आसिम मुनीर ने फिर उगला जहर : बोला, 'नदी रेडलाइन है, हिंदुस्तान के आगे नहीं झुकेगा पाकिस्तानी'
पाकिस्तान के आर्मी चीफ सैयद आसिम मुनीर ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत को आंख दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कभी हिंदुस्तान के आगे नहीं झुकेगा। मुनीर ने बलूच विद्रोहियों को भारत के लिए प्रॉक्सी बताया। उनका कहना है कि बलूचिस्तान में एक्टिव टेररिस्ट भारत के इशारे पर काम कर रहे हैं। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत से मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान आर्मी चीफ सैयद आसिम मुनीर ने एक बार फिर सिंधु जल संधि स्थगित होने के बाद भारत को आंख दिखाने की कोशिश की है।
पाकिस्तान अखबार डॉन ने पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के हवाले से बताया है कि मुनीर ने कहा है कि पाकिस्तान कभी हिंदुस्तान के आगे नहीं झुकेगा। पाक आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने कहा, पानी पाकिस्तान की रेडलाइन है और हम 24 करोड़ पाकिस्तान अपनी बुनियादी हक से कोई समझौता नहीं करेंगे।
भारत के लिए प्रॉक्सी हैं बलूच विद्रोही
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बीच पाकिस्तान में बलूच विद्रोही ने भी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। इस दौरान पाकिस्तान को खुद के घर में विद्रोहियों से निपटना पड़ रहा था। बलूच विद्रोहियों को लेकर मुनीर ने कहा कि वे भारत की शह पर प्रॉक्सी की तरह काम करते हैं।
बलूचिस्तान में एक्टिव टेररिस्ट भारत के प्रॉक्सी हैं। ये लोग बलूच नहीं हैं और इनका नाता भी बलूचिस्तान से नहीं है। - मुनीर
क्या है सिंधु जल संधि?
जब 1947 में ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान में बंटवारा किया गया, तो सिंधु नदी प्रणाली संभावित संघर्ष का मुद्दा बन गई। सिंधु दोनों देशों से होकर बहती है (तिब्बत से निकलती है और अफगानिस्तान और चीन को भी छूती है)।
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1948 में भारत ने कुछ समय के लिए पाकिस्तान को पानी देना बंद कर दिया था। बाद में, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से शिकायत की कि भारत पर्याप्त पानी नहीं दे रहा है। यूएन ने मदद लेने का सुझाव दिया, जिसके कारण विश्व बैंक ने मध्यस्थता करने के लिए कदम बढ़ाया।
कई सालों की बातचीत के बाद, भारत के प्रधानमंत्री नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने आखिरकार 1960 में समझौते पर हस्ताक्षर किए। भारत-पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे के समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों रवि, ब्यास और सतलुज पर प्राथमिक नियंत्रण मिला।
भारत इन नदियों के पानी को स्वतंत्र तौर से इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं पाकिस्तान को भी तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम पर प्राथमिक नियंत्रण मिला। भारत भी इन नदियों के पानी के इस्तेमाल कर सकती थी, लेकिन इसके अलावा ऐसे कुछ नहीं कर सकती थीं जो पानी को पाकिस्तान जाने से रोके।
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