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    कौन है Ajahn Siripanyo? जिन्होंने 40 हजार करोड़ की संपत्ति छोड़ी और बन गए बौद्ध भिक्षुक

    Updated: Wed, 27 Nov 2024 11:17 AM (IST)

    अरबपति ने आध्यात्मिकता की खोज में अपनी अरबों की विरासत को छोड़ दिया है। वेन अजान सिरिपान्यो ऐशोआराम की जिंदगी छोड़ भिक्षु बन चुके हैं। वह अरबपति के बेटे हैं। उनके पिता आनंद कृष्णन टेलीकॉम दिग्गज रहे हैं। उनकी संपत्ति लगभग 40000 करोड़ रुपये है। दो दशक से अधिक समय के बाद वह अब एक वन भिक्षु और थाईलैंड-म्यांमार सीमा के पास स्थित दताओ दम मठ के मठाधीश हैं।

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    Ajahn Siripanyo ने करोड़ों की संपत्ति छोड़ सादगी से बिताया जीवन

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: लोग अपने जीवन में पैसा कमाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, पूरी जिंदगी पैसा कमाने में लगा देते हैं। आज हम आपको एक ऐसा मामला बताते हैं, जहां एक अरबपति ने आध्यात्मिकता की खोज में अपनी अरबों की विरासत को छोड़ दिया है। बता दें वेन अजान सिरिपान्यो ऐशोआराम की जिंदगी छोड़ भिक्षु बन चुके हैं। वह मलेशियाई अरबपति के बेटे हैं। उनके पिता आनंद कृष्णन टेलीकॉम दिग्गज रहे हैं। उनकी संपत्ति लगभग 40,000 करोड़ रुपये है।

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    रॉबिन शर्मा नामक एक बेस्टसेलर ''द मॉन्क हू सोल्ड हिज फेरारी" में भी शख्स की कहानी बयां की गई है। मलेशियाई अरबपति आनंद कृष्णन के इकलौते बेटे, वेन अजहान सिरिपैन्यो ने बौद्ध भिक्षु बनने के लिए धन और लूट की दुनिया छोड़ दी।

    मलेशिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति

    साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन, जिन्हें एके के नाम से भी जाना जाता है, मलेशिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी हैं और उनकी संपत्ति 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) से अधिक है।

    उनका बिजनैस दूरसंचार, उपग्रह, मीडिया, तेल, गैस और रियल एस्टेट इंडस्ट्री तक फैला हुआ है। अरबपति एयरसेल का भी मालिक है, वह फोन कंपनी जिसने कभी क्रिकेट के दिग्गज एमएस धोनी के नेतृत्व वाली प्रसिद्ध आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को प्रायोजित किया था।

    18 साल की उम्र में, वेन  अजान सिरिपान्यो ने अपनी मां के परिवार को सम्मान देने के लिए थाईलैंड का दौरा किया और मनोरंजन के लिए अस्थायी रूप से एक रिट्रीट में रहने का फैसला किया। हालांकि, अनुभव ने उन्हें स्थायी मठवासी जीवन की ओर प्रेरित किया।

    शाही परिवार के वंशज हैं वेन अजान

    दो दशक से अधिक समय के बाद, वह अब एक वन भिक्षु और थाईलैंड-म्यांमार सीमा के पास स्थित दताओ दम मठ के मठाधीश हैं। यह भी दावा किया जाता है कि भिक्षु अपनी मां की ओर से थाई शाही परिवार के वंशज हैं। सिरिपैन्यो की भाषा की अगर बात करें तो उनकी रोजमर्रा की भाषा में वह आठ भाषाओं में पारंगत है।

    तमिल और थाई भाषा जानते हैं

    साउथ चाइना पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि वह अंग्रेजी बोलने के लिए जाने जाते हैं और उनकी विविध पृष्ठभूमि को देखते हुए, वह जिन भाषाओं को जानते हैं उनमें तमिल और थाई भी शामिल होने की संभावना है। सिरिपैन्यो कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर अपनी पूर्व जीवनशैली में लौट आता है। वह अपने पिता से मिलने के लिए समय निकालता है, क्योंकि बौद्ध धर्म के सिद्धांतों में से एक सिद्धांत पारिवारिक प्रेम के महत्व पर जोर देता है।

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