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    पाकिस्‍तान की गलती की सजा भुगतने को मजबूर है खैबर पख्‍तूनख्वा, ढाई हजार से ज्‍यादा कोरोना के मामले

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 01 May 2020 04:16 PM (IST)

    पाकिस्‍तान की सरकार और सेना के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों की वजह से इस इलाके के साथ शुरू से ही सौतेला व्‍यवहार होता आया है। ...और पढ़ें

    पाकिस्‍तान की गलती की सजा भुगतने को मजबूर है खैबर पख्‍तूनख्वा, ढाई हजार से ज्‍यादा कोरोना के मामले

    नई दिल्‍ली (जेएनएन)। पाकिस्‍तान में कोरोना वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। यहां पर बीते महज नौ दिनों में ही कोरोना के दोगुने मामले हो गए हैं। यहां अब तक इसके 16817 मामले सामने आ चुके हैं। पाकिस्‍तान का पंजाब प्रांत इससे सबसे अधिक प्रभावित है और यहां पर अब तक 6340 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर शामिल सिंध प्रांत में अब तक 6053 मामले सामने आ चुके हैं। तीसरे नंबर पर खैबर पख्‍तूनख्वा है जहां अब तक 2627 मामले सामने आ चुके हैं। चौथे नंबर बलूचिस्‍तान है और वहां पर इसके 1049 मामले सामने आ चुके हैं। पांचवें नंबर पर गिलगिट बाल्टिस्‍तान में 339 मामले और छठे नंबर पर इस्‍लामाबाद है जहां 343 मामले सामने आ चुके हैं। सातवें नंबर पर गुलाम कश्‍मीर है जहां 66 मामले हैं। आपको यहां पर बता दें कि पाकिस्‍तान के कुछ प्रांतों में इसकी रफ्तार 2-3 गुणा तेज हुई है। इसमें पंजाब, सिंध, बलूचिस्‍तान और खैबर पख्‍तूनख्वा शामिल है।

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    खैबर पख्‍तूनख्वा की बात करें तो 9 दिनों में यहां पर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या 1132 से बढ़कर 2627 तक जा पहुंची है। यहां पर लगातार मामले बढ़ रहे हैं।इसके पीछे सरकार की गलत नीतियां और इस पूरे इलाके के साथ वर्षों से हो रहा सौतेला व्‍यवहार है। ये पूरा इलाका पहाडि़यों से घिरा हुआ है। आपको बता दें कि ये इलाका पाकिस्‍तान को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है। यही से चीन और पाकिस्‍तान के बीच अरबों डॉलर की लागत से बन रहा आर्थिक गलियारा भी गुजर रहा है।

    पाकिस्‍तान के लिए ये पूरा इलाका किसी सोने की खान की ही तरह है, लेकिन यहां पर पाकिस्‍तान की सरकार और सेना के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों की वजह से इस इलाके के साथ शुरू से ही सौतेला व्‍यवहार होता आया है। वर्तमान में भी कोरोना संकट के मद्देनजर यहां पर दूसरे प्रांतों के मुकाबले सहूलियतें न के ही बराबर हैं। इतना ही नहीं, खुद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस बात को मान चुके हैं कि यहां पर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का अभाव है। हालांकि, इसके पीछे वो यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को मानते हैं, लेकिन ये प्रांत फिलहाल सरकार की गलत नीतियों की सजा भुगतने को मजबूर है।

    • अरबों डॉलर की लागत से बनने वाले आर्थिक गलियारे की वजह से यहां पर दस हजार चीनी नागरिक हर वक्‍त मौजूद रहते थे। इसकी वजह से चीनी नागरिक पाकिस्‍तान के इस प्रांत में आसानी से आ-जा सकते थे।
    • चीन में जब कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा था उस वक्‍त भी इस सीमा पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई।
    • पाकिस्‍तान की सरकार और खैबर पख्‍तूनख्वा प्रशासन इस बात से नजर फेरे हुए था कि इस सीमा से ये जानलेवा वायरस पाकिस्‍तान में दाखिल हो सकता है।
    • बीते तीन माह के दौरान चीन से आने वाले पाकिस्‍तानी नागरिकों ने इस सीमा का काफी इस्‍तेमाल किया था।
    • पाकिस्‍तान ने ईरान से लगती अपनी पश्चिमी सीमा कोरोना वायरस के मामले बढ़ते मामलों के मद्देनजर बंद कर दी थी। इसके अलावा पाकिस्‍तान ने अफगानिस्‍तान सीमा भी बंद कर दी थी, जबकि वहां पर इसके संक्रमित मरीजों की संख्‍या काफी कम थी।
    • चीन में बढ़ते मामलों के बावजूद खैबर पख्‍तूनख्वा चीन से लगती सीमा पहले की तरह ही खुली थी। 
    • पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी माना था कि इस इलाके में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का अभाव है।
    • गिलगिट बाल्टिस्‍तान में भी इस इलाके से ही कोरोना का प्रसार हुआ। रही-सही कसर यहां के कट्टरपंथियों ने पूरी कर दी। इन कट्टरपंथियों के आगे पाकिस्‍तान की सरकार भी बेबस दिखाई दी।
    • ये पूरा इलाका आतंकी संगठनों के लिए भी जाना जाता है। यहां पर इनके ट्रेनिंग कैंप भी हैं। इन्‍हें चलाने वाले हमेशा से ही सरकार पर हावी होते आए हैं।
    • यहां पर जो मामले सामने आए और जिन्‍हें क्‍वारंटाइन भी किया गया उन्‍होंने भी सरकार के बताए निर्देशों का पालन नहीं किया।
    • यहां पर सरकार के खिलाफ कई बार प्रदर्शन हुए हैं। यहां के लोगों का आरोप रहा है कि सरकार उनके संसाधनों को अपने हितों के लिए इस्‍तेमाल करती रही है, जबकि उन्‍हें इनसे बेदखल करती रही है। उन्‍हें कभी उनका वाजिब हक सरकार ने नहीं दिया है।

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