पाकिस्तान के ये 5 तानाशाह जो हिन्दुस्तान में हुए पैदा, बाद में भारत के ही खिलाफ रची साजिश
इस्कंदर मिर्जा के अलावा ऐसे कई सत्ता प्रमुख रहे जिन्होंने हिन्दुस्तान में जन्म तो लिया लेकिन एक समय बाद भारत के ही खिलाफ साजिश रचने लगे व सख्त नफरत करने लगे। इसमें चौधरी मोहम्मद अली अब्दुल कादीर खान परवेज मुशर्रफ और लियाकत अली खान का नाम भी जुड़ा हुआ है।
नई दिल्ली। आनलाइन डेस्क। गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुए भारत और पाकिस्तान ने अपने भविष्य के लिए नींव तैयार की और आगे बढ़े। दोनों ही मुल्क को आजाद हुए 70 साल से भी अधिक हो चुके हैं। इन सात दशकों में हमारे पड़ोसी देश ने कई प्रधानमंत्री को बदलते हुए देखा।
पाकिस्तान में ये बात बहुत आम है कि वहां जो भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या गर्वनर जनरल बना उसे सैनिक तानाशाहों द्वारा देश से निकाला गया या तो पद से ही हटा दिया गया। ऐसे ही एक पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे इस्कंदर मिर्जा। जब बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना ने इस्कंदर मिर्जा को अपना रक्षा सचिव नियुक्त कर दिया। इस नियुक्ति के बाद ही पाकिस्तान में सैन्य शासन की नींव पड़ गई थी। आगे चलकर इस्कंदर मिर्जा कई प्रधानमंत्रियों को बर्खास्त करने वाले राष्ट्रपति बन गए।
बंगाल, मीर जाफर और इस्कंदर मिर्जा
प्लासी का युद्ध तो याद होगा ही, अगर याद नहीं है तो हम आपको थोड़ा पीछे यानि की 18वीं शतब्दी में ले चलते हैं। इस समय बंगाल में नवाज सिराजुद्दौला का शासन चल रहा है और अंग्रेज उन्हें हराने के लिए एड़ी-चोटी की जोर आजमाइश कर रहे है। जब अंग्रेजी फौज का सेनापति राबर्ट क्लाइव ये समझ जाते है कि सिराजुद्दौला को हराना नामुमकिन है तो वे धोखे का सहारा लेते है।
राबर्ट को पता चला कि नवाब का सेनापति मीर जाफर एक भ्रष्ट शख्स के साथ-साथ लालची भी है। मीर जाफर के कारण क्लाइव को बंगाल में जीत मिली थी क्योंकि जाफर अंग्रेजों के साथ मिल गया था। 23 जून 1757 को प्लासी के युद्ध में नवाब हार गए और अंग्रेजों ने हिंदुस्तान में अपने पैर जमाने की अपनी पहली शुरूआत कर दी थी। इतिहास के पन्नों में मीर जाफर का नाम एक गद्दार के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। इसी मीर जाफर का वंशज बना इस्कंदर मिर्जा।
जब अपने ही देश से इस्कंदर मिर्जा को बेइज्जत होकर जाना पड़ा
पाकिस्तान का सपना सँजोये बैठे मीर जाफर के प्रपौत्र इस्कंदर मिर्जा का जन्म भारत के राज्य बंगाल के मुर्शीदाबाद में हुआ था। वह आजादी के बाद पाकिस्तान के पहले रक्षा सचिव बने। जम्मू-कश्मीर पर जब पाकिस्तान ने हमला कराया तो इसकी साजिश रचने या कहें षड्यंत्रकारियो में मिर्जा को ही आरोपी घोषित किया गया। 1956 में उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। राजनैतिक अस्थिरता के बीच पाकिस्तान में दो साल के अंदर चार बार प्रधानमंत्री बदले गए और अंत में मिर्जा को देश में सैन्य शासन लागू करना पड़ गया।
अयूब खान
पाकिस्तानी सेना के हाथों पाकिस्तान की कमान सौंपना इस्कंदर मिर्जा की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। पाकिस्तानी फौज में बेहद नकारा किस्म का अफसर अयूब खान को सेना प्रमुख की कुर्सी पर बिठाया गया। न केवल मोहम्मद अली जिन्ना बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मुहम्मद अली बोगरा ने मिर्जा को अयूब खान से सावधान रहने की चेतावनी दी थी। लेकिन अयूब की काबिलियत पर काफी भरोसा करने वाले पर मिर्जा को मुंह की खानी पड़ी।
जनरल अयूब खान ने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागू होने के बीस दिन के भीतर ही मिर्ज़ा को राष्ट्रपति के पद से हटा दिया और देश से निष्काषित कर दिया। कहा जाता है कि उन्हें इस हद तक बेइज्जत किया गया कि वे अपने साथ केवल अपना व्यक्तिगत समान ही लंदन ले जा सके। 1965 में जब जुल्फिकार अली भुट्टो लंदन आए तब उन्होंने मिर्जा से मुलाकात की और पूछा कि भारत की ताकत का अंदाजा होने के बाद भी युद्ध की शुरूआत क्यों की? तो इसके जवाब में मिर्जा ने कहा था कि "मैं क्या करता अयूब खान को कमजोर करने और हटाने के लिए यह ज़रूरी था"।
इस लिस्ट में है और भी अनेकों नाम....
पाकिस्तान में भारत के साथ युद्ध का कैसे राजनितिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है वो आपने इस बात से अंदाजा लगा ही लिया होगा। इस्कंदर के अलावा ऐसे कई सत्ता प्रमुख रहे जिन्होंने हिन्दुस्तान में जन्म तो लिया लेकिन एक समय बाद भारत के ही खिलाफ साजिश रचने लगे व सख्त नफरत करने लगे। इसमें चौधरी मोहम्मद अली, अब्दुल कादीर खान, परवेज मुशर्रफ और लियाकत अली खान का नाम भी जुड़ा हुआ है।
चौधरी मोहम्मद अली
भारत राज्य पंजाब के जालंधर में पैदा हुए चौधरी मोहम्मद अली जो आगे जाकर पाकिस्तान के वजीरे आजम बने। अगर अली पाकिस्तान की पद पर लंबे वक्त तक टिके रहते तो आज पाकिस्तान का वर्तमान कुछ अलग ही होता। मोहम्मद अली को पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनाया गया।
इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा थे लेकिन बाद में गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने मोहम्मद अली बोगरा को प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया और अगस्त 1955 में वित्त मंत्री रहे चौधरी मोहम्मद अली को वजीर-ए-आजम का पद सौंप दिया। अपने पद पर रहते हुए मोहम्मद अली ने पाकिस्तान का संविधान बनाने पर काम किया।
1- 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के संविधान का पहला ड्राफ्ट लागू हुआ।
2- इसी दिन पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क घोषित किया गया।
3- चौधरी मोहम्मद अली अपनी पार्टी मुस्लिम लीग के अध्यक्ष भी थे।
4- बोगरा सरकार की वन यूनिट पॉलिसी पर किया काम।
5- पॉलिसी के मुताबिक, पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से के चार प्रांतों, खैबर-पख्तूनवा, पंजाब, बलूचिस्तान और सिंध को मिलाकर एक बनाने पर किया फोकस।
6- मोहम्मद अली के खिलाफ हुआ अविश्वास प्रस्ताव पास।
7- चौधरी मोहम्मद अली को मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया।
8- गवर्नर जनरल इस्कंदर मिर्जा के समर्थन के बावजूद चौधरी मोहम्मद अली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
9- भारत से रिश्ते सुधारने के लिए प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से भी की थी मुलाकात।
अब्दुल कादीर खान
1- पाकिस्तान (Pakistan) के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉ अब्दुल कादिर खान का जन्म भोपाल में हुआ था।
2- अब्दुल कादिर खान अपनी मां, तीन भाई और दो बहन के साथ भारत से 1951 में पाकिस्तान गए थे।
3- अब्दुल कादिर खान भोपाल को भारत का स्विट्जरलैंड कहते थे।
4- अब्दुल कादिर खान को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
5- अब्दुल कादिर खान के कारण पाकिस्तान मुस्लिम दुनिया में एकमात्र परमाणु शक्ति और परमाणु हथियार (Pakistan Nuclear Weapons) रखने वाला सातवां देश बना।
6- कादीर खान पाकिस्तान के पहले ऐसे नागरिक थे जिन्हें तीन प्रेसिडिंशियल अवार्ड से नवाजा गया था।
7- वह दो बार निशान-ए-इम्तियाज और एक बार हिलाल-ए-इम्तियाज से सम्मानित किए गए थे।
8- अब्दुल कादिर खान पर वैश्विक परमाणु प्रसार में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।
9- खान ने 2004 में उत्तर कोरिया, लीबिया को परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में मदद करने की बात कबूल की थी।
परवेज मुशर्रफ
1- पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ का बचपन दिल्ली में गुजरा।
2- भारत में पैदा हुए परवेज मुशर्रफ आगे चलकर पाकिस्तान के ताकतवर तानाशाह बने।
3- दिल्ली में पैदा होने वाले मुशर्रफ भारत के दुश्मन नंबर-1 थे।
4- परवेज मुशर्रफ का परिवार बंटवारे से पहले भारत में काफी संपन्न था।
5- 1947 में बंटवारे के वक्त मुशर्रफ 4 साल के थे और वह पाकिस्तान के कराची में अपने परिवार के साथ बस गए।
6- 21 साल की उम्र में परवेज मुशर्रफ जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी में भर्ती हो गए।
7- परवेज मुशर्रफ ने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
8- 1971 के युद्ध में मुशर्रफ की महत्वपूर्ण भूमिका रहने के कारण उन्हें पाक सरकार ने कई बार प्रमोट किया।
9- 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने और भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध की साजिश रची।
10- अपनी जीवनी 'इन द लाइन ऑफ फायर - अ मेमॉयर' में जनरल मुशर्रफ ने लिखा था कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी।
11- 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट किया और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए।
12- सत्ता में रहते हुए मुशर्रफ ने बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था।
लियाकत अली खान
1- पाकिस्तान का वो प्रधानमंत्री जो पहले भारत में वित्त मंत्री के रूप में कार्य कर चुके है।
2- लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे।
3- आजादी और विभाजन के दौरान हिंदू-मुसलमान संबंधों को लेकर भी लियाकत अली ने अहम भूमिका निभाई थी।
4- लियाकत अली का जन्म पंजाब के करनाल (हरियाणा का हिस्सा) में हुआ था।
5- लियाकत अली, जिन्ना के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता बने।
6- लियाकत अली खान ने साल 2 फरवरी 1946 में भारत का बजट पेश किया था।
7- 14 अगस्त 1947 से 16 अक्टूबर 1951 तक लियाकत अली पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे।
8- 16 अक्टूबर 1951 को लियाकत अली की हत्या कर दी गई।
9- लियाकत अली की हत्या रावलपिंडी के कंपनी बाग में ठीक उसी स्थान पर की गई, जहां 2007 में बेनजीर भुट्टो की गोली मारकर हत्या की गई थी।