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    Pakistan: इस्लामी चरमपंथियों के निशाने पर पाकिस्तान की पुलिस, लगातार कर रही आत्मघाती हमले

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Mon, 27 Feb 2023 12:26 PM (IST)

    इस महीने उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान की ऐसी कई चौकियों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों से बात की गई। इसमें कई लोगों ने बताया कि कैसे फोर्स का नुकसान बढ़ता जा रहा है। संसाधनों और रसद बाधाओं के साथ यह विद्रोही हमलों का खामियाजा भुगत रहा है।

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    Pakistan: इस्लामी चरमपंथियों के निशाने पर पाकिस्तान की पुलिस, लगातार कर रही आत्मघाती हमले

    इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर में हुए आत्मघाती विस्फोट में 93 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि 221 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मरने वालों में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी थे। आतंकियों ने ये हमला पुलिस परिसर में बनी एक मस्जिद पर किया था।

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    इस हमले की जिम्मदारी आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली थी। बता दें कि टीटीपी लगातार पाकिस्तान को अपना निशाना बना कर हमले कर रहा है। अब तक पाकिस्तान में कई बड़ आतंकी हमले किए जा चुके है।

    टीटीपी के आतंकियों के हमले का बढ़ा है खतरा

    खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत का यह हिस्सा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लड़ाकों का अड्डा है। यह सुन्नी इस्लामी समूहों का एक छात्र संगठन है। परमाणु-सशस्त्र पाकिस्तान के लिए आतंकवाद के खतरे को पिछले महीने चित्रित किया गया था, जब पेशावर में एक मस्जिद में हुए बम धमाके में 80 से अधिक पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। इसकी जिम्मेदारी टीटीपी के एक धड़े जमात-उल-अहरार ने ली थी।

    चौकियों में संसाधनों का अभाव

    इस महीने उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान की ऐसी कई चौकियों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों से बात की गई। इसमें कई लोगों ने बताया कि कैसे फोर्स का नुकसान बढ़ता जा रहा है। संसाधनों और रसद बाधाओं के साथ यह विद्रोही हमलों का खामियाजा भुगत रहा है और संघर्ष कर रहा है।

    22 साल में 2100 से अधिक जवानों की मौत

    पाकिस्तानी अधिकारी इन चुनौतियों को स्वीकार करते हैं। वे प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों के बीच बल की क्षमता में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां की पुलिस ने सालों तक आतंकियों से लड़ाई लड़ी है और 'उनका रास्ता रोका' है। साल 2001 से अब तक 2,100 से अधिक जवान मारे जा चुके हैं। वहीं, 7,000 से ज्यादा घायल हो चुके हैं। मगर, वे कभी भी उग्रवादियों के अभियानों का केंद्र में नहीं रहे हैं, जैसा कि आज हैं।

    स्नाइपर हमलों में हुआ है इजाफा

    बार-बार चौकियों पर स्नाइपर फायर कर रहे हैं और इसकी घटनाओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है। खैबर-पख्तूनख्वा में पुलिस की हत्याएं पिछले साल बढ़कर 119 हो गईं, जो 2021 में 54 और 2020 में 21 थीं। इस साल अब तक करीब 102 लोग मारे जा चुके हैं। ज्यादातर मस्जिद बम धमाकों में लेकिन कुछ की मौत अन्य हमलों में हुई ।

    टीटीपी का लक्ष्य पाक में इस्लामिक कानून लागू करना है

    टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान के रूप में जाना जाता है। यह अफगान तालिबान के प्रति निष्ठा की बात कहता है। मगर, सीधे उस समूह का हिस्सा नहीं है, जो काबुल में शासन करता है। इसका घोषित उद्देश्य पाकिस्तान में इस्लामी धार्मिक कानून लागू करना है। टीटीपी के एक प्रवक्ता मुहम्मद खुरासानी ने बताया कि उसका मुख्य लक्ष्य पाकिस्तान की सेना थी, लेकिन पुलिस रास्ते में खड़ी थी।