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    डेढ़ साल की तैयारी... पांच एअरबेस तबाह, यूक्रेन ने ऑपरेशन स्पाइडर वेब के जरिये रूस पर किया पर्ल हार्बर जैसा हमला

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 04:02 AM (IST)

    यूक्रेन ने रूस के खिलाफ ऑपरेशन स्पाइडर वेब चलाकर उसके पांच एयरबेस को निशाना बनाया और 40 से अधिक लड़ाकू विमानों को तबाह करने का दावा किया है। इस अभियान की तैयारी डेढ़ साल से चल रही थी जिसमें ड्रोन को ट्रकों में छिपाकर रूस भेजा गया था। यूक्रेन का दावा है कि उसने रूस को सात अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाया है।

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    यूक्रेन के हमले में रूस के 5 बड़े एअरबेस पूरी तरीके से नष्ट हुए हैं। (फाइल फोटो)

    एजेंसी, कीव। रूस के साथ तीन वर्ष से ज्यादा समय से जारी युद्ध के बीच यूक्रेन ने एक ऐसा सैन्य ऑपरेशन चलाया, जिससे न केवल मास्को बल्कि पूरी दुनिया सकते में है। इस अभियान ने पर्ल हार्बर हमले की याद ताजा कर दी है, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी। यह अंदेशा जताया जा रहा है कि रूस इसका बदला लेने के लिए यूक्रेन में बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है।

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    यूक्रेन ने ऑपरेशन स्पाइडर वेब के तहत रूस में कई हजार किलोमीटर अंदर तक घुसकर न केवल उसके पांच एयरबेस को निशाना बनाया बल्कि सस्ते ड्रोन के जरिये उसके रणनीतिक बमवर्षक समेत 40 से ज्यादा लड़ाकू विमानों को तबाह या क्षतिग्रस्त करने का दावा किया है। आइए जानते हैं कि यूक्रेन ने रूस के खिलाफ किस तरह इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और उसे कितना बड़ा नुकसान पहुंचाया है।

    डेढ़ वर्ष से चल रही रही थी तैयारी

    यूक्रेन की सैन्य खुफिया एजेंसी सिक्यूरिटी सर्विस (एसबीयू) हमले को अंजाम देने के लिए डेढ़ वर्ष से तैयारी कर रही थी। ऑपरेशन की निजी तौर पर निगरानी करने वाले यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया कि सटीक हमले से रूस को भारी नुकसान पहुंचा है। इसकी तैयारी में डेढ़ साल से अधिक का समय लगा। उन्होंने 34 प्रतिशत रूसी बमवर्षक बेड़ा तबाह करने का दावा किया। रूस ने भी हमले की पुष्टि की और कहा कि ड्रोन हमले के चलते कई विमानों में आग लग गई थी। हालांकि इस ऑपरेशन के बारे में रूसी खुफिया एजेंसियों को भनक तक नहीं लग पाई।

    ट्रकों में छिपाकर भेजे गए थे ड्रोन

    एसबीयू ने रविवार को इस विशेष ऑपरेशन को अंजाम दिया। ड्रोन हमले को कैसे और कब अंजाम देना है, इसकी पूरी योजना बनाई गई थी। कुल 117 ड्रोन के अलावा कई क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए ड्रोन को ट्रकों में छिपाकर गोपनीय तरीके से रूस में पहुंचाया गया था। रूसी एयरबेस के करीब ले जाए गए ट्रकों में ड्रोन को लकड़ी के कंटेनरों में रखा गया था। जब हमले का समय आया तो रिमोट संचालित इन कंटेनरों का ऊपरी हिस्सा खुल गया और ड्रोन अपने लक्ष्यों की ओर रवाना हो गए।

    इस ड्रोन का किया गया इस्तेमाल

    ऑपरेशन में फ‌र्स्ट पर्सन व्यू (एफपीवी) ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। इसे आपरेटर सीधे कैमरे के जरिये कंट्रोल कर सकता है। आपरेटर को ऐसा अनुभव होता है कि जैसे वह खुद उस ड्रोन के अंदर बैठा है। इसकी गति तेज होती है और कम लागत में तैयार होता है। इन्हें आसानी से किसी भी स्थान पर पहुंचाया जा सकता है।

    सात अरब डालर के नुकसान का दावा

    एसबीयू ने 41 विमानों को निशाना बनाने का दावा किया है। उसका दावा है कि इन विमानों का उपयोग यूक्रेनी शहरों पर बमबारी के लिए किया गया था। जिन विमानों को निशाना बनाया गया, उनमें टीयू-22, टीयू-95 बमवर्षक, ए-50 रडार डिटेक्शन और कमांड विमान शामिल हैं। एजेंसी ने ड्रोन हमले में रूस के सैन्य विमानों को सात अरब डालर का नुकसान पहुंचने का अनुमान लगाया है।

    इन एयरबेस को बनाया गया निशाना

    यूक्रेन ने रूस के मरमस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रिजायान और अमूर में एयरबेस को निशाना बनाया। इनमें से इरकुत्स्क में बेलाया एयरबेस यूक्रेन से चार हजार किलोमीटर से ज्यादा दूर है। जेलेंस्की ने बताया कि इन ऑपरेशन को रूसी सुरक्षा सेवा एफबीएस के कार्यालय के नजदीक से संचालित किया गया। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह कार्यालय रूस के किस हिस्से में है।

    कब हुआ था पर्ल हार्बर हमला

    सात दिसंबर, 1941 को जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर नौसैनिक बेस को निशाना बनाया था। इस हमले से जापान ने अमेरिका को दहला दिया था। जापानी लड़ाकू विमान कहर बनकर टूटे थे। हमले में 21 अमेरिकी पोत डूब या क्षतिग्रस्त गए थे और 188 विमान तबाह हो गए थे, जबकि दो हजार से ज्यादा सैनिकों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में कूद पड़ा था। उसने छह और नौ अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। (इनपुट: आइएएनएस, एपी)

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