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    पाकिस्तान सरकार ने पत्रकारों और एनजीओ को बताया 'देश का दुश्मन', मानवाधिकार संगठनों ने की निंदा

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 10:30 PM (IST)

    पाकिस्तान सरकार ने अखबारों में विज्ञापन देकर पत्रकारों एनजीओ कर्मचारियों और सिविल सोसाइटी को देश का दुश्मन बताया है जिससे प्रेस की स्वतंत्रता की वकालत करने वालों ने सरकार की आलोचना की है। सरकार का कहना है कि ये लोग देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा चला रहे हैं और समाज में अशांति फैला सकते हैं। मानवाधिकार संगठनों ने भी विज्ञापन की निंदा की है।

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    पाकिस्तान सरकार ने पत्रकारों और एनजीओ बताया को 'देश का दुश्मन' (एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान सरकार ने देश के प्रमुख अखबारों में विज्ञापन देकर पत्रकारों, फ्रीलांसरों, एनजीओ कर्मचारियों और सिविल सोसाइटी को देश का दुश्मन बताते हुए कहा कि ये दुश्मन देश का प्रोपेगैंडा चला रहे हैं। प्रेस की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की वकालत करनेवाले समूहों ने सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना की है।

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    पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक सरकार की तरफ से एक और दो अक्टूबर को देश के प्रमुख अखबारों में आधे पेज का विज्ञापन प्रकाशित कराया गया, जिसमें आगाह किया गया कि युद्ध का मैदान बंदूकों से हटकर सूचनाओं की तरफ स्थानांतरित हो गया है।

    इस विज्ञापन का शीर्षक दिया गया है- क्या आपने कभी सोचा है कि आज के दौर में युद्ध कैसा दिखता है। आज का दुश्मन बारूद का नहीं, बल्कि सूचनाओं का इस्तेमाल करता है और वह पत्रकारों, एनजीओ कार्यकर्ता या एक फ्रीलांसर के वेश में अपना काम करता है।

    समाज में भय और अशांति का माहौल पैदा कर सकते हैं

    विज्ञापन में कहा गया कि ऐसे लोग संवेदनशील सूचनाएं पाने के लिए समाज में भय और अशांति का माहौल पैदा कर सकते हैं। मीडिया की निगरानी करनेवाले संगठन द फ्रीडम नेटवर्क ने इस विज्ञापन पर कड़ा एतराज जताया है और कहा कि इसने पत्रकारों और सिविल सोसाइट के लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बताते हुए इन पर ही खतरा बढ़ा दिया है।

    संगठन ने बयान में कहा कि बेतुके बयान प्रेस की आजादी को कमजोर करता है, दुश्मनी को बढ़ावा देता है और जनता के सामने भरोसेमंद सूचनाएं लानेवाले पेशेवरों को कलंकित करने का प्रयास करता है।

    मानवाधिकार संगठनों ने की विज्ञापन की निंदा

    पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी), महिला एक्शन फोरम (लाहौर), शिरकत गाह-वीमेंस संसाधन केंद्र, दक्षिण एशिया साझेदारी- पाकिस्तान और सेंटर फार लीगल एड, असिस्टेंस एंड सेटलमेंट (क्लास) ने भी संयुक्त बयान जारी कर सूचना मंत्रालय के इस कदम की निंदा की है।

    इन समूहों ने विज्ञापन को बेहद परेशान करनेवाला बताया और जोर दिया कि पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वायत्त मीडिया के लिए पहले से ही संकुचित दायरे में और सिकुड़न आ सकती है।

    मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को डर है कि इस विज्ञापन के संदेश से पत्रकारों, फ्रीलांसरों और एनजीओ में काम करनेवालों पर खतरा बढ़ सकता है, जिससे वे उत्पीड़न और हिंसा के शिकार हो सकते हैं।

    आलोचकों ने चेताया है कि स्वतंत्र आवाजों को देश का दुश्मन बताकर सरकार ने लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर हमलों को वैध ठहराने का जोखिम बढ़ा दिया है।

    (समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)

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