पाकिस्तान के लिए गले ही हड्डी बना TTP, बना रहा अपनी सेना-वायुसेना; दोगुनी स्पीड से होंगे हमले
टीटीपी अब पाकिस्तानी हुक्मरानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। अफगान तालिबान पर पाक सेना के हमले ने टीटीपी से दुश्मनी और गहरी कर दी है। टीटीपी अपनी खुद ...और पढ़ें

पाकिस्तान के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा टीटीपी। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कभी पाकिस्तानी हुक्मरानों का सगा रहा कट्टरपंथी संगठन तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब उनके ही गले की हड्डी बन गया है। अफगान तालिबान पर हमला करके पाक सेना ने टीटीपी से दुश्मनी और गहरी कर ली है।
टीटीपी के निशाने पर सेना पहले से थी, लेकिन अफगान-पाक के रिश्तों में हाल के समय में आई खटास ने इस दुश्मनी को और भी बढ़ा दिया है। टीटीपी ने पाक सेना को हराने के लिए अपनी खुद की सेना खड़ी करने का फैसला किया है। टीटीपी की योजना अपनी वायुसेना तैयार करने की भी है।
पाक सेना पर हो सकते हैं दोगुने हमले
खुफिया सूत्रों का मानना है कि आनेवाले दिनों में पाक सेना पर हमले दोगुना तेज हो सकते हैं। बुलंद हौसले के साथ टीटीपी ने अपनी विस्तारवादी योजनाओं में सबसे ऊपर प्रोपेगैंडा विंग को मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। पाक सेना के खिलाफ जहर उगलने के लिए संगठन ऑनलाइन स्पेस का इस्तेमाल कर रहा है।
बता दें कि टीटीपी और पाकिस्तान सेना के बीच युद्धविराम नवंबर 2022 में खत्म हो गया था। इसके बाद से सेना पर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में हमले तेज हो गए हैं। टीटीपी ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों और सेना, दोनों पर ही बड़े पैमाने पर हमले किए हैं।
यही नहीं, टीटीपी ने नए प्रांतों में अपना प्रशासनिक नियंत्रण भी बढ़ाया है, जिसमें गिलगिट-बाल्टिस्तान भी शामिल है। वायुसेना बनाने की भी योजना सैन्य नेतृत्व की कमान सदर्न मिलिट्री जोन के मुखिया फकीर इपी के पोते एहसानुल्ला इपी के हाथ में दी गई है। वहीं सेंट्रल मिलिट्री जोन की कमान हिलाल गाजी को सौंपी गई है। संगठन के राजनीतिक आयोग की कमान अजमतुल्ला महसूद के हाथ में रहेगी, जबकि मौलवी फकीर को आयोग का सदस्य बने रहेंगे।
वायुसेना बनाने की योजना बना रहा टीटीपी
अधिकारियों ने बताया कि टीटीपी की अपनी वायुसेना बनाने की भी योजना है। इस योजना पर अभी चर्चा चल रही है और 2026 के अंत तक ही इसके आपरेशनल होने की उम्मीद है। टीटीपी के खिलाफ आइएसकेपी व लश्कर टीटीपी से निपटने के लिए पाकिस्तान ने इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आइएसकेपी) और लश्कर ए तैयबा को एकजुट करने का प्रयास किया है।
आईएसकेपी भी इसके लिए तैयार है क्योंकि वह स्वयं अफगानिस्तान में अफगान तालिबान से लड़ रहा है। हालांकि, लश्कर के अंदरखाने नए गठजोड़ को लेकर नाखुशी बढ़ रही है। हाफिज सईद के संगठन के भीतर कइयों का मानना है कि टीटीपी या अफगान तालिबान के खिलाफ लड़ना अनुचित होगा।

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