली प्रतिक्रिया है। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी है। दोनों देश लगातार उच्च-स्तरीय संपर्क बनाए हुए हैं।
दिसंबर में पुतिन के दौरे पर होंगे बड़े फैसले
भारत-रूस संबंधों के भविष्य पर एक सवाल के जवाब में लावरोव ने कहा कि दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन भारत जाएंगे। उस दौरान रूस और भारत के बीच व्यापार, सैन्य, तकनीकी सहयोग, वित्त, स्वास्थ्य सेवा, उच्च तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में व्यापक द्विपक्षीय एजेंडा पर चर्चा होगी। एससीओ, ब्रिक्स के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय स्तर पर हमारे बीच करीबी समन्वय पर भी विचार विमर्श होगा।
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