Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दास्तान-ए-आसिम मुनीर : हार के आगे प्रमोशन है... पाकिस्तान में कुछ भी संभव है

    Updated: Sat, 24 May 2025 11:17 AM (IST)

    पाकिस्तान ने अपने सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल (Field Marshal General Asim Munir) पद पर प्रमोट कर दिया है। इससे दोनों देशों के बीच बना तनाव कम होने के आसार फिलहाल तो धूमिल दिख रहे हैं। हालांकि मुनीर को यह पद फौज में असंतोष को शांत करने के लिए दिया गया है। इमरान खान ने कहा कि मुनीर को राजा घोषित कर देना चाहिए।

    Hero Image
    आसिम मुनीर के प्रमोशन पर मीम्स हो रहे वायरल

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की कठपुतली सरकार ने अपने 'आका' यानी जनरल आसिम मुनीर (General Asim Munir) को तरक्की दे दी है। हालांकि इस खबर में कोई नयापन नहीं है, क्योंकि आप सभी को पता ही है कि शहबाज शरीफ ने मुनीर को प्रमोशन देकर फील्ड मार्शल बना दिया है। अयूब खान के बाद मुनीर दूसरा फौजी जनरल है जिसे फाइव स्टार जनरल बनाया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन, यह मामला केवल प्रमोशन का नहीं है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के लिए चिंता का विषय भी है। मुनीर को ऐसे समय में प्रमोट किया गया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते सबसे खराब दौर में है। क्षेत्रीय शांति खतरे में है और दोनों ही देश युद्ध की स्थिति तक पहुंच गए थे।

    ऑपरेशन सिंदूर में धुली पाकिस्तान की फौजी तैयारी

    यह तो आप जानते ही हैं कि 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा कश्मीर के पहलगाम में की गई निर्दोष भारतीयों की हत्या के बाद ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) शुरू किया गया था। नतीजा यह हुआ कि भारतीय सुरक्षा बलों और प्रणालियों ने पाकिस्तान को एक यादगार सबक सिखाया।

    हालात इतने ज्यादा गंभीर हो गए थे कि युद्ध की नौबत बनती दिखने लगी थी। तभी अचानक पाकिस्तानी डीजीएमओ (DGMO) ने संघर्ष विराम की गुहार लगाई। तब जाकर स्थिति नियंत्रण में आई। भारतीय सेना के जवाब में पाकिस्तान के कई आतंकी अड्डों को मिट्टी में मिला दिया गया।

    खास बात यह रही कि भारतीय सुरक्षा बलों ने बेहद सटीकता के साथ केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। लेकिन पाकिस्तानी फौज ने उलटा भारतीय सीमावर्ती इलाकों में हमला शुरू करने का नाकाम प्रयास किया। जिसके बाद उन्हें मुंहतोड़ जवाब भी मिला। पाकिस्तानी एअरफोर्स और सेना के कई महत्वपूर्ण ठिकाने भारतीय मिसाइलों और रॉकेटों का शिकार बने।

    भारतीय एअर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन तथा मिसाइलों को हवा में ही ठिकाने लगा दिया। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत (india) ने स्पष्ट संदेश भी दिया कि आतंकी हमलों का भरपूर और पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा।

    हार के जख्मों पर सितारों का मरहम

    भारत से मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के भीतर ही फौज तथा सरकार की भरपूर किरकिरी होने लगी। दूसरी ओर फौज में भी असंतोष के स्वर उठना शुरू हो गए थे। उन्हें शांत करने और जख्मों पर मरहम रखने के लिए मुनीर को फील्ड मार्शल की कुर्सी पर बिठाया गया है।

    हालांकि इस पांच सितारा कवच के बाद भी मुनीर पर आरोपों के तीर लगातार बरस ही रहे हैं। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री (वजीर-ए-आजम) इमरान खान (Imran Khan) ने कहा, 'मुनीर को राजा घोषित कर देना चाहिए।' उन्होंने कहा कि शहबाज सरकार के इस फैसले से तय हो गया है कि मुल्क की सरकार को कौन चला रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी राजनीति फौज के बिना चल ही नहीं सकती है।

    दूसरी ओर, आसिम मुनीर खुद को पाकिस्तान का रक्षक और मसीहा के रूप में प्रचारित करने में लगा हुआ है। हालांकि दक्षिण एशिया में इसका संदेश किसी भी एंगल से सकारात्मक नहीं कहा जा सकता है।

    पाकिस्तान सरकार के इस फैसले से यह तो तय हो चुका है कि उसकी फौज अब पहले से भी ज्यादा बेकाबू हो जाएगी। वहां का सिविल मिलिट्री बैलेंस ( military) पहले से ही बिगड़ा हुआ ही है। यह अब और ज्यादा बदतर हो जाएगा। जिसका सीधा असर वहां के उस लोकतंत्र पर पड़ेगा जो कभी भी परिपक्व हो ही नहीं पाया।

    कहीं इतिहास खुद को दोहराने की राह पर तो नहीं है

    वैसे भी पाकिस्तान का इतिहास तख्ता पलट के किस्सों से भरा पड़ा है। जब जिस जनरल को मौका मिला, उसने सरकार को सत्ता से बाहर करके खुद को शासक बना लिया। तख्ता पलट का इतिहास शुरू होता है बंटवारे के ठीक एक दशक बाद यानी सन 1958 से।

    उस समय पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने राजनीतिक अस्थिरता के चलते सरकार को सत्ता से हटाकर मार्शल लॉ लागू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने जनरल अयूब खान (General Ayub Khan) को चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया था।

    क्‍या होता है फील्ड मार्शल पद जो पाकिस्‍तान ने आसिम मुनीर को दिया, कब जनरल को दिया जाता है प्रमोशन और कितनी मिलती है सैलरी?

    यहीं से पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में फौज की धमक और उपस्थिति बढ़ना शुरू हो गई थी। चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर बनने के मात्र 20 दिनों के भीतर ही अयूब खान ने इस्कंदर मिर्जा को राष्ट्रपति पद से हटाकर पूरी सत्ता पर कब्जा कर लिया था। मिर्जा के सामने दो ही विकल्प थे, या तो पाकिस्तानी जेल में सड़ो या फिर देश छोड़कर भाग जाओ। उसने दूसरा रास्ता चुना और अंतिम सांस तक लंदन में रहा।

    इधर, अयूब खान ने फौजी हुकूमत के बल पर खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। सदर-ए-पाकिस्तान बनने के एक साल बाद अयूब ने खुद को प्रमोशन देकर फील्ड मार्शल भी बना लिया। इस तरह से उसे अपनी सत्ता के लिए भविष्य सुरक्षित कर लिया और अगले 11 साल तक पद पर बना रहा।

    हालांकि 1965 की लड़ाई में हार का मुंह देखने और पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में भद पिटवाने के बाद उसकी लोकप्रियता का ग्राफ रसातल की ओर जाने लगा। पूरे देश में उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे।

    File Photo: अपने समय की विख्यात गायिका नूरजहां के साथ तब के तानाशाह और फील्ड मार्शल अयूब खान

    अयूब खान को इस्तीफा देना पड़ा और सत्ता की चाबी मिली याह्या खान को। उसने भी खुद को राष्ट्रपति बना लिया। लेकिन 1971 में याह्या को भी कुर्सी छोड़नी पड़ी। इस बार सत्ता वापस राजनीति की ओर आई और जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto) ने कमान संभाली।

    भुट्टो बहुत दिनों तक सत्ता सुख नहीं ले सके। सरकार में रहते हुए भुट्टो ने यह सोचकर जिया-उल-हक को सेनाध्यक्ष बनाया कि यह 'जनरल बंदर' उनके इशारों पर नाचेगा। लेकिन हुआ इसका उलटा। जिया ने भुट्टो सरकार का तख्ता पलट (Takhtapalat) करते हुए उन्हें फांसी के तख्ते पर लटका दिया।

    जिया अपने पूर्ववर्ती तानाशाहों से काफी आगे निकला, उसने पाकिस्तानी संसद को भंग करते हुए देश का संविधान ही रद कर दिया। उसने पाकिस्तान को इस्लामिक रिपब्लिक घोषित कर दिया। शरीया के आधार पर नया संविधान भी बनवाया। हालांकि एक विमान दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी।

    अब बात करते हैं 1999 की। इस समय पर पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार थी जिसके मुखिया यानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) थे। शरीफ ने परवेज मुशर्रफ को सेनाध्यक्ष बनाया। यहां भी इतिहास ने खुद को दोहराया और मुशर्रफ (Musharraf) से सरकार का तख्ता पलट दिया और देश में इमरजेंसी लगा दी।

    अगर आप यहां तक पढ़ चुके हैं तो आपको समझ आ गया होगा कि हमने यह क्यों लिखा है कि 'कहीं इतिहास खुद को दोहराने की राह पर तो नहीं है।'

    आसिम मुनीर को पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तरक्की देते हुए फील्ड मार्शल बनाया है। ठीक ऐसे ही जनरल जिया-उल-हक (Zia-ul-Haq) और परवेज मुशर्रफ को भी तब के प्रधानमंत्रियों ने सेनाध्यक्ष बनाया था। इन दोनों ने पद पाते ही सबसे पहले उन्हीं प्रधानमंत्रियों को ठिकाने लगाया था, जिन्होंने इन्हें आगे बढ़ाकर आर्मी चीफ की कुर्सी पर बैठाया था। अब मुनीर क्या करने वाला है, यह तो वक्त ही बताएगा।

    बेर्शम पाकिस्तान और निर्लज PAK जनरल...आसिम मुनीर के फील्ड मार्शल बनने की पीछे क्या है मकसद?