Pakistan Crisis: श्रीलंका की राह पर पाकिस्तान, क्या कर्ज चुकाने में करेगा चूक? आर्थिक बदहाली के बने हालात
जिस तरह श्रीलंका अपने शुरूआती दिनों का सामना कर रहा था। वैसी स्थिति पाकिस्तान में भी बन गई है। अब कोई चमत्कार ही पाकिस्तान को इस खस्ता हालत से बाहर निकाल सकता है। नहीं तो कुछ दिन या हफ्तों के बाद स्थिति बद से बत्तर हो जाएगी। (जागरण-फोटो)
इस्लामाबाद, एएनआई। पाकिस्तान इन दिनों कठिन समय से गुजर रहा है। देश आर्थिक संकट की मार झेल रहा है। वहीं दिन-प्रतिदिन यहां महंगाई आसमान छु रही है। आम जनता का हाल-बेहाल है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति श्रीलंका के बेहद करीब पहुंच गई है। बता दें कि जिस तरह श्रीलंका अपने शुरूआती दिनों का सामना कर रहा था। वैसी ही स्थिति पाकिस्तान में भी बन गई है। अब कोई चमत्कार ही पाकिस्तान को इस खस्ता हालत से बाहर निकाल सकता है। नहीं तो कुछ दिन या हफ्तों के बाद स्थिति बद से बत्तर हो जाएगी ।
हाईब्रिड सिस्टम फाउंडेशन के बारे में हुई थी चर्चा
आपको बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य संस्था इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के तत्कालीन महानिदेशक शुजा पाशा के माध्यम से हाईब्रिड सिस्टम फाउंडेशन के बारे में बीते दिनों काफी चर्चा हुई थी, जिसका गठन 2010 के आसपास दो प्रमुख राजनीतिक खीज- पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PMLN) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) को खत्म करने के लिए किया गया था।
हालांकि यह स्थापना असफल करार दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान का यह प्रयोग जो अगस्त 2018 में स्थापित किया गया था, उसे राजनीतिक अभिजात वर्ग, पर्यवेक्षकों, विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों सहित पाकिस्तान के अधिकांश समाज ने 2021 की शुरुआत में महसूस किया था कि हाइब्रिड सिस्टम परियोजना, सभी गैरकानूनी संसाधनों, साधनों और अरबों निवेश का उपयोग करने के बाद अंततः विफल रही है।
क्या मानना है पाकिस्तान के प्रख्यात अर्थशास्त्री का
पाकिस्तान के प्रख्यात अर्थशास्त्री खुर्रम हुसैन का मानना है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सटीक शर्तों को स्वीकार करके ही आर्थिक मोर्चे से खुद को अलग कर सकता है। नहीं तो उसे बड़ी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने यह याद दिलाया कि सत्ता में आने से पहले शहबाज शरीफ ने मिफा इस्माइल के साथ कई बैठकें की थीं और देश के सामने आ रही आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा की थी।
पाकिस्तान को बढ़ानी होंगी कीमतें
खुर्रम हुसैन ने शहबाज शरीफ को स्पष्ट रूप से सूचित किया था कि उनकी सरकार को इतने अधिक स्तर तक कीमतें बढ़ानी होंगी। हालांकि, जब सरकार ने आईएमएफ की शर्तों को लागू करना शुरू किया, तो पार्टी सदस्यों ने मूल्य वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कोई भी स्वीकार करने सामने नहीं आया। वहीं शरीफ के दबाव में नहीं आने की वजह से उन्होंने लंदन में नवाज शरीफ से संपर्क करना शुरू कर दिया।
आईएमएफ से पहले मुस्ता इस्माइल का रुख सही था
वर्तमान वित्त मंत्री इशाक डार, जो तब पाकिस्तान में मामलों के कारण लंदन में रह रहे थे। उन्होंने नवाज शरीफ से कहा कि मिफा इस्माइल स्थिति को संभालने में असमर्थ हैं। बता दें कि नवाज शरीफ ने लंदन में एक बैठक बुलाई, जिसमें डार और इस्माइल दोनों ने भाग लिया जिसमें सभी पक्ष वित्त मंत्री के बदलाव पर सहमत हुए।
र्थिक विशेषज्ञ युसुफ नाजार, जिन्होंने दार की नीतियों की आलोचना की थी, उन्होंने कहा कि आईएमएफ से पहले मुस्ता इस्माइल का रुख सही था और उनका निर्देश सही था। शरीफ की जगह डार को लेना गलत था। बहुत देर नहीं होती। उन्हें वित्त मंत्री के रूप में वापस लाना चाहिए।
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