नवाज के लिए सच बोलना पड़ रहा भारी, हो रही फांसी देने की मांग, इमरान ने कहा गद्दार
एक प्रस्ताव में तो शरीफ को गद्दार करार देते हुए फांसी देने की मांग की गई है। उन्हें गद्दार कहने में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान भी पीछे नहीं हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मुंबई हमले को लेकर दिए बयान पर जोर-शोर से सियासत शुरू हो गई है। इतना ही नहीं मुंबई हमले पर दिए बयान के बाद पाकिस्तान में अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग जोर-शोर से हो रही है। इस संबंध में तीन प्रांतों की विधानसभाओं में एक प्रस्ताव लाया गया है। एक प्रस्ताव में तो शरीफ को गद्दार करार देते हुए फांसी देने की मांग की गई है। उन्हें गद्दार कहने में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान भी पीछे नहीं हैं। नवाज को पहले मीर जाफर बताने वाले इमरान ने अब उन्हें गद्दार तक कह डाला है। इन आरोपों पर नवाज ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही है, इस बारे में फैसला किए जाने की जरूरत है। हमें यह पता लगाना होगा कि देश में आतंकवाद की नींव किसने रखी।
बैकफुट पर सरकार
उनके बयान से उनकी अपनी ही सरकार बैकफुट पर आ खड़ी हुई है। इसके बाद देश के मौजूदा प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने मामले को शांत करने के लिए यहां तक कहा कि नवाज के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। लेकिन नवाज शरीफ ने इसके बाद दोबारा मीडिया में साफतौर पर कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा, न ही बयान को तोड़ा और मरोड़ा गया है। नवाज ने यहां तक कहा कि उन्हें अपनी कही बात पर कोई पछतावा नहीं है और न ही वह इसके लिए माफी मांगेंगे।
मुंबई हमले पर सियासत
मुंबई हमले को लेकर नवाज ने जो बयान मीडिया में दिया है वह नया नहीं है, लेकिन यह भी दुरुस्त है कि नवाज के सत्ता में रहने पर भी इस मामले में कुछ हुआ नहीं। हां अलबत्ता इतना जरूर हुआ है कि आतंकियों के आकाओं को बचाने के लिए उन्हें नजरबंद करने की सियासत वहां जरूर हुई। नवाज ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब देश में आम चुनाव होने हैं और वह किसी भी सूरत से अपनी उपस्थिति देश की सियासत में दर्ज करवाना चाहते हैं। यहां पर एक बात समझने की ये भी है कि जिस वक्त मुंबई में आतंकी हमला हुआ था उस वक्त पाकिस्तान में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सत्ता थी।
नवाज बनाम मुशर्रफ
उस वक्त नवाज निर्वासित जीवन जीने को मजबूर थे और तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने उनकी वतन वापसी पर रोक लगा रखी थी। नवाज अपने इस बयान से कहीं न कहीं वह देश के पूर्व तानाशाह और राष्ट्रपति मुशर्रफ के वतन वापसी की आहट और उनके सत्ता के गलियारों में आने की भी काट खोज रहे लगते हैं। लेकिन उनका यह सच या कबूलनामा पाकिस्तान में उनका राजनीतिक चैप्टर बंद करने में भी सहायक साबित हो सकता है। वैसे भी नवाज के खिलाफ सिर्फ एक इमरान खान नहीं हैं बल्कि कई दूसरे राजनीतिक दल भी हैं।
फांसी दिए जाने की मांग
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व में विपक्ष द्वारा प्रस्ताव लाया गया, जिसमें शरीफ को भारत के पक्ष में बयान देने के लिए फांसी दिए जाने की मांग की गई। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पार्टी ने अपने प्रस्ताव में शरीफ को गद्दार करार दिया। सिंध विधानसभा में भी एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें शरीफ की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी के लिए निंदा की गई। इसमें शरीफ से कहा गया वे अपने बयान के लिए देश से माफी मांगें। खैबर-पख्तूनवा प्रांत की विधानसभा में भी शरीफ के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर उनकी निंदा की गई। इसमें कहा गया कि उन्होंने शपथ के प्रावधानों का उल्लंघन किया।
नवाज ने क्या कहा
गौरतलब है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पहली बार सावर्जनिक तौर पर कबूल किया है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले को पाकिस्तान के आतंकियों ने ही अंजाम दिया था। उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई न करने की वजह से पाकिस्तान ने खुद को अलग-थलग कर लिया है। उनका कहना था कि इसकी वजह से दुनिया का कोई देश हमारे साथ आने को तैयार नहीं है। नवाज ने डॉन अखबार को दिए एक साक्षात्कार में यह तमाम बातें कही हैं। नवाज शरीफ ने कहा कि पाक में अभी भी आतंकी संगठन सक्रिय हैं। उन्हें सरकार से इतर तत्व कहिए, पर क्या हम उन्हें सीमा लांघकर मुंबई में 150 लोगों की जान लेने की इजाजत दे सकते हैं? क्या कोई मुझे इस बात का जवाब देगा? हम तो केस भी पूरा नहीं चलने देते। हम मामले की सुनवाई पूरी क्यों नहीं कर सकते? मुंबई हमलों से संबंधित मुकदमे रावलपिंडी की आतंकवाद रोधी अदालत में लंबित हैं।
खुलेआम सक्रिय आतंकी संगठन
पाकिस्तान में खुलेआम सक्रिय मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर के आतंकी संगठनों- जमात उद दावा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिए बिना शरीफ ने कहा, पाकिस्तान में आतंकी संगठन सक्रिय हैं। उन्हें किसी की हत्या करने की इजाजत कैसे दी सकती है? शरीफ ने कहा, यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। रूस के राष्ट्रपति व्लदिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी यह बात कह चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों को सुरक्षित शरणस्थली उपलब्ध करा रहा है। उसने सहायता भी रोक दी है।
नया नहीं कबूलनामा
हालांकि नवाज ने जिन बातों का जिक्र डॉन से इंटरव्यू के दौरान किया है वह नई नहीं है। इन बातों का जिक्र अमेरिका और वहां गिरफ्तार डेविड हेडली भी कर चुका है। इसके अलावा अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने भी इन बातों का जिक्र किया था। वहीं पूर्व सैन्य अधिकारी ने भी इससे जुड़ी कई बातों का जिक्र पहले किया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के तत्कालीन निदेशक माइकल हेडन ने भी कहा, हमले में पाकिस्तान का हाथ साफ तौर पर देखा जा सकता है। वहीं अमेरिका में गिरफ्तार डेविड हेडली ने भी पाक सेना और आईएसआई के कहने पर मुंबई हमले से पहले रेकी करने की बात कबूल की थी।
पाक के कबूलनामे पर एक नजर :-
6 जनवरी 2009 : पाक ने आधिकारिक रूप से माना था कि हमले की योजना उसके यहां पर ही बनी थी। उसने कसाब को भी अपना नागरिक माना था।
4 अगस्त 2015: पाकिस्तान की जांच एजेंसी एफआईए के पूर्व महानिदेशक तारिक खोसा ने कहा था कि पाकिस्तान अपनी गलती माने और दोषियों को सजा दिलवाने के लिए कड़ा रुख अपनाए।
10 मई 2016: अमेरिका में पाक के राजदूत हुसैन हक्कानी ने दावा किया था कि पाक सेना के पूर्व अधिकारियों ने हमले में अहम भूमिका निभाई थी।
6 मार्च 2017: पाक के पूर्व सैन्य अधिकारी और मंत्री मुहम्मद अली दुर्रानी ने माना था कि मुंबई हमला पाकिस्तान की ओर से किए गए सीमा पार हमले का बेहतरीन उदाहरण है।
2009 में पाकिस्तान ने सात लोगों पर हमले में शामिल होने के लिए मुकदमा दर्ज किया।
2017 मई तक मामले की सुनवाई करने के लिए नौंवी बार जज को बदला।
2014 में मामले में मुख्य आरोपी जकीउर रहमान लखवी को सबूतों के अभाव में रिहा किया।
2017 में पाक अदालत ने लश्कर प्रमुख हाफिज सईद की नजरबंदी को रद्द किया।
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